छत्तीसगढ़ में 9 की जगह 10 घंटे काम करेंगे कर्मचारी, नाइट शिफ्ट में महिलाएं कर सकेंगी काम, गुमाश्ता के लिए यह नया नियम होगा लागू

छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज सदन में छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना संशोधन विधेयक विधानसभा से पारित कर दिया गया है। इस विधेयक में 20 कर्मचारी तक वाले संस्थान को रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होगी। वहीं महिलाओं की नाइट ड्यूटी लगाने का भी रास्ता साफ हो गया है। जिसके तहत अब महिला कर्मचारी सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरकर नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी। वहीं कर्मचारी अब दिन में 9 की जगह 10 घंटे काम कर सकेंगे। विधेयक में ओवरटाइम की अवधि को भी बढ़ाया गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने दुकान एवं स्थापना अधिनियम 2017 में अहम संशोधन किया है। इस संशोधन के जरिए महिलाओं की नाइट शिफ्ट, ओवरटाइम और ट्रेड लाइसेंस (गुमाश्ता) से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है, जिससे कामकाज का माहौल और अधिक लचीला बनाया जा सके।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में दुकान एवं स्थापना अधिनियम 2017 में संशोधन किया गया है। जिसके बाद महिलाओं को सहमति के साथ नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति मिलेगी। ओवरटाइम की सीमा बढ़ाकर एक तिमाही में 144 घंटे की जा रही है। गुमाश्ता अब ट्रेड लाइसेंस के रूप में जिला श्रम कार्यालय से जारी होगा।
संशोधन के तहत महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी जाएगी, हालांकि यह पूरी तरह महिला कर्मी की सहमति पर आधारित होगी। अभी तक महिलाओं को रात 10 बजे तक ही काम करने की इजाजत थी लेकिन नया नियम लागू होने पर वे रात की ड्यूटी भी कर सकेंगी। श्रम विभाग के अनुसार, सुरक्षा और सहमति से जुड़े प्रावधानों का पालन अनिवार्य रहेगा।
ओवरटाइम के नियमों में भी बदलाव
ओवरटाइम के नियमों में भी बदलाव किया गया है। पहले एक कर्मचारी से तीन महीने में अधिकतम 125 घंटे ही ओवरटाइम कराया जा सकता था लेकिन संशोधन के बाद एक तिमाही में 144 घंटे तक ओवरटाइम की अनुमति होगी।
गुमाश्ता – दुकान पंजीयन के नियमों को बनाया गया सरल
गुमाश्ता यानी दुकान पंजीयन के नियमों को भी सरल बनाया गया है। पहले केवल 10 से अधिक कर्मचारियों वाली दुकानों के लिए यह अनिवार्य था और अब भी यही सीमा बरकरार रखी गई है लेकिन प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित किया गया है। अब गुमाश्ता श्रम विभाग की जगह जिला श्रम कार्यालय द्वारा जारी किया जाएगा और इसे ट्रेड लाइसेंस के रूप में मान्यता मिलेगी। इससे दुकानों को कानूनी पहचान मिलेगी और व्यापार संचालन में पारदर्शिता बढ़ेगी।







