रायपुर संभाग

‘वट सावित्री व्रत’ पर सुहागिनों ने मांगी अमर सुहाग की दुआ : वट वृक्ष पर मंगल धागा बांध परिक्रमा की, अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना किए, नीचे बैठ कथा भी सुनी

केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाने वाला वट सावित्री व्रत आज सुहागिन महिलाओं द्वारा रखी गई। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रख उनकी लंबी उम्र के लिए कामना की। ग्राम ताराशिव में भी महिलाओं ने तालाब किनारे वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर अपनी पति की लंबी उम्र के लिए दुआ मांगी और वट वृक्ष में मंगल धागा लपेट कर परिक्रमा की। इस दिन वट वृक्ष की विधि-विधान से पूजा और परिक्रमा कर पति के जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए प्रार्थना किए। इस दौरान वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर महिलाएं पूजा-अर्चना कर रक्षा सूत्र भी बांधी और पति की लंबी आयु के लिए कामना की। पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला वट सावित्री व्रत के लिए महिलाओं ने पहले से ही तैयारियां की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है। साथ ही स्नान,दान,पुण्य और जप तप का भी इस दिन विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही वट सावित्री व्रत कथा सुनने की भी परंपरा है। वट सावित्री व्रत के साथ ही आज ज्येष्ठ अमावस्या, शनि देव जयंती भी मनाई गई। आज तीन शुभ योग में वट सावित्री व्रत रखा गया। आज वट सावित्री व्रत के दिन गजकेसरी योग, शोभन योग और शश योग बना हुआ था। ये तीनों ही शुभ योग हैं। महिलाएं आज शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा करके पति की लंबी आयु की प्रार्थना की। इस अवसर पर कली शर्मा, सरोज शर्मा, ज्ञानेश्वरी वर्मा, मीना वर्मा, भानुमति वर्मा, संतोषी शर्मा, केवरा वर्मा, सुभद्रा वर्मा, आशा वर्मा सहित बड़ी संख्या में व्रती महिलाएं उपस्थित रहे।

वट सावित्री व्रत की प्राचीन मान्यता

मान्यता है कि सावित्री के पति सत्यवान की अकाल मृत्यु हो गई, तब यमराज उनके प्राण लेकर जाने लगे। तभी सावित्री भी यमराज के पीछे जाने लगती हैं। यमराज उनको समझाते हैं कि उनके पति अल्पायु थे उनका समय पूरा हो गया है। तब सावित्री अपने पत्नी धर्म के बारे में यमराज को बताती हैं और यह कहती हैं कि जहां उनके पति देव रहेंगे, वहां पत्नी भी जाएगी। कहा जाता है कि यमराज सावित्री के पत्नी धर्म से खुश होकर 3 वर देते हैं, जिसमें से एक सावित्री को 100 पुत्रों की माता होने का भी वर था। मान्यता है कि इस वरदान की वजह से यमराज को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े। यही कारण है कि वट सावित्री व्रत के दौरान सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

बरगद पेड़ के नीचे बैठकर सुनी कथा

वट सावित्री व्रत को लेकर व्रती महिलाएं सुबह से ही तैयारी में जुटी थी। सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, कच्चा सूता, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, बरगद का फल, मौसमी फल जैसे आम, लीची और अन्य फल, रोली, बताशे, फूल, इत्र, सुपारी, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, धुर्वा घास, अक्षत, सिंदूर, सुहाग का समान, नगद रुपए और घर पर बने पकवान जैसे पूड़ियां, मालपुए और मिष्ठान जैसी सामग्रियां व्रती महिलाएं इकट्ठा की थी। इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूरे सोलह सिंगार कर थाली में सजाकर बरगद पेड़ के पास गए। जहां सावित्री और सत्यवान की तस्वीर रखकर तस्वीर पर रोली, अक्षत, भीगे चने, कलावा, फूल, फल, सुपारी, पान, मिष्ठान आदि अर्पित किए। इसके बाद बांस के पंखे से हवा कर कच्चा सूता वट वृक्ष पर बांधते हुए 5 से 7 या 11 बार परिक्रमा किए। इसके बाद सभी सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष के पास बैठकर वट सावित्री व्रत की कथा सुने और पूजा समाप्त होने के बाद हाथ जोड़कर पति की दीर्घायु की कामना कर सात भीगे चने और बरगद की कोपल को पानी के साथ निगलकर अपना व्रत खोले।

ख़बर को शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
news36 से जुड़िए
जोहार...आपकी क्या सहायता कर सकते है, अपने आस पास की खबरें हमें भेज सकते है