Crude Oil Price: ग्लोबल एक्सपर्ट का बड़ा दावा, $52 तक गिरेगा कच्चे तेल का दाम, पेट्रोल-डीजल पर पड़ेगा तगड़ा असर – जानिए पूरा गणित

ग्लोबल मार्केट से आई बड़ी खबर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में Crude Oil Price लगातार गिरावट की ओर बढ़ रहा है। एक ग्लोबल एनर्जी एक्सपर्ट ने दावा किया है कि आने वाले हफ्तों में कच्चे तेल का दाम $52 प्रति बैरल तक गिर सकता है।
वर्तमान में ब्रेंट क्रूड की कीमत लगभग $66 प्रति बैरल और WTI क्रूड $63 के आसपास ट्रेड कर रहा है। लेकिन आर्थिक मंदी के संकेत, चीन की मांग में कमी और ओपेक (OPEC) की उत्पादन नीति के कारण कीमतों में तेज गिरावट की संभावना जताई जा रही है।
क्यों घटेगा कच्चे तेल का दाम
एनर्जी एनालिस्ट्स के मुताबिक, आने वाले महीनों में
- अमेरिका और यूरोप में मंदी के डर से मांग कम होगी,
- रूस और ईरान की सप्लाई बढ़ने से बाजार में अधिशेष बनेगा,
- और ओपेक देशों की प्रोडक्शन लिमिटेशन भी असर नहीं दिखा रही।
इन्हीं कारणों से क्रूड ऑयल की कीमत $52 तक गिरने की संभावना जताई जा रही है।
भारत में पेट्रोल-डीजल पर क्या असर होगा?
अगर ग्लोबल मार्केट में कच्चा तेल $52 प्रति बैरल तक पहुंचता है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों में 8 से 10 रुपये प्रति लीटर तक की गिरावट संभव है।
वर्तमान में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत ₹96.72 और डीजल की कीमत ₹89.62 प्रति लीटर है। इस गिरावट के बाद पेट्रोल ₹87-₹89 प्रति लीटर और डीजल ₹80 के आसपास पहुंच सकता है।
हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत सरकार टैक्स स्ट्रक्चर और अंतरराष्ट्रीय डॉलर दर को देखते हुए तुरंत रेट में बदलाव नहीं करेगी।
एक्सपर्ट्स की राय
ग्लोबल एनर्जी एक्सपर्ट जेम्स हेंडरसन ने कहा—
“कच्चे तेल की कीमतें निकट भविष्य में $52 प्रति बैरल तक गिर सकती हैं। यह गिरावट भारत जैसे आयातक देशों के लिए राहत लेकर आएगी, लेकिन तेल उत्पादक देशों की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाएगी।”
आंकड़ों से समझिए असर
पैरामीटर | वर्तमान मूल्य | संभावित मूल्य (52$/bbl पर) | अनुमानित गिरावट |
---|---|---|---|
ब्रेंट क्रूड ऑयल | $66 | $52 | $14 की गिरावट |
पेट्रोल (दिल्ली) | ₹96.72 | ₹88-₹89 | ₹8-₹9 की गिरावट |
डीजल (दिल्ली) | ₹89.62 | ₹80-₹81 | ₹9 की गिरावट |
निष्कर्ष
Crude Oil Price में गिरावट भारतीय उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें $52 तक पहुंचती हैं, तो पेट्रोल-डीजल के दामों में उल्लेखनीय कमी देखी जा सकती है। हालांकि, इसका असर देश में सरकारी टैक्स नीति और डॉलर रेट पर भी निर्भर करेगा।