Chhattisgarh : फेसबुक से दोस्ती कर छत्तीसगढ़ सरकार के इस विभाग की डिप्टी डायरेक्टर से 90 लाख की ठगी

Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी के शिकार प्रदेश के बड़े अधिकारी भी लगातार बन रहे है। इसी कड़ी में राजधानी में महिला से लाखों रूपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया है। आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय में पदस्थ डिप्टी डायरेक्टर माया तिवारी से अज्ञात साइबर ठगों ने करीब 90 लाख रुपये की ठगी कर ली है। इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम एक महिला ठग ने फेसबुक फ्रेंड बनकर दिया।
बता दे कि, माया तिवारी की फेसबुक पर जारा अली खान नामक महिला से जान-पहचान हुई। बातचीत बढ़ने पर महिला ने उन्हें “बुल मार्केट्स योर गेटवेज” नामक एक ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनी में निवेश करने का झांसा दिया। अधिक मुनाफा मिलने का लालच देकर उनसे लाखों रुपये अलग-अलग बैंक खातों में जमा करवाए गए।
झांसा देकर 90 लाख की चपत लगायी
डिप्टी डायरेक्टर ने झांसे में आकर कई बार में 90 लाख रुपये से अधिक की रकम विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी। जब उन्हें संदेह हुआ तो पैसे रिटर्न मांगे। महिला ने देने से मना कर दिया। पीड़िता की शिकायत पर राखी थाना पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अब इन बैंक खातों और सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की जांच में जुटी है।
छत्तीसगढ़ में हर घंटे तीन लोग साइबर फ्रॉड के शिकार
छत्तीसगढ़ में हर घंटे तीन लोग साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे है या यह भी कह सकते हैं कि हर बीस मिनट में एक व्यक्ति साइबर ठगी का शिकार हो जाता है. छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ साल में साइबर अपराध के 1,301 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें पीड़ितों को 107 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी. शर्मा ने बताया कि पुलिस इनमें से 107 मामलों में 3.36 करोड़ रुपये बरामद करने में सफल रही है.
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डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने बताया कि इस अवधि में राज्य में साइबर अपराध के कुल 1,301 मामले दर्ज किए गए. शर्मा के पास गृह विभाग भी है. उन्होंने बताया कि इन मामलों में पीड़ितों को 107.03 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि इस अवधि के दौरान 3.69 करोड़ रुपये की राशि वसूल कर पीड़ितों को वापस की गई. उन्होंने बताया कि साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए रेंज स्तर पर एक राज्य साइबर पुलिस थाना और पांच रेंज साइबर पुलिस थाने हैं.
शर्मा ने कहा कि जिला स्तर पर भी साइबर प्रकोष्ठ है और कुछ जिलों में साइबर पुलिस थानों की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है. उन्होंने बताया कि साइबर अपराधों की जांच के दौरान एकत्र डिजिटल साक्ष्यों के परीक्षण के लिए पुलिस मुख्यालय, रायपुर में आधुनिक साइबर उपकरणों से सुसज्जित साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला है.
उन्होंने बताया कि साइबर अपराध अनुसंधान क्षमता के विकास के लिए, पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को समय-समय पर सी-डैक और सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के माध्यम से डार्क वेब/क्रिप्टो करेंसी जैसे जटिल विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
शर्मा ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, हाल में साइबर अपराध से निपटने के लिए साइबर कमांडो योजना के अंतर्गत राज्य के एक राजपत्रित अधिकारी और पांच अन्य अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है. साइबर अपराध में शामिल सिम कार्ड और आईएमईआई नंबर ब्लॉक किए जा रहे हैं.
राज्य में साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 का आधुनिक ‘कॉल सेंटर’ है. ‘कॉल सेंटर’ में कार्यरत प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा बैंकों, ई-वॉलेट और पेमेंट गेटवे के नोडल अधिकारियों से सीधा समन्वय स्थापित कर संदिग्ध लेनदेन पर रोक लगाई जाती है. साइबर अपराध के पंजीकृत मामलों में न्यायालय के आदेशानुसार धन वापसी की प्रक्रिया की जाती है.
उन्होंने बताया कि साइबर अपराध को रोकने के लिए पुलिस मुख्यालय और जिला स्तर पर व्यापक जन जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. पीड़ितों को धन वापसी के प्रयासों के बारे में उपमुख्यमंत्री ने बताया कि साइबर अपराध के पीड़ितों को तुरंत शिकायत दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) है.
विधानसभा में भाजपा विधायक गजेंद्र यादव द्वारा उठाए गए एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में, उपमुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के 67,389 लोगों ने 2023 से जून 2025 तक एनसीआरपी पोर्टल पर 791 करोड़ रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज कराई है. उन्होंने बताया कि इन शिकायतों में से 21,195 का निपटारा कर दिया गया है और 1,820 पीड़ितों का पैसा वसूल कर उन्हें वापस कर दिया गया है.
जागरुकता है जरूरी
साइबर क्राइम पूरे विश्व के लिए चुनौती है. यह नए ढंग का साइबर अपराध है. डिप्टी सीएम ने कहा कि “छत्तीसगढ़ में बहुत सारा हम काम कर रहे हैं सी डेक, आईफोर और सरदार वल्लभभाई पटेल पुलिस अकादमी से प्रशिक्षण दे रहे हैं. हमारे साइबर कमांडो योजना चल रही है. उसमें एक आईपीएस और 5 वर्ष पुलिस अधिकारी ट्रेनिंग लेकर वापस आ चुके हैं. नया बैच ट्रेनिंग के लिए जाने वाला है और इसके अतिरिक्त 129 लोगों की नई नियुक्ति PHQ में हुई हैं. प्रत्येक थाने में एक साइबर सेल बन चुका है. रायपुर में एक बड़ा भवन बना हुआ है. पांचो रेंज ऑफिस में एक-एक साइबर थाना उपलब्ध है 9 और साइबर थाने बजट में स्वीकृत किए गए हैं. मैनपॉवर डेवलपमेंट के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं.”