पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड…वह कहानी जो आप नहीं जानते…देखे INSIDE STORY
पत्रकारिता एक पेशा है या मिशन…मौजूदा दौर में अलग अलग लोगों के लिए इसकी परिभाषा अलग अलग ही होगी…. सोशल मीडिया के इस दौर में पेशा और मिशन पर बेहद बारिक लकीर मात्र का फासला रह गया है, ……ऐसे दौर में छत्तीसगढ़ के बीहड़ नक्सली इलाके से एक युवा पत्रकार अचानक देश भर में चर्चा का विषय बन जाता है,…. बस्तर जंक्शन नाम से सोशल मीडिया प्लेटफार्म में बस्तर की उस आवाज को उठाता था…… जो राजनीति… नौकरशाही… विकास और पूंजीवाद के पैरो तले दबती चली आ रही है,….इसका खामियाजा उसे अपनी जान देकर गंवानी पड़ी…आपने ठीक समझा हम बात कर रहे है बस्तर के बीजापुर से आने वाला युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की जो अब इस दुनिया में नही है उसका शरीर पंचत्तव में विलिन हो गया है…आज बात मुकेश और मुकेश के बहाने बस्तर इलाकें में पत्रकारिता की उस चुनौती की…जिसमें पल पल में जान भी गंवानी पड़ सकती है
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मुकेश चंद्राकर की हत्या की वजह बनी सड़क में भ्रष्टाचार का ऐसा नंगा नाच किया गया था कि…. उसकी जांच में बाधा डालने के लिए ठेकेदार और उसके पार्टनर्स कुछ भी करने को तैयार थे….. बीजापुर जिले के गंगालूर से नेलशनार गांव तक सड़क निर्माण के लिए एक टेंडर जारी हुआ….. लोक निर्माण विभाग ने किस्तों में इस एक सड़क के लिए एक ही ठेकेदार के साथ कुल 16 अनुबंध किए…… इन 16 अनुबंधों की कुल लागत 56 करोड़ थी….. लेकिन बाद में अफसरों और संभवत: नेताओं के संरक्षण में ठेकेदार ने उसकी लागत 112 करोड़ रुपये तक बढ़वा ली…. भ्रष्ट अफसरों- ठेकेदारों और नेताओं की तिकड़ी ने यहां कागजों पर ही काम दिखाकर सैकड़ों करोड़ रुपये डकार लिए….. इस तरह की खबरें आए दिन प्रकाशित होती रही हैं। सरकार बदलने के बाद इनमें से कुछ की जांच शुरू हो गई है….. ऐसे ही एक भ्रष्टाचार को उजागर करने की कीमत पत्रकार मुकेश चंद्राकर को अपनी जान से चुकानी पड़ी है….बस्तर संभाग के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकार हत्याकांड से पूरा प्रदेश क्या देश तक हिल गया बड़े बड़े नेताओं ने इस पर खुब ट्ववीट किए, प्रदेशभर के पत्रकार संगठन मुकेश को न्याय दिलाने सड़को पर उतर आए । मुकेश का शव उसके चचेरे भाई ठेकेदार सुरेश चंद्राकार के फार्म हाउस के सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया।
क्या आपको लगता है कि स्थानीय नेताओं की जानकारी में आए बिना इतना बड़ा झोल-झाल हो गया होगा…. किसी सड़क की लागत 56 करोड़ से 112 करोड़ तक बढ़ा दी जाए….. यह सर पर किसी ‘बड़े हाथ’ के बिना तो संभव नहीं हुआ होगा… उस पर भी तुर्रा यह कि, सड़क पहली ही बारिश में लगभग गायब हो गई…. इसका मतलब यह हुआ कि, इस मामले में कम से कम 100 करोड़ रुपयों का बंदरबांट हुआ है
यह पूरा मामला है साल 2024 के शुरुआती दिनो का। क्योंकि सड़क भी मई- जून 2024 में बनकर तैयार दिखा दी गई। विभाग से 112 करोड़ का भुगतान भी हो गया। इसी भ्रष्टाचार को उजागर किया पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने। इसी बीच दिसंबर में प्रदेश में सत्ता बदल गई। नई सरकार तक बात पहुंची तो जांच बिठा दी गई। यही खुलासा और जांच पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की वजह बनी।
