कटघोरा क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं 48 हाथियों का दल,घर के आसपास करंट बिछा रहे हैं ग्रामीण
कोरबा। खरीफ फसल की बुआई पूरी होने के बाद किसानों को फसल की सुरक्षा को लेकर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। यह चुनौती किसानों के पास हर साल खड़ी हो जाती है। कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल में विचरण कर रहे हाथियों द्वारा लगातार गांव-गांव में घुसकर उत्पात मचाया जा रहा है। जिससे ग्रामीणों की जान संकट में है। अब ग्रामीण अपनी जान को खतरे में देखकर अपने घरों में रात को चैन की नींद गुजार सकें, इसके लिए घर के चारों ओर 12 वोल्ट का करंट का जाल बिछा रहे हैं, ताकि हाथी को करंट का झटका लगते ही वह वहां से वापस लौट सके। गौरतलब है कि कटघोरा वन मंडल के पसान, केंदई व एतमानगर रेंज सहित विभिन्न वन परिक्षेत्र में हाथी लगातार विचरण कर रहे हैं और जान माल का नुकसान पहुंचा रहे हैं. देर शाम व रात होते ही हाथी एक्टिव हो जाते हैं और गांव में घुसने की कोशिश करते हैं. खासतौर पर मकान को तोड़कर जान माल का नुकसान पहुंचाते हैं।
हाथियों के बढ़ते खतरे व जान को खतरे में देखकर केंदई वन परिक्षेत्र में कोदवारी, डांगबोर, कोरबी, फुलसर, चोटिया सहित अन्य गांव के ग्रामीण अपने-अपने घरों में 12 वोल्ट की बैटरी लगाकर घर के चारों ओर तार से उसे घेर रहे हैं । जैसे ही हाथी उस घर के पास पहुंचता है और विद्युत प्रवाहित तार की जद में आते ही उसे झटका लगता है और वह वहां से वापस हो जाता है. ग्रामीणों द्वारा खुद के पैसे से घरों में यह बैटरी लगाया जा रहा है और काफी हद तक ग्रामीणों को हाथी की समस्या से निजात भी मिला है ।
15 से 20 हजार में आती है बैटरी व मशीन
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक हाथियों को रोकने के लिए फिलहाल शुरुआती दौर में आधा दर्जन से अधिक गांव में इस तरह की पहल ग्रामीणों द्वारा की जा रही है । बताया जाता है कि हाथियों को रोकने के लिए 12 वोल्ट की बैटरी लगाई जा रही है जिसमें एक झटका मशीन भी आता है. जिसकी कीमत 15 से 18 हजार रुपए तक होती है । 15 हजार रुपए कीमत में आने वाली मशीन व बैटरी बिजली से चार्ज होती है, जबकि 18 से 20 हजार रुपए में आने वाली बैटरी व झटका मशीन सोलर व बिजली दोनो से चार्ज होती है । इसलिए ज्यादातर लोग 18 से 20 हजार में आने वाली बैटरी व मशीन को अपने-अपने घरों में लगा रहे है ।
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक कटघोरा वन मंडल के विभिन्न वन परिक्षेत्र में कुल 48 हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है. जिसमे 41 हाथियों का झुंड जटा और पान के बीच जंगल में है, जबकि बाकी हाथियों का झुंड केदई वन परिक्षेत्र के पहाड़ पर डेरा डाले हुए है । सबसे खतरनाक व आक्रामक माने जाने वाले चेतक नामक हाथी पान रेंज के शरमा के आसपास विचरण कर रहा है । वन विभाग की टीम लगातार इन हाथियों के झुंड पर नजर बनाए हुए हैं और हाथी प्रभावितों में जाकर लोगों को सजग व सावधान करने में लगे हुए है।