भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाला, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, संपत्ति होगी कुर्की !

बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट में हुए करोड़ों के मुआवजा घोटाले में नामजद तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. उन्हें 29 जुलाई तक कोर्ट में पेश होने का अंतिम मौका दिया गया है. जांच एजेंसी EOW-ACB ने कोर्ट को बताया है कि शशिकांत कुर्रे फरार हैं. पेश न होने पर संपत्ति कुर्की करने की कार्यवाही होगी. बता दें कि कोर्ट पहले ही गिरफ्तारी के आदेश दे चुका है.
मुआवजा वितरण में करोड़ों का भ्रष्टाचार
रायपुर से धनबाद तक केंद्र की योजना के तहत भारतमाला परियोजना में सड़क का निर्माण करवाया जा रहा है. इस सड़क को जोड़ने के लिए बिलासपुर में ढेंका गांव से उरगा तक 70 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का निर्माण लगभग हो चुका है. सिर्फ 300 मीटर जमीन अधिग्रहण बाकी है, जिसके कारण पूरी परियोजना अटकी हुई है. इसे लेकर NHI ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर जमीन अधिग्रहण की बात लिखी है. इसी प्रोजेक्ट में मुआवजा वितरण करने में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार सामने आया है,
ड्रिपेशन में पटवारी ने की खुदकुशी
मामले में बिलासपुर के तत्कालीन तहसीलदार DS उईके और पटवारी सुरेश मिश्रा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई थी. पटवारी को कुछ दिन पहले सस्पेंड किया गया था और तोरवा थाना में पटवारी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद पटवारी सुरेश डिप्रेशन में थे. परिजनों का कहना है इसी डिप्रेशन में आकर उन्होंने अपनी जान दे दी है.
भारतमाला प्रोजेक्ट में रायपुर से धनबाद तक एक्सप्रेस हाई-वे के लिए बिलासपुर से उरगा तक 1115 करोड़ रुपए की लागत से यह इकोनामिक कॉरिडोर तैयार हो रहा है. इस योजना में ही 100 किलोमीटर एक्सप्रेस फोरलेन सड़क बन रही है. इस योजना में 70 किलोमीटर सड़क के लिए 46 गांव की जमीन ली गई है. इसमें 500 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा गया है और इसमें ही अलग-अलग जगह भ्रष्टाचार की बात उजागर हो गई है.
सात साल पहले केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना
भारतमाला परियोजना के तहत ढेका-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग 130ए बन रहा है। एनएचएआई की शिकायत के बाद जब जांच हुई तो भूमि घोटाले का खुलासा हुआ। भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए 20 फरवरी 2018 को केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए थ्री-डी अधिसूचना जारी की थी। जब थ्री-डी जारी हुआ जमीन पर बटांकन कम था, लेकिन जैसे ही अधिग्रहण की सूचना जारी हुई तो पता चला कि जमीन में 33 बटांकन हो चुका है और जमीन के 76 मालिक बन चुके है। एनएचएआई ने रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि ग्राम ढेका में जमीनों का विभाजन कई टुकड़ों में कर दिया गया था, कई खसरा नंबरों पर साल 2017 में ही बंटवारा दर्शाया गया है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि ये विभाजन थ्री-डी अधिसूचना से भी पहले के थे।
इन छह आरोपितों ने EOW ने दर्ज की थी FIR
बता दें कि मुख्य आरोपित जितेंद्र साहू (पटवारी), बसंती घृतलहरे (पटवारी), निर्भय साहू (एसडीएम), शशिकांत कुर्रे (तहसीलदार), लखेश्वर प्रसाद किरण (नायब तहसीलदार), लेखराम देवांगन (पटवारी) पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। दरअसल, फर्जी मुआवजा भुगतान की शिकायत रायपुर कलेक्टर से की गई थी।