Chhattisgarh News : कबीरधाम जिलें में नए कानून के तहत देश की पहली FIR दर्ज
Chhattisgarh News : नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के कुछ देर बाद ही छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला कबीरधाम में पीड़ित के साथ मारपीट की घटना की सूचना मिलने पर नए कानून की मूल भावना (पीड़ित को त्वरित न्याय) के तहत कबीरधाम पुलिस ने उक्त घटना में पीड़ित को तत्काल राहत देने के लिए त्वरित कार्यवाही करते हुए BNS की धारा 296,351(2) के तहत पहला FIR दर्ज किया है.
थाना रेंगखार जिला कबीरधाम में नए कानून BNS के तहत देश का पहला FIR दर्ज होना भारत के नए कानूनों के माध्यम से आम नागरिकों को त्वरित न्याय दिलाकर नए कानूनों की मूल भावना के क्रियान्वयन की शुरुआत का प्रतीक है. पीड़ित इतवारी पंचेश्वर पिता सहदेव निवासी मोहनटोला थाना रेंगाखार जिला कबीरधाम के द्वारा पुलिस को लिखित सूचना मिली कि आरोपी गोलू ठाकरे सकिन रेंगाखार ने ट्रैक्टर के कागजात नही दे रहा है कहते हुए पीड़ित के साथ मारपीट एवं गाली गलौच किया. इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए थाना रेंगाखार में द्वारा लिखित आवेदन प्रस्तुत किए जाने पर रात्रि 12.30 बजे आरोपी के खिलाफ BNS की धारा के तहत FIR दर्ज किया गया.
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जाने क्या कहता है 3 नए कानून
नए कानून के तहत एक जुलाई से देश व विदेश में कहीं से भी लोग संबंधित थाने के थाना प्रभारी को फोन से मौखिक शिकायत करने के अलावा पुलिस की वेबसाइट पर जाकर संबंधित थाने का चयन कर लोग ई-एफआईआर दर्ज कर सकेंगे। तीन दिन के भीतर पीड़ित को थानाध्यक्ष अथवा उनके निर्देश पर किसी अन्य पुलिस अधिकारी व जांच अधिकारी के सामने बयान देना होगा।
अब घर बैठे कहीं से भी लोग कर सकेंगे ई-FIR
आगामी एक जुलाई से शुरू होने वाले नए कानून में काफी बदलाव किया गया है। नए कानून के तहत एक जुलाई से देश व विदेश में कहीं से भी लोग संबंधित थाने के थाना प्रभारी को फोन से मौखिक शिकायत करने के अलावा पुलिस की वेबसाइट पर जाकर संबंधित थाने का चयन कर लोग ई-एफआईआर दर्ज कर सकेंगे, लेकिन उसकी मान्यता तब तक नहीं होगी, जब तक वे ईमेल से भेजी गई शिकायत के तीन दिन के भीतर शिकायत के संबंधित पर्याप्त साक्ष्यों लेकर थानाध्यक्ष के पास उपस्थित नहीं होंगे।
तीन दिन के भीतर पीड़ित को थानाध्यक्ष अथवा उनके निर्देश पर किसी अन्य पुलिस अधिकारी व जांच अधिकारी के सामने बयान देना होगा। बयान व साक्ष्यों के बाद पुलिस अधिकारी प्रथमदृष्टया शिकायत का सत्यापन करेंगे।
पुलिस अधिकारी के संतुष्ट हो जाने के बाद जब शिकायतकर्ता एफआईआर पर अपना हस्ताक्षर करेंगे तब जाकर एफआईआर की मान्यता होगी। अपराध से संबंधित हर जानकारी चाहे अपराध किसी भी क्षेत्र में हुआ हो, किसी भी थाने के थाना प्रभारी को मौखिक या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा भी दी जा सकती है।
अब हर राज्य में जीरो एफआईआर की सुविधा
2012 में निर्भया केस के बाद केंद्र सरकार ने महिलाओं से जुड़े अपराध के मामले में जीरो एफआईआर की सुविधा दी थी तब कुछ राज्यों के कुछ थाना पुलिस ही इस पर अमल कर रहे थे। अब देश के हर राज्य की पुलिस महिलाओं की शिकायत पर जीरो एफआईआर कर सकती हैं।
