नवा रायपुर के सेंध और झांझ जलाशय की रिपोर्ट में अनियमितता, वेटलैंड प्राधिकरण ने कलेक्टर को दिए आदेश

वेटलैंड प्राधिकरण ने नवा रायपुर स्थित सेंध और झांझ जलाशय की रिपोर्ट में गंभीर अनियमिततायें पाए जाने पर कलेक्टर को कोर्ट में शिकायत करने को कहा है। छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड अथॉरिटी ने अध्यक्ष जिला वेटलैंड संरक्षण समिति रायपुर को दोनों जलाशयों में प्रतिबंधित कार्य करवाने के कारण पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 19 के तहत सक्षम न्यायालय में शिकायत/परिवाद दायर करने के निर्देश दिए हैं।
प्राधिकरण ने रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राकेश गुप्ता के पत्र का हवाला देते हुए लिखा है कि कलेक्टर द्वारा 2 मई 2025 को दी गई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट है कि सेंध और झांझ जलाशय में नवा रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपए का पाथवे निर्माण, चौपाटी एवं अन्य गतिविधियां हुई हैं। यह दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। इसका उल्लंघन करने पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत 5 वर्ष की सजा या 1 लाख रुपए का जुर्माया और दोनों का प्रावधान किया गया है।
जलाशय में इस तरह का काम
झांझ जलाशय की जुलाई 2023 में हुई जांच में 13.69 करोड रुपए का पाथवे निर्माण, रिटेनिंग वॉल, वृक्षारोपण जल निकासी के लिए पुलिया निर्माण कराया जा रहा था। निरीक्षण के दौरान पता चला कि निर्माण कार्य के कारण झांझ जलाशय के जल धारण क्षमता एवं क्षेत्रफल में कमी आएगी। इसी दौरान सेंध जलाशय में 41.79 करोड के पाथवे निर्माण, रिटेनिंग वॉल, शॉप, पार्किंग शेड का निर्माण कार्य कराया जा रहा था। निर्माण संतुष्टजनक न पाए जाने पर जलाशयों में काम रुकवा दिया गया था।
क्या पाया गया झांझ जलाशय की जांच रिपोर्ट में?
जुलाई 2023 में जांच दल ने पाया कि वहां पर 41.79 करोड के पाथवे निर्माण, रिटेनिंग वॉल, शॉप, पार्किंग शेड इत्यादि का निर्माण कार्य कराया जाना है। सोंदर्यीकरण का 40% कार्य तब तक हो चुका था जिसे जांच दल ने रोक दिया। जांच समिति ने पाया कि कार्यों के होने से आद्रभूमि का क्षेत्र गैर आद्रभूमि में परिवर्तित हो जाएगा। कराये जा रहे कुछ कार्य सेंध जलाशय हेतु अधिग्रधित जल क्षेत्र का हिस्सा है। निर्माण कार्यों से जलाशय के जल धारण क्षमता में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिससे नियमों का उल्लंघन होगा। प्रस्तावित कार्यों के क्रियान्वयन से जल आवक स्रोतों पर भविष्य में अवरोध उत्पन्न होने की संभावना है। साथ ही एक अस्पताल के सामने जल आवक एवं जल जावक स्रोत की स्थिति संतोषजनक नहीं पाया गया जिससे जलाशय में अति प्रवाह होने वाले जल निकासी एवं जल आवक में अवरोध होगा।
एनआरडीए की जिद इतनी कि जांच दल की रोक के बाद भी नए सोंदर्यीकरण कार्य करवाए
डॉ गुप्ता ने चर्चा में बताया कि जुलाई 2023 में जाच दल द्वारा सभी कार्य रोक देने के बावजूद मार्च 2024 में रु. 15.34 करोड़ का कार्यादेश नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने जारी कर सेंध जलाशय में सोंदर्यीकरण और अन्य कार्य पूर्ण कराये। जांच दल द्वारा जुलाई 2023 में जांच रिपोर्ट कलेक्टर को दे दी थी जिसे दबा कर रखा गया और मई 2025 में वेटलैंड प्राधिकरण को सौंपा गया। डॉ गुप्ता ने आरोप लगाया कि कलेक्टर द्वारा दोषियों को बचाने के लिए जांच रिपोर्ट दबा कर रखी गई थी।

…तो आयुक्त नगर पालिका और जोन कमिश्नर आयेंगे मुसीबत में
डॉ गुप्ता ने चर्चा में बताया कि रायपुर शहर के सभी तालाबों की जांच के आदेश वेटलैंड प्राधिकरण ने कलेक्टर रायपुर को मई 2023 में दिए थे। जिनमे से सिर्फ करबला तालाब की जांच की गई है और जांच रिपोर्ट भी अभी तक वेटलैंड प्राधिकरण को नहीं दी गई है। बूढा तालाब, महाराजबंद, तेलीबांधा तालाब और अन्य तालाबों की जांच कलेक्टर द्वारा जान बूझ कर दोषियों को बचाने के लिए नहीं की जा रही है। अगर इमानदारी से जांच की जाए तो कई निगम आयुक्त और जोन कमिश्नर मुसीबत में आ जायेंगे और कोर्ट कचहरी के चक्कर लगायेंगे।
वेटलैंड सुप्रीम कोर्ट की निगरानी
वेटलैंड प्राधिकरण ने चेतावनी देते हुए पत्र में लिखा है कि सनद रहे कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा स्वत: संज्ञान में वेटलैंड संरक्षण के राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी उल्लंघन पर संबंधित राज्य सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई को देखा जा रहा है।
प्रतिबंध के बाद भी निर्माण
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि जुलाई 2023 में जांच दल द्वारा सभी कार्य रोके गए थे। इसके बावजूद मार्च 2024 में 15.34 करोड़ का कार्यादेश नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने जारी कर सेंध जलाशय में सौंदर्यीकरण और अन्य कार्य पूर्ण कराए गए। जांच दल ने जुलाई 2023 में जांच रिपोर्ट कलेक्टर को दी थी। जिसे दबा कर रखा गया और मई 2025 में वेटलैंड प्राधिकरण को सौंपा गया