सुप्रीम कोर्ट ने लक्षद्वीप के सांसद को दी बड़ी राहत, बरकरार रहेगी संसद सदस्यता
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को बड़ी राहत देते हुए उनकी संसद सदस्यता बरकरार रखने का फैसला किया है। इसके साथ ही दोष सिद्धि बरकरार रखने के केरल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है और नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल ने हत्या के प्रयास के मामले में उनकी सजा को निलंबित करने की उनकी याचिका को खारिज करने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस दोषसिद्धि के कारण उन्हें इस साल दूसरी बार लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। 3 अक्टूबर को हाई कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को फैजल को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। फैजल संसद में लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
हाईकोर्ट के अपील पर फैसला करने तक सजा निलंबित: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल हाईकोर्ट के अपील पर फैसला करने तक उनकी सजा निलंबित रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा वो नहीं चाहता कि अयोग्यता होने से अचानक क्षेत्र में वैक्यूम हो जाए। इसके साथ ही फैजल की राहुल गांधी को राहत मिलने की दलील भी खारिज की गई थी।जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने फैसले में कहा था कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि वो सांसद है और लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं ।उन्हें हाईकोर्ट के फैसले का लाभ मिला है ।
उपचुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट को चुनौती
दरअसल, केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप ने सजा पर रोक लगाने को चुनौती दी थी। पहले कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया था क्योंकि निर्वाचन आयोग ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि चूंकि दोष सिद्धि को ही कोर्ट ने स्थगित कर दिया है, लिहाजा अभी उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी नहीं की जाएगी।यानि फिलहाल उपचुनाव कराने की कोई जरूरत नहीं होगी। मोहम्मद फैजल ने लक्षद्वीप संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट को चुनौती दी थी।
चुनाव आयोग ने नहीं जारी की थी अधिसूचना
हालांकि, चुनाव आयोग ने चुनाव के लिए अधिसूचना जारी नहीं की थी। आयोग ने 18 जनवरी को कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता फैजल को अयोग्य ठहराये जाने के बाद लक्षद्वीप लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव 27 फरवरी को पांच राज्यों की छह विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव के साथ होगा। इसके बाद फैसले की सदस्यता बरकार हो गई थी।