छत्तीसगढ़ में किसान नहीं बो सकेंगे धान ?…कांग्रेस ने कहा ‘गांजा या अफीम तो नहीं बो रहे है साहेब’
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की शुरुआत के साथ ही रबी सीजन में धान की बुवाई को लेकर सियासी बवाल शुरू हो गया है। दरअसल पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश के कई जिलो में रबी के सीजन में धान बुवाई पर रोक लगा दी गई है, जिसके लिए जिला प्रशासन की ओर से आदेश जारी किया गया है। उनका यह भी आरोप है कि गांव-गांव में इसके लिए मुनादी कराई जा रही है। धनेंद्र साहू ने कहा कि किसान गांजा या अफीम की खेती तो नहीं कर रहे हैं, उन्हें धान बोने के लिए रोका नहीं जाना चाहिए। ऐसा करना किसानों को हतोत्साहित करने वाला फैसला होगा।
वहीं कांग्रेस के आरोपों पर कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसा कोई आदेश नहीं निकल गया है। कांग्रेस अफवाह फैलाने वाली फैक्ट्री है। कांग्रेस के नेता अनर्गल बयानबाजी करते हैं। बता दे कि कई जिलों के कलेक्टरों द्वारा फसल चक्र को लेकर किसानों के बीच जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है जिसमें किसानों को मक्का, गेहूं, रागी और दलहन फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है
इसलिए लगाई जाती है धान की बुवाई पर रोक
दरअसल छत्तीसगढ़ है तो कृषि प्रधान राज्य और इसे धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में भूमिगत जल का अधिक दोहन किए जाने से जल स्तर बेहद नीचे चला गया है। वहीं, धान की खेती के लिए अधिकत पानी की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कई इलाकों में पानी की पूर्ति नहीं हो पाने के चलते फसल चौपट हो जाती है, जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जबकि मक्का, गेहूं, रागी और दलहन फसलों में पानी की जरूरत अपेक्षाकृत कम पड़ती है।
समर्थन मूल्य पर नहीं होती रबी फसल की खरीदी
धान के फसल की बात करें तो छत्तीसगढ़ में सिर्फ खरीफ सीजन में पैदा होने वाले धान की खरीदी सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर की जाती है। जबकि रबी फसल को किसानों को खुले बाजार में बेचना पड़ता है, जिसकी कीमत मील संचालक या दलाल तय करते हैं। ऐसे में किसानों को धान की सही कीमत भी नहीं मिल पाती।
उर्वरा क्षमता को बनाए रखने के लिए फसल चक्रण जरूरी
किसानों के लिए वैज्ञानिक आधार पर देखा जाए तो फसल चक्रण फायदेमंद होता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार एक जमीन पर बदल—बदलकर फसल बोने से जमीन की उर्वरा क्षमता बनी रहती है और फसल का उत्पादन भी अच्छा होता है। बस इन्हीं कारणों को देखते हुए प्रशासन की ओर से रबी के सीजन में धान के बदले दलहन तिलहन की बुवाई पर जोर दिया जा रहा है।