‘दारु के नशे में फाड़ दिए कपड़े…किया बैड टच..सड़क से घसीटकर उठाया..प्रर्दशन कर रहे B.Ed सहायक शिक्षकों का गंभीर आरोप

रायपुर के तेलीबांधा पर रविवार को बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों ने समायोजन की मांग को लेकर 10 घंटे तक चक्काजाम किया। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में शिक्षक और उनके परिजन शामिल थे। जिन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी बहाली की मांग की।
प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने रात 10 बजे सख्ती दिखाई और उन्हें खींचकर बसों में भरकर वहां से हटा दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जोरदार विरोध जताया। महिला शिक्षक ने रोते हुए बताया कि, पुलिसकर्मियों ने जबरदस्ती लड़कियों को टच किया। हमारे कपड़े फाड़ दिए गए। कुछ लोग शराब पीकर भी आए थे। वहीं, गाड़ी पर बैठाते समय लड़कों के भी कपड़े फट गए।।
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इसके पहले सहायक शिक्षकों के अभिभावक शांतिपूर्ण अनुनय यात्रा निकाल रहे थे। सभी सहायक शिक्षक अभिभावकों के साथ तेलीबांधा थाने के पास से अनुनय यात्रा शुरू की। घड़ी चौक स्थित आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करके अनुनय यात्रा समाप्त करनी थी।
नेशनल हाईवे पर बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिया
अनुनय यात्रा का उद्देश्य अपने बच्चों की व्यथा शासन-प्रशासन तक पहुंचानी था, लेकिन पुलिस ने तेलीबांधा के पास बैरिकेड लगाकर प्रतिभागियों को रोक लिया। प्रतिभागी और अभिभावकों ने तेलीबांधा मरीन ड्राइव के पास नेशनल हाईवे पर बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
इस दौरान हाईवे पर करीब दो घंटे तक यातायात बाधित रहा, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अनुनय यात्रा की सूचना पुलिस को पहले दे दी गई थी। इसके बावजूद पुलिस ने बैरिकेड लगाकर हमारा रास्ता रोक लिया।
हमें शांतिपूर्वक भी अपनी समस्याओं को शासन-प्रशासन तक पहुंचाने नहीं दिया जा रहा है। हम पिछले एक महीने से शांतिपूर्ण रूप से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है। सरकार हमारी सुध नहीं लेती है तो हमारा प्रदर्शन और तेज होगा। हम सपरिवार धरना देंगे।
बच्चों के भविष्य का सवाल
प्रदर्शन में शामिल अभिभावकों ने कहा कि हम अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। बहुत सारे प्रतिभागी दूसरी सरकारी नौकरी छोड़कर शिक्षक बने हैं। उनके सामने परिवार चलाने की समस्या है। सहायक शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और समायोजन के अभाव में न केवल शिक्षकों का भविष्य खतरे में है, बल्कि इससे उनकी संतानें और पूरा परिवार भी प्रभावित हो रहा है। हम मांग करते हैं कि शासन तत्काल इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान ले और समाधान के लिए ठोस कदम उठाए।
सामूहिक मुंडन, इच्छा मृत्यु की कर चुके हैं मांग
पिछले एक महीने से प्रदर्शन कर रहे सहायक शिक्षकों ने अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर सरकार का ध्यानाकर्षण करवाना चाहा। सहायक शिक्षकों ने सबसे पहले रक्तदान किया, इसके बाद सामूहिक मुंडन करवाया। मांग नहीं पूरी करने पर इच्छामृत्यु की मांग भी किया। सहायक शिक्षकों का समर्थन कांग्रेस पार्टी सहित बहुत सारे कर्मचारी संगठन भी कर चुके हैं।
मंत्री का बंगला भी घेर चुके हैं बर्खास्त शिक्षक
शनिवार की सुबह बर्खास्त शिक्षकों ने मंत्री ओपी चौधरी के बंगले का घेराव कर किया था। समायोजन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन पर बैठे बर्खास्त शिक्षक सुबह पांच बजे अचानक मंत्री के बंगले पहुंचे और यहां गेट के बाहर बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी। जब वे नहीं उठे तो पुलिस ने जबरदस्ती उन्हें हटाया और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया।
जानिए मामले में अब तक क्या हुआ
पहले निकाली गई अनुनय यात्रा
बीएड सहायक शिक्षकों ने 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यात्रा धरने में बदल गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए पत्र भी भेजे।
धरना स्थल पर लगाया ब्लड डोनेशन कैंप
धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद शिक्षकों ने 22 दिसंबर को धरना स्थल पर ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाया। इस शिविर में शिक्षकों ने रक्तदान कर सरकार तक यह संदेश पहुंचाया कि वे समाज और देश की भलाई के लिए समर्पित हैं। शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
शिक्षकों ने कराया सामूहिक मुंडन
26 दिसंबर- आंदोलन में बैठे सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए सामूहिक मुंडन कराया। पुरुषों के साथ महिला टीचर्स ने भी अपने बाल कटवाए। कहा कि ये केवल बालों का त्याग नहीं बल्कि उनके भविष्य की पीड़ा और न्याय की आवाज है।
28 दिसंबर- आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने मुंडन के बाद यज्ञ और हवन करके प्रदर्शन किया। कहा कि, अगर हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो आगे सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे।
29 दिसंबर- आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2 घंटे तक बंगले के सामने मुलाकात के लिए डटे रहे।
30 दिसंबर -पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर अटल हैं। सरकार तक ये संदेश देना चाहते हैं कि सुशासन में हमारी नौकरी भी बचा ली जाए और समायोजन किया जाए।
1 जनवरी – सभी प्रदर्शनकारियों ने मिलकर माना स्थित बीजेपी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का घेराव कर दिया। यहां प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
2 जनवरी – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।
3 जनवरी – सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक कमेटी बना दी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में 5 अधिकारी शामिल हैं।
3 जनवरी – मांगे पूरी नहीं होने से नाराज सहायक शिक्षकों ने सामूहिक अनशन शुरू किया।
6 जनवरी – राज्य निर्वाचन आयोग जाकर मतदान बहिष्कार के लिए आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
7 जनवरी – शालेय शिक्षक संघ ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया
8 जनवरी – बीरगांव में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने आमसभा की और रैली निकाली
10 जनवरी – NCTE यानि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन की शवयात्रा निकालकर प्रदर्शन किया।
12 जनवरी – माना से शदाणी दरबार तक दंडवत यात्रा निकाली गई।
17 जनवरी – पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने धरना स्थल पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।
18 जनवरी – मंत्री ओपी चौधरी के बंगले का सुबह 5 बजे घेराव कर दिया।
19 जनवरी – तेलीबांधा की सड़क में चक्काजाम कर किया प्रदर्शन।