‘हसदेव जंगल’ बचाने युवाओं की मार्मिक अपील : कागज-पोस्टर लेकर पहुंचे मंदिर, ‘सेव हसदेव’ लिख कर रहे जागरूक
केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहा जाने वाला ‘हसदेव जंगल’ की कटाई का दर्द अब धार्मिक पर्यटन स्थलों में भी छलक रहा है। यहां काटे जा रहे पेड़ों को बचाने लोग अपील कर रहे हैं। इन्हें रोकने लोगों को जागरूक कर रहे हैं। पर्यटन स्थल कौशल्या धाम चंदखुरी में भी युवा सोमवार को हाथों में कागज-पोस्टर लेकर हसदेव जंगल को बचाने के लिए लोगों से अपील कर रहे थे। सोमवार को यहां काफी भीड़भाड़ रही। दर्शन पूजन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। जहां कुछ युवा तख्ती नुमा पोस्टर हाथों में लेकर हसदेव जंगल में हो रहे कटाई को रोकने लोगों को जागरूक कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि, ये इलाक़ा सदियों से रहने वाले आदिवासियों का घर है और लोग इसी को बचाने की गुहार लगा रहे हैं। यह इलाक़ा आदिवासी बहुल है। वहां पशुपालन, कृषि, लघु उद्योग सब होता है और जो खनन कार्य हो रहा है उसमें सारे जंगल को हटाया जाएगा, मिट्टी को पलटा जाएगा और कोयला निकाला जाएगा। जंगल में जड़ी-बूटियां हैं और बहुत से परिवार हर दिन होने वाले कार्यों में इनका इस्तेमाल करते हैं। जंगल हटने वो सब ख़त्म हो जाएगा।
‘सेव हसदेव’ लिख कर रहे जागरूक
हाथों में कागज लेकर दो लड़के खड़े हुए थे। लोग रूककर पोस्टर को पढ़ रहे थे। जिसमें लिखा था- ‘अपने हाथों से अपनी मौत बांट रहा है। इंसान जंगल नहीं अपनी जिंदगी कांट रहा है।’ मंदिर सभी को चाहिए आँक्सीजन किसी को नहीं। हसदेव अरण्य को सुरक्षित करों जैसे लाइन उस कागज पर लिखा हुआ था।
हसदेव जंगल बचाने की गुहार
एक लड़का दूसरा पोस्टर लेकर खड़ा हुआ था जिसमें लिखा था- ‘हसदेव जंगल बचाने की लड़ाई सिर्फ़ आदिवासी की नहीं है बल्कि उन लोगों की लड़ाई है जो इस देश में सांस लेते हैं।’ हसदेव जंगल की कटाई को रोकने और इन्हें बचाने की अपील लेकर युवा मंदिर परिसर पहुंचे हुए थे। जहां अपने संदेश से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे थे।