छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

नंदावत परंपरा अखाड़ा के करतब कहाँ देखे ल मिलही ?

अइसन नजारा तब वाजिब म जगा-जगा देखे बर मिल जावत रिहिसे. लोगन अपन लइका मनला अखाड़ा म भेजना अउ उहाँ के दांवपेंच सिखवाना ल गरब के संगे-संग लइका के शारीरिक अउ मानसिक विकास खातिर बहुत जरूरी मानत रिहिन. फेर अब जइसे-जइसे आधुनिकता अउ वैज्ञानिकता के नाव म शारीरिक कौशल के पारंपरिक तरीका ले दुरिहावत जावत हन, वइसे-वइसे शारीरिक सुदृढ़ता के संगे-संग अपन परंपरा अउ संस्कृति ल घलो बिसरावत जावत हन.

हमर पारा म हरदेव लाल मंदिर हे. इहाँ हर बछर नागपंचमी के दिन पूरा छत्तीसगढ़ स्तरीय कुश्ती के आयोजन होवय, जेमा रायपुर के सबो नामी पहलवान मन तो आबे च करंय. दुरुग, भेलई, नांदगांव, बिलासपुर, धमतरी, महासमुंद जइसन शहर के पहलवान मन घलो आवंय अउ बिहनिया ले रतिहा के होवत के अपन-अपन जोड़ के पहलवान मन संग शारीरिक कला-कौशल के प्रदर्शन करंय. लोगन खवई-पियई ल छोड़ के दिन भर उंकर मन के कुश्ती के मजा लेवत राहंय. फेर ए सब अब सिरिफ ‘सुरता’ के विषय बनके रहिगे हे. अइसने अउ कतकों जगा आयोजन होवय.

एकर खातिर माटी ल कोड़-खान के विशेष रूप ले तैयार करे जाय. कतकों जगा के अखाड़ा मन तो मंदिर बरोबर पवित्र अउ सुरक्षित रहय, जिहां हनुमान जी के विशेष रूप ले पूजा-पाठ होवय. पहलवान मन जेन माटी म कुश्ती लड़थें, वोला महतारी के रूप म सम्मान देथें अउ मानथें. विशेषज्ञ मन बताथें- कुश्ती के अखाड़ा के माटी म दूध, मही, सरसों के तेल, हल्दी अउ लिमउ घलो मिंझारे जाथे. जेकर ले वो माटी ह एकदम कोंवर अउ फुरहुर हो जाथे.

इहाँ ए जानना जरूरी हे, हमर छत्तीसगढ़ म पहिली इही अखाड़ा के पवित्र माटी ल नागपंचमी परब के कुश्ती संपन्न होए के बाद भोजली बोवइया मन अपन-अपन घर लेगंय अउ उही म भोजली बो के भोजली दाई के सेवा करंय. अब तो कुश्ती अउ अखाड़ा के परंपरा ह लट्टे-पट्टे दिखथे, त अइसन म वोकर माटी म भोजली बोए के परंपरा घलो देखे म नइ आवय.
आजकल तो लोगन अखाड़ा जाए के बलदा जिम जाए लगे हें. उहाँ सिंथेटिक कपड़ा के बने मैट म कुश्ती के अभ्यास करथें. देश विदेश म आयोजित होने वाला कुश्ती प्रतियोगिता मन घलो अइसने मैट म होए लगे हे. फेर जानकर मन बताथें, जेन आनंद अउ माटी संग जुड़ाव के अनुभुति माटी के मैदान म होवय, वो ह मैट म नइ होवय.

हमर गाँव म कुश्ती वाला अखाड़ा तो मैं नइ देखे रेहेंव, फेर अस्त्र-शस्त्र चलाए के संग अउ आने शारीरिक कला-कौशल के प्रदर्शन करने वाला अखाड़ा जरूर देखन. एमा पारंगत लोगन पर्व विशेष के दिन अपन ए कला के जबरदस्त प्रदर्शन गाँव के मैदान म करंय. गाँव म कभू बरात आवय या हमर गाँव ले बरात कोनो आने गाँव जावय, त एकर मन के अद्भुत कला-कौशल के दर्शन बरात परघनी के बेरा रात भर देखे ले मिलय. सब अपन-अपन कला के प्रदर्शन करंय. ए ह लोगन ल अतेक भावय, ते लोगन दुल्हा बाबू संग जेवनास घर म जाए अउ दूधभत्ता म शामिल होए के बलदा अखाड़ा के आनंद म ही बूड़े रहि जावंय. अब तो बर-बिहाव ह घलो एक दिन अउ कभू-कभू तो एके जुवर म संपन्न हो जाथे, त अइसन म भला वो रात-रात भर के परघनी अउ अखाड़ा के करतब कहाँ देखे ले मिलही?

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