मानसून ब्रेक, उमस ने किया हलाकान : सप्ताह भर से बारिश नहीं, सूख लगने हैं खेत, बियासी कार्य भी प्रभावित
केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | दुर्भाग्य की बात है कि आजादी के 75 साल बाद भी खेती मानसून के हवाले है। मानसून ब्रेक से क्षेत्र में सप्ताह भर से बारिश नहीं हो रही है। पानी के अभाव में खेत सूखने लगे हैं। पानी के अभाव में बियासी का काम अटका हुआ है। किसानों में पानी को लेकर हाहाकार मचा है, यहां तक कि किसान पानी के लिए रतजगा करने भी मजबूर है। अब उमस भरी गर्मी भी लोगों को परेशान कर रहा है। उल्लेखनीय है कि सावन के महीने में भी मेघ बरस नहीं रहा है। अंचल में राहत की बारिश की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। बारिश नहीं होने से खेत सूखे हैं, इनमें खड़ी धान की फसल सूख रही है। सप्ताह तक यही हाल रहे तो जमीन में दरारें नजर आने लगेगी। क्षेत्र की ज्यादातर कृषि भूमि को सिंचाई के लिए भाटापारा शाखा नहर व पेड्रावन जलाशय बंगोली से पानी मिलता है। वहीं भाटापारा शाखा नहर में पानी तो छोड़ा गया है लेकिन इससे भी सभी किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उक्त नहर से खेतों तक पानी ले जाने छोटा नहर नहीं है और न ही पानी को रोकने स्टापडैम ही बनाया गया है। जिन छोटे नहरों के माध्यम से पानी अगर जा भी रहा है तो उसे लेकर भी किसानों में खींचातानी हो रही है। इतना ही नहीं जिन छोटे नहरों के माध्यम से खेतों तक पानी जा रहा है उन नहरों में उगे खरपतवार और घास फुस ने भी पानी की बहाव को धीमा कर दिया है इसके साफ-सफाई के लिए जिम्मेदार विभाग हमेशा की तरह इस बार भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
पानी के अभाव में सूख रहे खेत
किसानों ने बताया कि खेतों में खरपतवार को खत्म करने निंदानाशक डाला गया है। लेकिन पानी की कमी से इसका असर नहीं दिख रहा है। इससे खेतों में खरपतावार तेजी से बढ़ रहे हैं। धान के पौधों की बढ़त रुक गई है। बारिश के अभाव में नमी की मात्रा कम हो रही हैं वहीं तापमान बढ़ने से पौधों से हरापन गायब हो रहा है और पत्तों में पीलापन नजर आ रहा है इससे किसानों में हताशा है। उन्हें खेतों में खर्च की गई पूंजी डूबती नजर आ रही है। किसानों को साहूकारों, बैंको से लिए कर्ज की चिंता भी सता रही है।
सप्ताह भर से बारिश नहीं हो रही
अंचल के किसानों का कहना है कि अंचल में सप्ताह भर हो गया बारिश नहीं हो रही है और अगर हप्ते भर में बारिश नहीं हुई तो छोटे-मंझोले किसान तबाह हो जाएंगे। बारिश नहीं होने से खेतों में दरारे बढ़ने के साथ फसल को नुकसान पहुंच सकता हैं।विचारणीय बात है कि मौसम के दगा दे जाने से किसानों के माथे पर सूखे अकाल की काली छाया स्पष्ट नजर आने लगा है। आगामी दिनों में अगर बारिश नहीं हुई तो फसल चौपट होनें की संभावना है।