छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

बोलने को कोरोना वॉरियर्स, जब अधिकार मांगने निकले तो कारवाही का धौंस

छत्तीसगढ हेल्थ फेडरेशन के 12 संगठन के 40000 स्वास्थ्य कर्मी आंदोलन में जाने स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हो गई है इस बीच एस्मा के तहत कारवाही करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के सचिव द्वारा पत्र जारी किया गया जबकि स्वास्थ्यकर्मियों से बातचीत करने के बजाय चुनाव पूर्व कांग्रेस सरकार को बदनाम करने के लिए कारवाही करने कलेक्टर को पत्र लिखा गया है ।

2018 में स्वास्थ्य विभाग एवम् अन्य विभाग के कर्मचारियों पर उस समय की सरकार ने कारवाही की गई थी जिसका नतीजा ये रहा की आज कांग्रेस सत्ता में है लेकिन वही गलती आज कांग्रेस की वर्तमान सरकार कर रही है इससे सरकार को चुनाव पूर्व दिक्कत आ सकती है ।

सरकार को सोचना चाहिए आज स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारी कर्मचारी क्यों लामबंद होना पड़ रहा है क्यों ना इनसे चर्चा करे । लेकिन COVID के समय दिन रात कार्य करने वालो को कारवाही का डर दिखा कर विभाग हड़ताल वापस कराने पर तुली है ।

हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियो का कहना है की उनकी मांग में स्वास्थ्य विभाग के कर्मियो से इतना ज्यादा कार्य लिया जाता है कि उनके उपर कई कार्य का बोझ बढ़ रहा है , हिंसा से मुक्ति के लिए विभागीय एफआईआर हो , वेतन विसंगति के लिए सरकार के बनाए हुए पिंगवा कमिटी के रिपोर्ट के आधार पर स्वस्थ्य कर्मियो की वेतन विसंगति दूर की जाए , स्टायफंड में वृद्धि, जैसे जायज मांग के लिए अगर स्वास्थ्यकर्मियों को आंदोलन में जाना पड़ रहा है तो कही ना कही विभाग कर्मचारियों और सरकार के बीच कोई सामंजस्य नहीं दिख रहा है* । इसमें स्वास्थ्य मंत्री महोदय और मुख्यमंत्री महोदय को जल्द संज्ञान लेकर आंदोलन आंदोलनकारियों से बात करना चाहिए अन्यथा चुनाव के पूर्व सरकार पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ेगा ।

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