कोल लेवी घोटाले और DMF स्कैम में सूर्यकांत तिवारी को SC ने सशर्त दी अंतरिम जमानत, जेल से आएगा बाहर

कोल लेवी घोटाले और DMF घोटाले में मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ सूर्यकांत को अंतरिम जमानत दी है. राज्य से बाहर रहने की शर्त पर सूर्यकांत की अंतरिम जमानत मंजूर की गई है.
सूर्यकांत तिवारी आएगा जेल से बाहर
छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाला मामले में सूर्यकांत तिवारी को दी गई अंतरिम जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका को सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया. इसके अलावा कोर्ट ने डीएमएफ घोटाला मामले में सूर्यकांत को अंतरिम जमानत दे दी. दोनों घोटालों में अतंरिम जमानत मिलने के बाद अब सूर्यकांत तिवारी जेल से बाहर आएगा.
ईडी ने जब्त की थी संपत्ति
सूर्यकांत तिवारी को कोल लेवी घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है है. ईडी ने उसे पीएमएलए, 2002 के तहत आरोपी बनाया है और अब तक उससे जुड़े 49.73 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियों को जब्त किया गया है. इनमें बैंक खातों, वाहन, नकदी, गहने और जमीन शामिल हैं.
रानू साहू और सौम्या चौरसिया को भी मिली थी जमानत
इसके पहले, छत्तीसगढ़ कोयला और DMF घोटाला केस में लंबे समय से जेल में बंद निलंबित IAS रानू साहू, समीर विश्नोई और सौम्या चौरसिया को भी सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी. सभी आरोपी लंबे समय से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद थे. सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद 31 मई को सभी आरोपियों को जेल से रिहा किया गया था.
DMF घोटाला क्या है?
EOW द्वारा लगाए गए आरोपों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 2021-22 और 2022-23 के वित्तीय वर्ष के दौरान जिला खनिज संस्थान (DMF) में करीब 75 करोड़ का घोटाला हुआ था. कोराब में DMF ट्रस्ट के तहत टेंडर की राशि की 40% रकम सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दी गई थी. वहीं, प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है.
क्या है छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला?
यह घोटाला लगभग 570 करोड़ रुपए का बताया जाता है। आरोप है कि 2020 से 2022 के बीच राज्य में कोयला परिवहन और परमिट प्रक्रियाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी को माना गया, जिसने अधिकारियों, व्यापारियों और दलालों के साथ मिलकर हर टन कोयले पर ₹25 की अवैध वसूली की। यह रकम कथित तौर पर थोड़े-थोड़े हिस्सों में अफसरों, नेताओं और कारोबारियों के पास पहुंचती थी। इस घोटाले में कई वरिष्ठ अधिकारी, सस्पेंड IAS रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री कार्यालय की उप सचिव सौम्या चौरसिया, और अन्य नामजद हैं। मामला अब सीबीआई के पास है और कई आरोपी जमानत पर बाहर भी हैं, वहीं सूर्यकांत अभी भी जेल में है।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
यह घोटाला वर्ष 2019-2023 के बीच सामने आया और इसकी रकम लगभग 3,200 करोड़ रुपए बताई जाती है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में शराब कारोबार एक ‘सरकारी लूट मशीन’ के तौर पर चला। इसमें डिस्टिलरी से लेकर होलसेलर, दुकानदार, अधिकारी और राजनेता – सब शामिल बताए गए। जांच के मुताबिक शराब की बिक्री, नकली स्टॉक्स, डुप्लीकेट होलोग्राम, और कम कीमत पर खरीद कर ऊँची कीमत में बेचना – ये सब इस घोटाले के हिस्से रहे। कमाई का एक बड़ा हिस्सा अधिकारियों और नेताओं में बंटता था। सरकारी तंत्र की मिलीभगत से यह सिस्टम इतने लंबे वक्त तक चला। मामले में 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित किया गया, वहीं कई बड़े नामों पर भी केस दर्ज हुए हैं।