उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की नई पहल : छत्तीसगढ़ जेलों में पहली बार शिक्षिका द्वारा विशेष ध्यान–प्रशिक्षण, अपराधियों में दिखा अभूतपूर्व मानसिक परिवर्तन

कवर्धा जेल में 26 से 30 नवम्बर तक चला पाँच दिवसीय ध्यान, विज़ुअलाइजेशन और नैतिक शिक्षा प्रशिक्षण; बंदियों ने कहा – “पहली बार किसी ने हमारे मन को समझा, यह जीवन बदलने वाला अनुभव है।”
कवर्धा : छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री माननीय विजय शर्मा जी की विशेष पहल पर जेल विभाग में बंदियों के लिए एक अनोखा और परिवर्तनकारी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस पहल का उद्देश्य अपराधियों के मन, विचार और भावनाओं पर सकारात्मक ढंग से काम करते हुए उनके जीवन में स्थायी बदलाव लाना है।
पाँच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण: ध्यान, विज़ुअलाइजेशन और नैतिक शिक्षा
कवर्धा जेल में 26 से 30 नवम्बर 2025 तक पाँच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण का आयोजन किया गया, जिसे शिक्षिका विधि तिवारी ने संचालित किया। इस दौरान बंदियों को ध्यान–विधि, विज़ुअलाइजेशन तकनीक, मानसिक संतुलन, तनाव–नियंत्रण तथा भारतीय ज्ञान–परंपरा पर आधारित नैतिक शिक्षा दी गई। विधि तिवारी ने अपनी विकसित की गई ध्यान–प्रणालियों और भारतीय मूल्य आधारित शिक्षण के माध्यम से बंदियों के भीतर गहरा मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन लाने पर फोकस किया।

बंदियों का अनुभव: “पहली बार किसी ने हमारे मन को समझा”
प्रशिक्षण के बाद फीडबैक सत्र में कई बंदियों ने भावुक होकर अपने अनुभव साझा किए। एक बंदी ने कहा, “हमारे जीवन में पहली बार किसी ने हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से ध्यान दिया, यह अनुभव सचमुच जीवन बदलने वाला है।”
बंदियों ने मांग रखी कि ऐसा ध्यान–प्रशिक्षण नियमित रूप से चले, ताकि वे गुस्सा नियंत्रण, नकारात्मकता में कमी और आंतरिक शांति जैसी प्रक्रियाओं को अपने रोजमर्रा के जीवन में स्थायी रूप से अपना सकें।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा जी के प्रति आभार और बदलने की इच्छा
बंदियों ने इस कार्यक्रम को संभव बनाने के लिए उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा जी के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह के प्रशिक्षण लगातार मिलते रहें तो वे स्वयं को बदलकर समाज में एक नई और सकारात्मक शुरुआत कर सकते हैं।
यह पहल राज्य सरकार की उस सोच को भी रेखांकित करती है, जिसमें कड़े कानूनों के साथ-साथ सुधारात्मक और मानवीय दृष्टिकोण पर भी जोर दिया जा रहा है।
जज महोदय/महोदया का निरीक्षण: खड़े होकर दिया फीडबैक
प्रशिक्षण के दौरान न्यायालय की जज महोदय/महोदया भी निरीक्षण के लिए पहुँचीं और उन्होंने बंदियों से सीधे संवाद कर उनका फीडबैक सुना। कई बंदियों ने खड़े होकर बताया कि इस प्रशिक्षण ने उनके भीतर नई सोच, नई उम्मीद और आत्मविश्वास जगाया है।
बंदियों ने यह भी कहा कि पहली बार उन्हें केवल “अपराधी” नहीं, बल्कि “इंसान” मानकर मार्गदर्शन दिया गया, जिससे उनमें सुधार की वास्तविक इच्छा पैदा हुई।
पुस्तक वितरण: “साहित्य ने हमें भीतर से छू लिया”
कार्यक्रम के दौरान शिक्षिका विधि तिवारी द्वारा लिखित प्रेरणादायक पुस्तकों का वितरण भी किया गया। बंदियों ने बताया कि इन पुस्तकों ने उन्हें आत्मज्ञान, आत्ममंथन और सकारात्मक सोच की नई दिशा दी है।
एक बंदी ने बताया कि उसने केवल एक दिन में 85 पेज पढ़ लिए, क्योंकि पुस्तक ने उसके जीवन–दृष्टिकोण को बदलने और भविष्य की नई कार्य–योजना बनाने में गहरा प्रभाव डाला।
जेल सुधार का नया मॉडल: मन और भावनाओं पर काम जरूरी
विधि तिवारी का मानना है कि अपराधियों का स्थायी सुधार केवल कठोर दंड से संभव नहीं, बल्कि उनके मन, भावनाओं और विचारों पर गहराई से काम किए बिना यह प्रयास अधूरा रहेगा। ध्यान, विज़ुअलाइजेशन और नैतिक शिक्षा जैसे उपकरण अपराधियों के भीतर वास्तविक और दीर्घकालिक परिवर्तन ला सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि कवर्धा मॉडल को पूरे छत्तीसगढ़ की जेलों में लागू किया जाए, ताकि आने वाले समय में अपराधों में 30–40 प्रतिशत तक कमी लाने की दिशा में ठोस परिणाम देखे जा सकें।