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बस्तर में नक्सल भय के नाम पर वैसे ही ठेके की दरें काफी ज्यादा होती हैं….. वहीं सुना तो यह भी जाता है कि, अब भी कहीं-कहीं एक बड़ा हिस्सा नक्सलियों तक पहुंच रहा है। वहीं कई मामलों में यह भी देखा गया है कि, काम कहां तक पहुंचा है…. किस क्वालिटी से काम हो रहा है….यह बस्तर में ठेकेदार को भुगतान के लिए कोई मान्य शर्तें नहीं रह जातीं…बस इसी रवैये को भी बदलना जरुरी है खासकर माओवादी बाहूल्य बस्तर इलाके में
अब यहां जिस ठेकेदार की बात हो रही है आईए उसके बारें में भी कुछ जान समझ लेते है… सुरेश चंद्राकर बासागुड़ा इलाके का रहने वाला है…… इनका परिवार सलवा जुडूम के समय से विस्थापित हुआ था…. तब सुरेश एक पुलिस अधिकारी के घर कुक की नौकरी करता था,….. जिसके बाद SPO (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) की सरकारी नौकरी मिली थी।…. डेढ़ दशक पहले तक आरोपी सुरेश चंद्राकर मामूली व्यक्ति था…..। जीवन यापन के लिए उसने SPO याने स्पेशल पुलिस अधिकारी की नौकरी ज्वाईन किया था….. 2005 में जब नक्सलियों का तांडव चरम पर था, तब सरकार ने बस्तर के सघन इलाको की जानकारी रखने वाले युवाओं को एसपीओ बनाया था……उन्हें 10 हजार रुपए मानदेय दिया जाता था…. इसमें खासतौर से उन्हें सलेक्ट किया जाता था…जिनका नक्सलियों से पुराना कनेक्शन रहा हो….ताकि, पुलिस को माओवादियों की जानकारी मिल सके…मगर एसपीओ रहने के दौरान सुरेश चंद्राकार ने बीजापुर में ऐसा नेटवर्क तैयार कर लिया कि नौकरी छोड़कर ठेकेदारी करने लगा और देखते-देखते करोड़ों में लगा खेलने। पांच साल में ही उसने अपने आपको को इतना मजबूत कर लिया कि हेलिकाप्टर से अपनी पत्नी को विवाह कर लाया था। तब यह खबर सुर्खिया बनी थी। सुरेश को बस्तर में करोड़ों के सड़क निर्माण के काम मिलने लगे।
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उसका चेचेरा भाई पत्रकार मुकेश चंद्राकार से खबर को लेकर विवाद हुआ, वह भी सड़क निर्माण का ही मामला था, जिसमें बिना काम किए ही पीडब्लडी के अधिकारियों ने सुरेश को पेमेंट कर दिया था। बताते हैं, किन्हीं मसले पर दोनों में दरारें आई और मुकेश ने किसी न्यूज चैनल में उसे खबर को चलवा दिया और मामला यहीं से बिगड़ता चला गया… 1 जनवरी शाम 7 बजे ये वो तारीख और वक्त है, जब बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर का मर्डर हुआ। हत्यारों ने पहले डिनर पर बुलाया। खाना खिलाकर जमकर पीटा। जब मुकेश अधमरा हो गया, तो उसका गला घोंटा, फिर फिर धारदार हथियार से सिर पर मारा, जिससे ढाई इंच घाव हो गया। 29-30 दिसंबर को घर पर ही मुकेश की हत्या की साजिश रची गई थी। दिनेश, रितेश और सुरेश चंद्राकर तीनों मुकेश के चचेरे भाई हैं। रितेश सबसे करीबी दोस्त था। मुकेश के साथ दोनों ने पढ़ाई की है। इनके बीच रिश्ता काफी गहरा था। दोनों कपड़े तक शेयर करते थे।
