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नक्सल संगठन के चीफ बसव राजू के मारे जाने पर तुर्की में मातम, फिलीपीन्स, श्रीलंका में भी शोक

भारत में नक्सल संगठन के चीफ बसव राजू की मौत पर तुर्की के वामपंथी संगठन ने भारत सरकार की निंदा करते हुए वीडियो जारी किया। वीडियो में टर्किश वामपंथी उग्रवादी अपना चेहरा ढककर एक बयान पढ़ता दिखाई दे रहा है। इससे साफ होता है कि, भारत में सक्रिय वामपंथी माओवादियों यानि नक्सलियों का संपर्क इंटरनेशनल स्तर पर है। पिछले दिनो फिलीपीन्स से भी बसव राजू को श्रद्धांजलि देने संबंधी खबरें आई थीं। वहीं कहा जा रहा है कि, दुनिय के जिन-जिन देशों में वामपंथी उग्रवादी सक्रिय हैं उन सभी देशों में बसव राजू को श्रद्धांजलि दी जा रही है।

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में ब़ुधवार 21 मई की सुबह पुलिस जवानों ने नक्सल संगठन की कमर तोड़ दी थी। एंटी नक्सल ऑपरेशन में इतिहास रचते हुए, जिस नक्सली नेता की देश भर की सुरक्षा एजेंसियों को तलाश थी उसे DRG के जवानों ने मार गिराया था। नक्सलियों का चीफ एक करोड़ का ईनामी नम्बाला केशव राव उर्फ बशव राजू उर्फ गगन्ना को मार गिराया गया था।

नक्सल संगठन के चीफ नंबाला केशव राव उर्फ बसव राजू की 21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मृत्यु हो गई थी। इस घटना को भारत में नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। बसव राजू, जो CPI (माओवादी) के महासचिव और सुप्रीम कमांडर थे, कई बड़े हमलों के मास्टरमाइंड थे और उनकी मृत्यु को नक्सल आंदोलन के लिए एक गंभीर झटका माना जा रहा है

बशव राजू की मौत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
बशव राजू की मौत के बाद नक्सल आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिलने के संकेत मिले हैं। तुर्की के वामपंथी संगठन ने एक वीडियो जारी कर भारत सरकार की आलोचना करते हुए बशव राजू को श्रद्धांजलि दी है। वहीं, फिलीपींस के वामपंथी संगठनों ने भी उसे ‘क्रांतिकारी’ बताते हुए शोक व्यक्त किया है।

श्रीलंका में भी तैयार हो रही श्रद्धांजलि सभा
मिली जानकारी के अनुसार, श्रीलंका में बशव राजू के लिए विशेष श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जा रही है। उल्लेखनीय है कि बशव ने अपने नक्सली करियर की शुरुआत में श्रीलंका में LTTE से बम बनाने, बारूदी सुरंग बिछाने और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली थी। यही कारण है कि उसका प्रभाव और संपर्क श्रीलंका तक फैला हुआ था।

भारत के लिए बड़ी कामयाबी
बशव राजू को भारत में नक्सल मूवमेंट का सर्वोच्च नेता माना जाता था। उसकी भूमिका ठीक वैसी ही थी जैसे अल-कायदा में ओसामा बिन लादेन या एलटीटीई में प्रभाकरण की थी। अबूझमाड़ में हुई इस मुठभेड़ को नक्सल आंदोलन पर सबसे बड़ी चोट के रूप में देखा जा रहा है।

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