छत्तीसगढ़ के ‘ब्लैक डायमंड’ के अंतिम बिदाई, पंच तत्व में हुए विलीन

अंतर्राष्ट्रीय हास्य व्यंग्य के पद्मश्री कवि डॉ सुरेंद्र दुबे का आकस्मिक निधन हो गया.जिनका अंतिम संस्कार रायपुर के अशोका रत्न मुक्तिधाम में हो रहा है. मारवाड़ी मुक्ति धाम में गृहमंत्री विजय शर्मा, रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल, कवि कुमार विश्वास भी अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में शामिल हुए.परिवार के लोगों ने रोते बिलखते सुरेंद्र दुबे के अंतिम दर्शन किए. कवि डॉ सुरेंद्र दुबे के बेटे अभिषेक दुबे अपने पिता को मुखाग्नि दी.
इससे पहले पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के साथ, रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह, नगर निगम कमिश्नर विश्वदीप, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, कवि कुमार विश्वास, गृह मंत्री विजय शर्मा, विधायक अनुज शर्मा, रायपुर दक्षिण विधायक सुनील सोनी, वित्तमंत्री ओपी चौधरी सहित गणमान्य लोगों ने सुरेंद्र दुबे को श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.मारवाड़ी मुक्तिधाम में कवि सुरेंद्र दुबे को गार्ड ऑफ ऑनर देने की तैयारी की गई थी,जिसे बाद में कैंसिल कर दिया गया.
प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का गुरुवार को निधन हो गया. उन्होंने ACI अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया. उनके निधन से साहित्य और हास्य कविता जगत में शोक की लहर दौड़ गई.
डॉ. सुरेन्द्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा शहर के गंजपारा में हुआ. बेमेतरा शहर में ही उनकी शिक्षा हुई और यही के रामलीला मंच से उन्होंने कला का रास्ता चुना. वे पेशे से आयुर्वेदाचार्य थे, लेकिन उनका असली परिचय एक हास्य कवि के रूप में रहा. उन्होंने हास्य-व्यंग्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई. उन्होंने पांच किताबें लिखीं और देश-विदेश के कई कवि सम्मेलनों और टेलीविज़न कार्यक्रमों में भाग लिया. वे 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरस्कार के प्राप्तकर्ता भी रहे है.
छत्तीसगढ़ के गौरव, विख्यात हास्य कवि और व्यंग्यकार पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की ख्याति ऐसी है कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी उनकी कविताएं गूंजी. यूएस दौरे पर उनकी कविता ‘दु के पहाड़ा ल चार बार पढ़,एला कहिथे छत्तीसगढ़ और ‘टाइगर अभी जिंदा है’ ने काफी सुर्खियां बटोरी. वहीं ‘पीएम मोदी के आने से फर्क पड़ा है’ लोगों की जुबान पर ऐसा चढ़ा कि उतारे नहीं उतरा. वहीं अयोध्या राम मंदिर पर लिखी उनकी कविता ‘पाँच अगस्त का सूरज राघव को लाने वाला है, राम भक्त जयघोष करो मंदिर बनने वाला है. को कोई कैसे भूल सकता है.