सप्ताहभर पहले मुकेश ने अपने रायपुर के एक साथी के साथ सड़क के भ्रष्टाचार की खबर बनाई। सुरेश उसी सड़क का ठेकेदार है। वह खबर चलते ही खफा हो गया था। सड़क की लागत 120 करोड़ रुपए थी। सड़क की हालात खराब थी, लेकिन लीपापोती कर सुरेश को करोड़ों रुपए का मुनाफा हो रहा था। खबर लगने के बाद सरकार ने सड़क निर्माण में लापरवाही को लेके जांच कमेटी बना दी, जिससे सुरेश को गड़बड़ी का खुलासा और भारी भरकम मुकसान का डर था। सुरेश को आभास हो गया था कि उसे अब मुनाफा की जगह नुकसान होगा। इसके बाद सुरेश ने मुकेश को मारने की साजिश रची। मुकेश और रितेश की बातें होती थी। इन दोनों के बीच रिश्ते अच्छे थे। इसलिए साजिश के तहत रितेश को मुकेश को घर बुलाने के लिए कहा गया था। उन्हें पता था कि रितेश बुलाएगा तो मुकेश जरूर आएगा। पहले 31 तारीख को मुकेश को बुलाया गया था, लेकिन किसी काम में फंसे होने के कारण मुकेश उस दिन आने से मना कर दिया था, मुकेश जब 31 तारीख को नहीं आया तो उसे बार-बार फोन कर 1 जनवरी की शाम सुरेश के बैडमिंटन कोर्ट परिसर में बुलाया गया। मुकेश आने के लिए रेडी हो गया। वहीं, किसी को शक न हो इसलिए सुरेश और दिनेश दोनों भाई उस दिन जगदलपुर चले गए थे, जिसके बाद मुकेश को खाना खाने बैठाया गया। इसी बीच मौका पाकर रितेश ने सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके के साथ मिलकर मुकेश की पहले पिटाई की, फिर सिर पर लोहे के किसी धार हथियार से वार किया, जिससे मुकेश के माथे पर गहरा घाव हो गया।वारदात के बाद दोनों आरोपियों ने शव को छिपाने के लिए सेप्टिक टैंक में डाल दिया। इसके बाद ये दोनों रितेश और महेंद्र जगदलपुर के बोदली गांव में जाकर छिप गए थे। इन्होंने अपने भाई सुरेश और दिनेश को हत्या की जानकारी दी।
3 जनवरी को लाश मिलने के बाद पुलिस ने 4 जनवरी को मुकेश के 2 चचेरे भाई दिनेश, रितेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके को गिरफ्तार किया। वहीं मास्टरमाइंड ठेकेदार सुरेश चंद्राकर फरार है। वारदात के बाद सभी का अलग-अलग लोकेशन पर भागना पहले से तय था। बाद इसके तीनों आरोपी मुकेश की लाश को ठिकाने लगाने की जुगत भिड़ाने लगे एक बारगी तो वे इस पर राजी हो गए थे कि लाश को दूर जंगल में फेंक कर हत्या का पूरा ठिंकरा नक्सलियों के सर थोप दिया जाए, पर आसपास इलाकों में लोगो की मौजदूगी उन्हें ऐसा नहीं करने दी और बैंडमिंटन कोर्ट में ही बने सैप्टिंक टैंक में लाश को डालने में तीनों आरोपी राजी हो गऐ और उन्होंने ऐसा ही किया, बाद इसके दूसरे दिन पूरे सैप्टिंक टैंक को पल्स्तर कर पुरी तरह से पैक कर दिया गया, जिसे मुख्य आरोपी बताया जा रहा है याने सुरेश चंद्राकार 14 साल में ही बस्तर का इतना बड़ा आसामी बन गया था कि उसे अपने चचेरे भाई की हत्या कराने में भी गुरेज नहीं हुआ। हालांकि, अभी ये आरोप की शक्ल में है। आखिर उसके फार्म हाउस में ही हत्या हुई है और मुख्य आरोपी ने भी सुरेश का भी नाम लिया है। यहां बीच में आपको यह बताना भी जरुरी है कि इससे पहले भी मुकेश चंद्राकर को कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी के खबरों को लेकर उन्हें बीजापुर प्रेस कल्ब से बहिष्कार करने के लिए प्रापर कांग्रेस ने पत्र जारी किया था
खैर…नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा वहां टेंडर न केवल ज्यादा रहता है बल्कि काम करने वाले ठेकेदारों को कई तरह की सुविधा और राहत भी मिलती है। ऐसे में कई बार आधे- अधूरे काम के बावजूद भुगतान पूरा हो जाता है। कई ऐसे मामले भी आए हैं, जहां काम हुआ ही नहीं और भुगतान पूरा कर दिया गया।
