विधायक मेरे सामने कहीं नहीं लगते, एक तरफ मंत्री, दूसरी तरफ मुझे खड़े कर लो – कारोबारी बसंत अग्रवाल

छत्तीसगढ़ में भाजपा कार्यकर्ता, समाजसेवी और जमीन कारोबारी बसंत अग्रवाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें बसंत अग्रवाल कहते नजर आ रहे हैं कि विधायक उनके सामने कभी महत्व नहीं रखते। उन्होंने कहा, “अगर एक तरफ मंत्री खड़े हों और दूसरी तरफ मैं, तो देखिए किसे ज्यादा नमस्कार होता है।”
यह बयान उन्होंने रायपुर में रविवार, 14 सितंबर को बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा के संदर्भ में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिया। इस मौके पर उन्होंने मंत्री और विधायकों के प्रति कथित असंतोष जताया। बता दें कि बसंत अग्रवाल ने 2023 के विधानसभा चुनाव में रायपुर पश्चिम से टिकट के लिए दावेदारी जताई थी, लेकिन भाजपा ने सीनियर नेता राजेश मूणत को मैदान में उतारा, जिन्होंने जीत हासिल की।
बसंत अग्रवाल ने आगे कहा कि विधायक उनसे कहीं भी नहीं लगते और धर्म कार्य करने वाले व्यक्ति को समाज सबसे आगे रखता है। उन्होंने कहा, “आप मंत्री को एक तरफ और मुझे दूसरी ओर खड़ा करिए, फिर देखें किसे ज्यादा सम्मान मिलेगा। यह बसंत अग्रवाल की वजह से नहीं, बल्कि धर्म की वजह से होता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि धर्म के काम को करने के लिए भगवा चोला पहनना आवश्यक नहीं है, क्योंकि वे बिना भगवा चोला पहने भी वह कार्य कर रहे हैं जो दूसरे नहीं कर पा रहे।
उन्होंने गुढियारी में 4 से 8 अक्टूबर तक स्व. पुरुषोत्तम अग्रवाल स्मृति फाउंडेशन के तत्वावधान में हनुमत कथा के आयोजन की जानकारी दी, जिसमें पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी शामिल होंगे। इस आयोजन के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ा जाएगा।
बसंत अग्रवाल भाजपा के महासदस्यता अभियान में भी सक्रिय रहे हैं और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव द्वारा उन्हें “सदस्यता रत्न” पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अभियान के दौरान 13 हजार नए सदस्य जोड़े थे।
हालांकि, विवादों के कारण पहले भाजपा ने बसंत अग्रवाल को पार्टी से निष्कासित भी किया था। सात साल पहले बेमेतरा में हुई एक सभा में बसंत अग्रवाल और भाजपा नेता लाभचंद बाफना के बीच झड़प हुई थी, जिसके बाद पार्टी ने जांच कर बसंत अग्रवाल को निष्कासन दिया था। उस समय उन पर विवादित वीडियो जारी करने और पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप लगा था।
अब तक प्रदेश के मंत्री और विधायकों ने बसंत अग्रवाल के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। कुछ लोग इसे कार्यकर्ताओं की आवाज और असंतोष के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे पार्टी के लिए अनुशासन और संगठनात्मक चुनौती मानते हैं।