जीरो एफआईआर दर्ज कर पीड़िता का संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करवा थाना प्रभारी या तो अपने थाने के कर्मचारियों के साथ पीड़िता को संबंधित थाना पुलिस के पास भेज सकेंगे अथवा मेल से जीरो एफआईआर को संबंधित थाने को भेज सकेंगे। यानी नए कानून में जीरो एफआईआर को वैधानिक मान्यता दे दी गई है।
ई-मेल एवं वॉटसअप के माध्यम से भी होगा ऑनलाईन एफ.आई.आर. ।
ऑनलाईन आवेदन के 03 दिवस के भीतर एफ.आई.आर. हेतु प्रार्थी को थाने में होना होगा उपस्थित ।
सभी कार्यालय एवं थानों का ई-मेल आई.डी. एवं वॉटसअप नम्बर हुआ जारी
1 जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानून
1 जुलाई से तीन नए कानून लागू होने वाले हैं। एक कानून के अनुसार अब घर बैठे भी एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। तीन दिन में दस्तखत करने जाना होगा। भारत सरकार ने पूर्व में लागू भारतीय न्याय संहिता 1860 दंड प्रक्रिया संहिता 1973 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को बदलकर नवीन कानूनी संहिताकरण किया है। तीनों कानून 1 जुलाई से लागू होंगे। प्रचलित सभी मुख्य कानून बदलेंगे।
परिवादी को एफआईआर की प्रति तत्काल उपलब्ध करानी होगी
भारतीय दंड संहिता 1860 यानी आईपीसी बदलकर अब भारतीय न्याय संहिता यानि बीएनएस-2023 होगी दंड प्रक्रिया संहिता-1973 का नाम अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यानि बीएनएसएस 2023 होगा इंडियन एविडेंस एक्ट-1872 का स्थान भारतीय न्याय संहिता 2023 लेगी। कुछ विशेष शिकायतों पर पुलिस 14 दिन तक प्राथमिक जांच कर सकती है, लेकिन संज्ञेय अपराध में मुकदमा दर्ज करना ही होगा। अवहेलना पर सबन्धित पुलिस अधिकारी के विरूद्ध धारा 199 भारतीय न्याय संहिता के तहत प्रकरण दर्ज होगा। धारा 173 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में परिवादी को एफआईआर की प्रति तत्काल उपलब्ध करानी होगी।
बताएंगे केस की प्रगति
धारा 193 (3) (2) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अनुसार पुलिस परिवादी को दर्ज मुकदमे की प्रगति रिपोर्ट देगी। आशय यह कि मुकदमा दर्ज करने के 90 दिन बाद अनुसंधान अधिकारी मुकदमे की प्रगति रिपोर्ट परिवादी को देगा।
यह हुआ बदलाव
पूर्व में : सीआरपीसी की धारा 154(1) के तहत परिवादी सीधे पुलिस थाने, 154 (3) के तहत पुलिस अधीक्षक के पास जाकर या 156 (3) के तहत न्यायालय में परिवाद पेश करने पर संबंधित के आदेश से एफआईआर करवा सकता था।
अब : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 173 (1) के अनुसार सीधे थाने पर, धारा 173 (4) पुलिस अधीक्षक के माध्यम से या धारा 175 (3) न्यायालय के माध्यम से एफआईआर हो सकेगी। धारा 173 (2) में नागरिकों को घर बैठे ऑनलाइन ई-एफआईआर की सुविधा। तीन दिन में थाने जाकर शिकायत पर हस्ताक्षर करना होगा। धारा 173 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में जीरो एफआईआर का प्रावधान। मुकदमा चाहे किसी भी क्षेत्र का हो, पुलिस को घटना उसके क्षेत्राधिकार की नहीं होने बावजूद दर्ज करना होगा।