छत्तीसगढ़

लिव-इन रिलेशनशिप मामला: सबूतों के अभाव में हाई कोर्ट ने आरोपी को किया बरी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उस आरोपी को बरी कर दिया, जिस पर लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया था। यह मामला Chhattisgarh High Court acquits accused के रूप में चर्चा में है। पीड़िता ने 10 फरवरी 2016 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें उसने बताया कि आरोपी 1 फरवरी 2016 से उसके साथ लिव-इन रिलेशनशिप में था और इसी दौरान उसने शादी का वादा कर बार-बार शारीरिक संबंध बनाए। बाद में शादी से इंकार करने पर पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई।

शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 376 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। पीड़िता का चिकित्सकीय परीक्षण भी कराया गया, लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में न तो जबरदस्ती के संकेत मिले और न ही शरीर पर किसी तरह की चोट पाई गई। वहीं, पीड़िता की उम्र साबित करने के लिए वर्ष 2011 का प्रोग्रेस कार्ड लगाया गया था, लेकिन आवश्यक प्रमाणित दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किए गए।

स्पेशल कोर्ट ने बयान और उपलब्ध सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। इस निर्णय को राज्य शासन ने हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन जस्टिस संजय एस. अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अपील खारिज कर दी।

बेंच ने कहा कि पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम साबित नहीं हो पाई। पिता अपने किसी भी बच्चे की जन्म तारीख नहीं बता सके और न ही कोटवारी रजिस्टर या स्कूल एडमिशन रजिस्टर कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। यहां तक कि प्रस्तुत किया गया जन्म प्रमाण पत्र भी एफआईआर के चार महीने बाद जारी हुआ था, जिससे उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध हो गई।

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Regional Desk

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