Bilaspur News : बिलासपुर में मलेरिया और डायरिया ने मचाया कोहराम, सीएम को देने पड़े कड़े निर्देश
Bilaspur News : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में बढ़ते मलेरिया और डायरिया को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। डायरिया-मलेरिया के अब तक 500 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। कलेक्टर अवनीश शरण ने स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास, पंचायत ग्रमीण, नगर निगम को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है।
जानकारी के मुताबिक जिले में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें एक मौत डायरिया और 4 मलेरिया से हुई हैं। मलेरिया के 24 केस मिले हैं। इनमें 5 की हालत गंभीर है, जिनका सिम्स में इलाज चल रहा है। रतनपुर के सरकारी अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं। वहीं 54 गांव मलेरिया के लिए अति संवेदनशील हैं।
रतनपुर में डायरिया बेकाबू
रतनपुर में डायरिया के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। खूंटाघाट क्षेत्र के कंदई पारा में 31 और महामाया पारा में 9 नए मरीजों की पुष्टि हुई है। बढ़ते मरीजों की संख्या से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। एक बेड पर 2-2 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। एक मरीज की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। वहीं कोटा में मलेरिया के तीन और नए मरीजों की पुष्टि हुई है।
7 जुलाई से अब तक रतनपुर में 367 मरीजों का इलाज किया गया है। शुक्रवार को 33 से अधिक नए मरीज सामने आए, जिनमें अकेले कंदई पारा से 22 मरीज शामिल थे। पिछले तीन दिनों में इस मोहल्ले से 50 से अधिक मरीज डायरिया के चपेट में आ चुके हैं। स्वास्थ्य केंद्र में बेड की भारी कमी हो गई है, 30 बेड पर 42 मरीज भर्ती किए गए हैं। मरीजों को महज ड्रीप ही लगाई जा रही है। एक बिस्तर पर तीन-तीन मरीज लिटाए जा रहे हैं। बच्चे को मां की गोद में स्लाइन चढ़ाई जा रही है। chhattisgarh स्वास्थ्य विभाग ने 12 दिनों के भीतर 8,900 घरों का सर्वे किया, जिसमें 367 मरीज मिले। शुक्रवार तक 33 नए मरीज सामने आए और 20 मरीजों को छुट्टी दी गई। निजी अस्पतालों में भी इलाज जारी है, जहां कई मरीज भर्ती हो रहे हैं। मस्तूरी और बिल्हा में डायरिया का प्रकोप कम हो गया है और शुक्रवार को क भी नया मरीज सामने नहीं आया है।
कोटा के 54 गांव मलेरिया के लिए अति संवेदनशील
कोटा के 54 गांव मलेरिया के लिए अति संवेदनशील हैं। मौजूदा समय में इन गांवों में मलेरिया के मामले बढ़ने लगे हैं। तीन दिन के भीतर कोटा के आमागोहन, टांटीधार, करवा, कुरदर, खोंगसरा, टेंगनमाड़ा, कारमाटी, लमेर में मरीज मिल चुके हैं। मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है। मलेरिया पर नियंत्रण के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
संवेदनशील है पहाड़ पर बसा है कारीमाटी गांव
ग्राम पंचायत सिलपहरी के सरपंच दुष्यंत कुमार ने बताया कि इस पंचायत और आश्रित ग्राम कारीमाटी में इससे पहले कभी भी स्वास्थ्य शिविर नहीं लगाया गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मच्छरदानी और टैबलेट का वितरण किया गया है। सरपंच दुष्यंत कुमार ने कहा कि मलेरिया, डेंगू के लिए संवेदनशील गांव होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाए गए।
ग्राम कारीमाटी पहुंच विहीन गांवों में से एक है। ये गांव पहाड़ पर बसा हुआ है। यहां टू व्हीलर भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते हैं। यातायात का कोई भी साधन नहीं हैं। ज्यादातर पैदल ही आना-जाना होता है। इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम भी इस गांव में नहीं जाती। ऐसे में ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
कोरबा में 12 साल की लड़की ने दम तोड़ा
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के ग्राम डूमरडीह में उल्टी-दस्त से पीड़ित एक पहाड़ी कोरवा बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की उम्र 12 साल थी। दो दिन पहले इसी ब्लॉक के ग्राम गुरमा में 15 साल की लड़की की मौत हुई थी। लोगों के मुताबिक डायरिया की चपेट में कई लोग आ गए हैं। प्रदेश में बीते 13 दिनों में मलेरिया-डायरिया से 9 आदिवासियों की मौत हुई है। पढ़ें पूरी खबर…
जांजगीर-चांपा के 80 से ज्यादा ग्रामीण बीमार
छत्तीसगढ़ में डायरिया का प्रकोप जारी है। जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम कोसीर में भी 80 से अधिक ग्रामीण डायरिया की चपेट में आ गए हैं। वहीं 17 साल के युवक ने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि नल जल योजना से घर में लगे नल की पानी पीने से बीमार हुए हैं। पामगढ़ सीएचसी अस्पताल में 35 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है। बाकी ग्रामीण जिला अस्पताल जांजगीर और बिलासपुर के निजी अस्पताल में इलाज जारी है। गांव में 3 दिनों का स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया है। पढ़े पूरी खबर
सीएम साय के कड़े निर्देश, डॉक्टर, कर्मचारी मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे
बारिश के मौसम में बीमारियों का प्रकोप रहता है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि स्वास्थ्य के मामले में कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को संवेदनशील गांवों का भ्रमण कर हालत पर नजर रखने और जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। हालात को देखते हुए अफसरों को प्रभावित इलाकों की निगराी और दौरे के निर्देश दिए गए हैं। डॉक्टर, हेल्थ वर्कर भी अब मुख्यालय नहीं छोड़ पाएंगे। सीएम के फरमान के बाद बड़े अफसरों का दौरा प्रारंभ हो गया है। बिलासपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण ने कोटा विकासखण्ड के मलेरिया प्रभावित कुरदर, छुईहा, टेंगनमाड़ा सहित अनेक ग्रामों का दौरा किया।
कोरबा: पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत, मिले चोट के निशान, मृतक उपर 14 से अधिक मामले है दर्ज