Chhattisgarh New CM : पथरी की अचूक दवा देते हैं सीएम साय, जंगली जड़ी-बूटियों के अच्छे जानकार,पढ़ाई छोड़ करनी पड़ी खेती,बुलाया जाता है ‘बाबू’
रायपुर। छत्तीसगढ़ के नवनियुक्त मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे है बता दे कि साय जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा । बगिया की प्राथमिक शाला में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने कुनकुरी के लोयोला मिशनरी स्कूल में प्रवेश लिया। कालेज की पढ़ाई के लिए वह अंबिकापुर गए।
जब वह प्रथम वर्ष में थे, तभी उनके पिता रामप्रसाद साय का निधन हो गया। घर परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए वह पढ़ाई छोड़कर गांव आ गए। घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई लिहाजा उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बताया जाता है कि नए-नवेले मुख्यमंत्री साय जंगली जड़ी-बूटियों के अच्छे जानकार हैं।
बगिया की प्राथमिक शाला में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण
पथरी की अचूक दवा देते हैं सीएम साय
साय ने जनजाति समाज के विकास के लिए काम किया। कंवरधाम के विकास का श्रेय उन्हें दिया जाता है। जनजाति समाज के आयोजनों में पत्नी कौशल्या अग्रणी भूमिका में रहती हैं। साय की दो पुत्रियों में से बड़ी बेटी निवृत्ति की शादी धमतरी में हुई है। दूसरी पुत्री स्मृति अभी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। उनके पुत्र तोशेंद्र ने पत्रकारिता व लिट्रेचर की पढ़ाई की है और वर्तमान में रायपुर में फिटनेस इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री साय पथरी की अचूक दवा देते हैं। उनके कई लाभार्थी उनकी दवा की प्रशंसा करते हैं।
कोरोनाकाल में उगाई सब्जी, खेतीबाड़ी में माहिर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय खेती किसानी में बहुत रुचि रखते हैं और माहिर भी हैं। नदी के तट पर अपने घर में वह सब्जियां उगाते हैं। कोरोना काल में वह गांव में सब्जी उगाते रहे और अन्य किसानों को भी प्रेरित करते रहे। उन्होंने मैनी नदी पर पुल बनवाया। नदी की रेत में खीरा, ककड़ी, मूंगफली आदि की खेती के लिए गांव के किसानों को प्रेरित किया। उनके प्रयासों से गांव में कृषि के क्षेत्र में उन्नति हुई है।
विरासत से मिला राजनीति का गुर
मुख्यमंत्री साय को जनसंघ की विरासत अपने दादा स्वर्गीय बुधनाथ साय से मिली। उनके दादा स्वतंत्रता के बाद सन् 1947 से 1952 तक तत्कालीन सीपी एंड बरार विधानसभा में मनोनीत विधायक भी रहे। साय का परिवार शुरू से ही जनसंघ से जुड़ा रहा। उनके बड़े पिताजी स्वर्गीय नरहरि प्रसाद साय वर्ष 1977-79 तक जनता पार्टी सरकार में संचार राज्य मंत्री रहे। जिला मुख्यालय जशपुर से 57 किलोमीटर दूर छोटे से आदिवासी बहुल गांव बगिया के निवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय किसान परिवार से आते हैं। बगिया में मैनी नदी के तट पर साय परिवार का आवास है। साय इसके पहले मंत्री, सांसद, विधायक रहे लेकिन वह अपने पैतृक गांव को नहीं छोड़ा। अपने दो भाईयों को पढ़ाकर-लिखाकर उन्होंने काबिल बनाया। उनके एक भाई जयप्रकाश साय भारत हैवी इलेक्ट्रिकल में इंजीनियर हैं। एक भाई ओमप्रकाश साय सरपंच थे। अभी चार माह पूर्व ही उनका असामयिक निधन हुआ।
बेटे को लेकर भावुक हुईं मां
साय की मां जसमनी देवी ने कहा मेरे बेटे बाबू (विष्णु देव साय का निकनेम) ने सबसे पहले परिवार की सेवा की, फिर गांव की सेवा की, विधायक, सांसद, मंत्री रहकर क्षेत्र की सेवा की, अब मुख्यमंत्री बनकर राज्य की सेवा करेगा। भावुक होकर उन्होंने कहा कि आज ओमप्रकाश रहता, तो यह खुशी दोगुनी हो जाती।
किसानी की, पंचायत का चुनाव लड़ा
गांव लौटकर विष्णुदेव साय ने खेती का काम संभाला। वे खेती में लगने वाले खर्च का पूरा ब्यौरा रखते थे। इसमें मजदूरों का हिसाब, खाद, बीज का खर्च भी शामिल होता था। धान की कटाई, मिंजाई का काम देखते थे। 1989 में हुए पंचायत चुनाव में उन्होंने पंच का चुनाव लड़ा और निर्विरोध सरपंच निर्वाचित हुए।
दिलीप सिंह जूदेव ने थामा हाथ, बनाया विधायक
विष्णु देव साय के छोटे भाई जय प्रकाश साय बताते हैं कि जब विष्णुदेव साय बगिया के निर्विरोध सरपंच बने तो दिलीप सिंह जूदेव उनके घर आए। हमारे दादा दिवंगत बुद्धनाथ साय 1952 में मनोनीत विधायक थे। दादा का जशपुर राजपरिवार से करीबी संबंध था।
दिलीप सिंह जूदेव ने विष्णुदेव साय का हाथ थामा। उन्हें तपकरा सीट से भाजपा का प्रत्याशी बनवाया। वे पहला चुनाव जीतकर उस समय अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा में पहुंचे। तब उनकी उम्र महज 26 साल थी।
विष्णुदेव साय को छोटा भाई मानते थे जूदेव
जशपुर राजपरिवार के मुखिया और घर वापसी अभियान के प्रणेता दिलीप सिंह जूदेव की छवि एक ऐसे जननेता के रूप में थी जो लोगों के दिलों में राज करते थे। उनके सानिध्य में ही विष्णुदेव साय ने 1998 से दूसरी बार तपकरा से विधानसभा चुनाव जीता।
1999 में दिलीप सिंह जूदेव ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया और रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद बनें। वे 2006, 2009 एवं 2014 में लगतार चार बार लोकसभा का चुनाव जीता। वे मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय राज्यमंत्री बने। विष्णुदेव साय की मां जसमनी देवी बताती हैं कि विष्णुदेव साय को दिलीप सिंह जूदेव अपना छोटा भाई मानते थे और सबसे भरोसेमंद साथी भी।
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