कांग्रेस विधायक ने जिलाध्यक्ष को कहा चपरासी, पार्टी से निष्कासित करने की सिफारिश
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छत्तीसगढ़ में हुए निकाय चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में अंदरुनी कलह रुकने का नाम नहीं ले रहा है बात करे बिलासपुर में कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी ने कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव को पार्टी से निष्कासित करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि, सोमवार को पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के सामने मुझसे दुर्व्यवहार किया था। मुझे चपरासी कहा गया उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत कराया है
चिट्ठी के मुताबिक अटल श्रीवास्तव ने विजय केशरवानी से कहा कि, तुमने मेरे पीठ पर छुरा घोंपा है। तंज कसते यह भी कहा कि, कलेक्टर को चपरासी निकाल रहा है। पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव सोमवार को बिलासपुर आए थे। इस दौरान कांग्रेस नेता पंकज सिंह ने उन्हें अपने घर में भोज पर आमंत्रित किया था। सिंहदेव के स्वागत के लिए शहर कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता के साथ कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव भी थे। इस दौरान पार्टी से निष्कासित नेत्री सीमा पांडेय ने पार्टी से निकालने पर शहर अध्यक्ष विजय पांडेय के प्रति नाराजगी जताई।
जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर कहा कि, पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव के सामने अपनी ही पार्टी के जिलाध्यक्ष के प्रति जनप्रतिनिधि ने अशोभनीय टिप्पणी की। संगठन के जिला प्रमुख को चपरासी कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह संगठन की अवमानना और अनुशासन हीनता के दायरे में आता है।
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पत्र में जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी ने यह भी कहा कि, बिलासपुर निगम चुनाव में कई वार्डों में कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव अपने समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन वो तय मापदंडों के अनुरूप नहीं थे। ऐसे में समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट दी गई।
भीतरघात पर कार्रवाई को लेकर विजय केशरवानी ने कहा कि, जिलाध्यक्षों ने पार्टी के नियमानुसार ही कार्रवाई की है। चुनाव में प्रत्याशियों के खिलाफ भीतरघात करने की शिकायत मिली और प्रमाण भी दिए गए। इसे कोटा विधायक व्यक्तिगत, द्वेषपूर्ण और जानबूझकर करने का आरोप लगा रहे हैं।
“चपरासी” कहना कितना उचित है? – केशरवानी
उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि, जिस जिला कांग्रेस कमेटी से उनकी खुद प्राथमिक सदस्यता है उस कमेटी के अध्यक्ष को “चपरासी” कहना कितना उचित है? वहीं, जिन्होंने पार्टी को नुकसान पहुंचाया निगम चुनाव में अधिकृत प्रत्याशियों को हराने का काम किया, उन्हें कोटा विधायक ‘कलेक्टर” बता रहे हैं।
निष्कासन की कार्रवाई से मचा बवाल
बता दें कि, कांग्रेस में नगरीय निकाय चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता और कार्यकर्ताओं ने बागी होकर नामांकन पत्र भरा था। इसके साथ ही जिलाध्यक्ष और शहर अध्यक्ष के खिलाफ बयानबाजी भी करने लगे।
वहीं, पार्टी ने खिलाफ में काम करने और बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन जमा करने वाले नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था। रिजल्ट आने से पहले कांग्रेस प्रत्याशी की शिकायत पर प्रदेश प्रवक्ता अभयनारायण राय को भी 6 साल के लिए बाहर कर दिया गया है। जिसके चलते पार्टी में बवाल मचा हुआ है।
कुलदीप जुनेजा पर लटकी तलवार
उधर राजधानी रायपुर में भी कांग्रेस में बागियों की वापसी का खुलकर विरोध करने वाले रायपुर के पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा को पीसीसी ने शो-कॉज नोटिस भेजा है। पार्टी ने उन्हें सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर पार्टी विरोधी बयान देने के लिए यह नोटिस जारी किया है।