छत्तीसगढ़बिलासपुर संभाग

बिलासपुर में हादसे का काउंटडाउन शुरु, कभी भी गिर सकता है जर्जर टंकी,मंडरा रहा हादसों का खतरा,शासन प्रशासन बेपरवाह

हिमांशु गुप्ता – बिलासपुर सीपत के कौड़िया में 15 साल पुरानी पानी टंकी अब मौत का खौफनाक ढांचा बन चुकी है। न पानी मिला, न समाधान… अब तक सिर्फ सर्वे और आश्वासन। ग्रामीण रोज़ मौत के साए में जी रहे हैं, मगर प्रशासन अब भी हादसे का इंतजार कर रहा है। ग्राम कौड़िया के संतोषी चौक, वार्ड क्रमांक 02 में स्थित करीब 15 वर्ष पुरानी पानी टंकी आज ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी नहीं, बल्कि मौत का साया बन चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि अब तक इस टंकी से एक बूंद पानी भी नहीं मिल पाया, लेकिन आज इसकी जर्जर हालत से पूरा मोहल्ला दहशत में जी रहा है। बीते दिनों बारिश के दौरान टंकी की बीम और छड़ भरभराकर गिर गईं। कभी सीढ़ियाँ टूटकर राहगीरों को घायल कर देती हैं तो कभी सरिया और कंक्रीट के टुकड़े गिरकर लोगों को चोट पहुँचा देते हैं।

सर्वे के बाद भी कार्रवाई ठप
पूर्व सरपंच प्रतिनिधि धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सन 2021 में ही इस टंकी का सर्वे कराया गया था। सर्वे टीम ने इसे डिस्मेंटल (धराशायी) करने की सिफारिश की थी, लेकिन चार साल गुजर जाने के बाद भी फाइलें सरकारी दफ्तरों में धूल खा रही हैं। कई बार जनसमस्या निवारण शिविर में भी आवेदन दिया गया, मगर विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।

सरपंच व जनप्रतिनिधियों का दर्द
वर्तमान सरपंच श्रीमती सरिता परमेश्वर राठौर का कहना है कि पानी टंकी बीते 15 सालों से जर्जर है। शासन प्रशासन को लगातार आवेदन देने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। सरपंच प्रतिनिधि धनेश्वर राठौर ने बताया कि साढ़े तीन महीने पहले सुशासन तिहार के दौरान भी पीएचई विभाग को इस समस्या से अवगत कराया गया था। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि समय रहते इसे गिराया नहीं गया, तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। वार्ड पंच गायत्री राठौर ने कहा कि यदि कोई गंभीर दुर्घटना होती है तो ग्रामीण सीधे पंच सरपंच पर दबाव डालते हैं। गांव के निवासी 55 वर्षीय बुजुर्ग महिला दशमत बाई गन्धर्व ने बताया कि पानी भरते समय उनके सिर पर टंकी का बड़ा टुकड़ा गिरने से उन्हें गंभीर चोट आई थी। वहीं सूरज क्षत्रिय ने बताया कि हाल ही में पानी भरते वक्त सीमेंट का सरिया गिरकर उनके पैर में गहरी चोट लगी।

खतरे के बीच जी रहे लोग और पशु
टंकी के नीचे ही गांव का एकमात्र हैंडपंप है, जिससे लोग रोज़ाना पीने का पानी भरते हैं। बाजू में किराना दुकान भी है जहां दिनभर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। इतना ही नहीं, कुछ ग्रामीणों ने टंकी के नीचे गौशाला बना दी है। इससे वहां बंधे पशु भी मौत के साए में जी रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि टंकी पर अक्सर बंदरों की उछलकूद से भी इसके हिस्से टूटकर नीचे गिरते रहते हैं।

ग्रामीणों की गुहार — हादसे से पहले कार्रवाई करो
ग्रामीणों का कहना है कि यह टंकी सिर्फ बनाकर छोड़ दी गई योजना का हिस्सा है, जो कभी सफल नहीं हो सकी। अब यह टंकी गांववासियों के लिए खौफ का ढांचा बन चुकी है। लोगों ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द इस टंकी को धराशायी कर नया निर्माण किया जाए, ताकि किसी बड़े हादसे से पहले लोगों की जान सुरक्षित हो सके। स्पष्ट है कि यदि अब भी प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया तो यह जर्जर टंकी कभी भी बड़ी त्रासदी को जन्म दे सकती है।

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