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दिसंबर में हुए विधानसभा सत्र के दौरान दंतेवाड़ा डीएमएफ मद से बने एक सड़क का मामल उठा था। मंत्री विजय शर्मा ने इस मामले में अफसरों को निलंबित करने और ठेकेदार पर कार्रवाई करने की घोषणा सदन में की थी। इस मामले में सड़क बनाने वाला कांग्रेस का नेता था…… पत्रकार चंद्राकर की हत्या में आरोपी बनाए गए सुरेश चंद्राकर को लेकर भाजपा ने दावा किया है कि वहा कांग्रेस का बड़ा नेता है….. भाजपा ने चंद्राकर की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष समेत अन्य नेताओं के साथ फोटो भी जारी किया है। हालांकि कांग्रेस इन आरोपों से इन्कार कर रही है।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या करवाने वाले के साथ सोशल मीडिया पर भाजपा-कांग्रेस आपस में खेल रही हैं। सच्चाई यही है कि सड़क निर्माण से जुड़े भ्रष्टाचार को उजागर करने की कीमत मुकेश चंद्राकर ने जान देकर चुकाई है। ठेकेदार जो इन दो तस्वीरों में दिखाई दे रहा है इनमें से एक में वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के साथ गुलदस्ता लेकर खड़ा है। दूसरी तस्वीर में हत्यारा ठेकेदार सुरेश चंद्राकर भाजपा के बीजापुर के बड़े नेता जी वेंकट के साथ दिख रहा है।यह तो तय है कि ये दोनों तस्वीर उसकी हैसियत बता रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों के साथ फील गुड करता आरोपी पत्रकार की हत्या क्यों करता है? यह बड़ा सवाल है…… भाजपा का आईटी सेल कांग्रेस के साथ जुड़े आरोपी की तस्वीरें पेश कर रहा है….. और कांग्रेस का आईटी सेल भाजपा नेताओं के रिश्तों को बताकर खुद को साफ पाक बता रहा है । सच्चाई बिल्कुल इसके उलट है…..मामला माओवादी प्रभावित इलाक़े में हो रहे भ्रष्टाचार और उसे दिए जा रहे राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण का है। यह समझना होगा कि लूट के हिस्सेदार कभी नहीं चाहते कि लूट की सच्चाई बाहर आए….. अब समझिए कि भाजपा नेता जी वेंकट के साथ सुरेश चंद्राकर की तस्वीर निश्चित तौर पर हालिया ही है। यानि कल तक कांग्रेस के साये में भ्रष्टाचार का पर्याय रहा ठेकेदार सुरेश चंद्राकर अब भाजपा का प्यादा होने लगा। यही वजह दिख रही है कि मौजूदा सिस्टम में वह उसी तरह प्रभावी हो चुका है जैसा पुराने सिस्टम में था।
हालांकि मामले को लेकर सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक दोषियों पर कठोर कार्रवाई करते हुए किसी कीमत पर नहीं छोड़े जाने का आश्वासन दे रहे है…दोषियों के अवैध कब्जों पर बुल्डोजर चल रहा है इधर बस्तर आईजी सुंदर राज पी के नेतृत्व में एक 11 सदस्यीय SIT (विशेष जांच दल) गठित की गई है जो मामले की विवेचना साइंटिफिक और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर करेगी…हो सकता है जब तक आप इस खबर को देख रहे हो…मुकेश की चिता की आग बुझ गई होगी…पर भष्ट्राचार मसले और पत्रकारों के सुरक्षा के मुद्दों पर प्रदेश भर के तमाम पत्रकार अंदर ही अंदर अभी भी भभक रहे है
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