डीएफओ कांन्फ्रेंस : सीएम बोले- तेंदूपत्ता का भुगतान 15 दिनों के भीतर हो

छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने सोमवार को वन मंडलाधिकारियों की बैठक ली। इस दौरान उन्होंने वनों से आजीविका के तहत तेंदूपत्ता संग्राहकों को लाभान्वित करने पर चर्चा की। सीएम ने कहा- तेंदूपत्ता का भुगतान सात से 15 दिनों में किया जाना सुनिश्चित कर भुगतान की जानकारी मैसेज के माध्यम से संग्राहक के मोबाइल पर भेजने की व्यवस्था करें। लगभग 15 लाख 60 हज़ार संग्राहक को जानकारी ऑनलाइन हुई है। सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किया जाना सुनिश्चित करें।
सीएम साय ने कहा- औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाई जाये। धमतरी, मुंगेली, जीपीएम जिले में औषधीय पौधों की खेती पर सभी उपस्थित डीएफओ को जानकारी दी गई है। औषधीय पौधों की खेती से परम्परागत उपचार का ज्ञान भी आगे बढ़ेगा। औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ ने इस क्षेत्र में संभावनाओं और लोगों के आजीविका को बढ़ाने के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। औषधीय पौधों की खेती के विस्तार के लिए प्रचार- प्रसार गतिविधियां बढ़ाई जाये। कृषि, उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले की सहायता ले।
बांस शिल्पकारों को मार्केट में करें प्रमोट
सीएम साय ने बांस वन आधारित आजीविका को बढ़ावा देने के निर्देश देते हुए कहा- 3.71 लाख हेक्टेयर कुल उत्पादक बांस वन क्षेत्र हैं। बाजार में ज्यादा कीमत पर विक्रय होने वाली बांस की प्रजातियों को बढ़ावा दिया जाये। विशेष पिछड़ी जनजातियों की आय का मुख्य साधन बांस और उस से बने उत्पाद हैं इसलिए राज्य में 28 बांस प्रसंस्करण केंद्रों को सक्रिय करना है। साथ ही बांस शिल्पकारों को मार्केट से संपर्क स्थापित करने में सहयोग करना है। जनजातीय परिवारों को बाजार की मांग के अनुसार प्रशिक्षण दे।

छतीसगढ़ हर्बल को करें प्रमोट
सीएम साय ने लधु वनोपज आधारित स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अफसरों को निर्देश दिए। साथ ही वन धन केन्द्रों को मजबूत करने के लिए कहा है।इसके अलावा सीएम साय ने कहा- छतीसगढ़ हर्बल और संजीवनी के उत्पादों को प्रमोट करें। ग्रामीण-शहरी इलाकों में इन उत्पादों को अधिक से अधिक विक्री का प्रयास करे ताकि इसका मार्केट विकसित हो। उत्पादों का जैविक प्रमाणीकरण तेजी से करें।
लघु वनोपजों को आजीविका के रूप में करें विकसित
सीएम साय ने कहा- तेंदूपत्ता संग्रहण की पूरी प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत करने की पहल हो। वहीं सीएम ने बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, जिलों में पिछले सीजन में हुए तेंदूपत्ता संग्रहण की जानकारी ली। आने वाले सीजन के लिए कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए। कहा कि, लघु वनोपजों को वनाचलों में आजीविका का महत्वपूर्ण साधन के रूप में विकसित किया जाये।

इकोटूरिज्म में आजीविका के बड़े साधन
एक पेड़ मां के नाम अभियान में दो वर्षों में 6 करोड़ से अधिक पौधों का रोपण हुआ है। माइक्रो अर्बन फॉरेस्ट वृक्षारोपण की शुरुआत हुई है। इकोटूरिज्म में आजीविका के बड़े साधन छुपे हुए हैं। राज्य में 240 नैसर्गिक पर्यटन केंद्र हैं, बड़ी संख्या में इनसे स्थानीय युवाओं और लोगों को वर्ष भर रोजगार प्राप्त होता है इनसे अप्रत्यक्ष रूप से लगभग दो हज़ार परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।