कवर्धा में कबीर चबूतरा विवाद : हाईवे जाम, सड़क पर बैठकर हनुमान चालीसा पाठ

कवर्धा जिले के नवागांव गांव में कबीर चबूतरा निर्माण को लेकर शुरू हुआ विवाद मंगलवार को सड़क पर आ गया, जब दो पक्ष आमने-सामने आने के बाद समर्थकों ने राजनांदगांव–कवर्धा मुख्य मार्ग पर चक्काजाम कर दिया। शासकीय जमीन पर कथित रूप से चबूतरा बनाये जाने के विरोध में बड़ी संख्या में लोग सड़क पर बैठ गए और हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे, जिससे हाईवे के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
विवाद कैसे शुरू हुआ
जानकारी के मुताबिक, सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नवागांव में कबीर चबूतरा निर्माण को लेकर हिंदू पक्ष और कबीरपंथियों के बीच जमीन के अधिकार को लेकर तनाव बढ़ गया। हिंदू पक्ष का आरोप है कि कबीरपंथी शासकीय भूमि पर बिना किसी अनुमति के चबूतरा निर्माण कर रहे हैं, जबकि ग्रामीण इस जमीन को सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित रखना चाहते हैं।

चक्काजाम और हनुमान चालीसा पाठ
विवाद बढ़ने के बाद नाराज ग्रामीणों और हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता राजनांदगांव–कवर्धा मुख्य मार्ग पर उतर आए और हाइवे पर बैठकर चक्काजाम कर दिया। इस दौरान सैकड़ों लोग सड़क पर ही बैठ गए और लगातार हनुमान चालीसा का पाठ करते रहे, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया और यात्रियों को घंटों जाम में फंसे रहना पड़ा।

पुलिस व प्रशासन की कार्रवाई
हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया और सुरक्षा घेरा बनाकर दोनों पक्षों को आमने-सामने आने से रोका गया। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अमला गांव पहुंचा और लोगों से बातचीत कर तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश की, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति टाली जा सके।
शासकीय भूमि और तहसीलदार का बयान
मामले में लोहारा तहसीलदार ने स्पष्ट किया कि संबंधित भूमि शासकीय है और इस पर किसी भी प्रकार का निर्माण बिना वैध अनुमति के स्वीकार्य नहीं होगा। तहसीलदार ने दोनों पक्षों से अपील की कि वे कानून अपने हाथ में न लें, शांत रहें और भूमि विवाद के समाधान के लिए नियमानुसार कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
आगे क्या हो सकता है
फिलहाल पुलिस दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों से अलग-अलग बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश कर रही है, लेकिन जमीन के उपयोग को लेकर मतभेद बने हुए हैं। स्थानीय स्तर पर यह बड़ा सवाल बना हुआ है कि कबीर चबूतरा निर्माण को लेकर शुरू हुआ यह विवाद आपसी सहमति और बातचीत से सुलझेगा या फिर इसे शांत करने के लिए शासन-प्रशासन को कड़े फैसले लेने पड़ेंगे।





