अजीत जोगी का बनाया कानून ही उनकी प्रतिमा लगाने में बना रोड़ा, अमित जोगी ने खत्म किया धरना

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की प्रतिमा लगाने को लेकर पिछले दो दिनों से चल रहा विवाद का आखिरकार निराकरण हो गया है। फिलहाल अंतिम निर्णय तक प्रतिमा स्थल पर ही चबूतरे के नीचे ही अजीत जोगी की प्रतिमा को रख दिया गया है। और अब प्रतिमा और प्रतिमा स्थल दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। इसी के साथ ही कल से जारी अमित जोगी का धरना खत्म हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि जिस कानून को मुख्यमंत्री रहते हुए अजीत जोगी ने बनाया था, वही कानून अब उनकी ही प्रतिमा लगाने में रोड़ा बन गया है। कल से चल रहे इस घटनाक्रम का पटाक्षेप आज अमित जोगी और प्रशासन के बीच बनी सहमति के साथ हुआ। जिसके बाद कल से जारी अमित जोगी का धरना खत्म हुआ और अमित जोगी घर के लिए रवाना हुए।
अजीत जोगी का बनाया कानून ही बना रोड़ा
अजीत जोगी की प्रतिमा को नहीं लगने देने के पीछे एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि जिस कानून को अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2003 में 28 फरवरी को छत्तीसगढ़ में लागू किया था, जिसके तहत यह नियम बनाया गया था कि किसकी प्रतिमा कहां लगेगी, कब लगेगी यह शासन प्रशासन तय करेगा और आज अजीत जोगी की जब प्रतिमा उनके मरणोपरांत लगने जा रही थी तो प्रशासन ने आखिरकार इस कानून के तहत प्रतिमा को लगने से रोक दिया, जो कि बाकायदा दोनों पक्षों के बीच हुए सहमति के पत्र में दिखाई दे रहा है।

प्रशासन के साथ हुआ सशर्त समझौता
वहीं प्रतिमा स्थल पर अब आगामी निर्णय तक पुलिस सुरक्षा व्यवस्था तैनात कर दी गई है जबकि अमित जोगी ने स्वर्गीय अजीत जोगी की परसों 29 मई को पुण्यतिथि तक सहानुभूति पूर्वक निर्णय लिए जाने की बात कहते हुए प्रशासन के साथ हुए समझौते को सशर्त स्वीकारने की बात कही है।
अमित जोगी ने कल जो गौरेला थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, उसमें सीसीटीवी में कुछ संदिग्ध लोग दिखाई भी दे रहे हैं, बावजूद इसके 48 घंटे बीत जाने के बाद भी किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। अमित जोगी ने दोषियों पर सख्त कार्यवाही करने और आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी करने की मांग पुलिस अधिकारियों से किया है।