राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति को आज तक नहीं मिला जमीन का मालिकाना हक
सूरजपुर। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के लोग आज भी अपनी जमीन के मालिकाना हक के लिए तरस रहे हैं। वहीं जाति प्रमाण पत्र के लिए भी उन्हें कायार्लयों का चक्कर काटना पड़ रहा है। ऐसे में पीड़ित पंडो जनजाति के लोगों ने संयुक्त कार्यालय पहुंचकर अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। बता दें कि वर्ष 1952 में देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जिले के पंडोनगर आये थे, जहां उन्होंने पहाड़ो पर अलग-अलग रह रहे पंडो लोगों को गोद लेकर बसाया था, जिसकी वजह से यहां का नाम पंडोनगर पड़ा था। लेकिन यहां रहने वाले पंडो परिवारों का आरोप है कि कई दशक बीत जाने के बाद भी आज तक उनको उस जमीन का मालिकाना हक नही मिल सका है। यहां तक ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद भी प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह काम नहीं हो रहा है।
प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर लगाई न्याय की गुहार
पंडो नगर के साथ सूरजपुर जिले के कई जगह पंडो जाति के लोग रहते हैं, उनको जमीन का पट्टा नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बनने के कारण युवाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जनजाति के युवाओं को नौकरी की प्रकिया भी सूरजपुर जिले में रुकी हुई। बहरहाल, बड़ी संख्या में पहुंचे पंडो जनजाति के लोगों ने प्रशासन को ज्ञापन तो सौंप दिया है, लेकिन देखने वाली बात होगी कि इन ग्रामीणों की मांग कब तक पूरी कर पाती है।