Business

चांदी खरीदने वालों की निकल पड़ी! कीमतों में आई भारी गिरावट, रिकॉर्ड हाई के बाद अब इस रेट पर आ गई चांदी

नई दिल्ली: सुबह चांदी ने निवेशकों को चमकदार रिकॉर्ड दिखाया, लेकिन यह चमक ज्यादा देर टिक नहीं पाई. घरेलू और वैश्विक बाजार में कीमतों का तेज उतार-चढ़ाव आम खरीदार से लेकर बड़े निवेशकों तक, सभी के लिए चर्चा का विषय बन गया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चांदी 80 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंची थी, जिसे मजबूत मांग का संकेत माना गया. लेकिन अचानक आई बिकवाली ने भाव 75 डॉलर से नीचे धकेल दिए.

भू-राजनीतिक तनाव कम होने की खबरों ने Safe-Haven निवेश की धार कुंद कर दी. इसका असर सीधे MCX पर दिखा, जहां कीमतें देखते-देखते नीचे आ गईं. यह गिरावट उन परिवारों को भी प्रभावित करती है जो गहनों को बचत और सुरक्षा के रूप में देखते हैं. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह दौर अवसर के साथ जोखिम की याद भी दिलाता है.

चांदी की चमक एक घंटे में पड़े फीके

रामपुर, नैनीताल या दिल्ली जैसे शहरों में छोटे दुकानदार से लेकर थोक चांदी खरीदार तक, सभी सुबह के रिकॉर्ड भाव पर नजर गड़ाए थे. लेकिन MCX पर मार्च फ्यूचर्स 2,54,174 रुपये प्रति किलो से गिरकर 2,33,120 रुपये पर आ गए. आम सर्राफा बाजार में भी ग्राहक दुकानों पर फोन कर नए रेट पूछते दिखे. तेजी के बाद इतनी बड़ी गिरावट ने छोटे निवेशकों को चौंका दिया. विशेषज्ञ मानते हैं कि भाव में तेज़ हरकतें आगे भी जारी रह सकती हैं.

गिरावट की सबसे बड़ी वजह

गिरावट की सबसे बड़ी वजह प्रॉफिट बुकिंग रही. जिन निवेशकों ने साल की शुरुआत से अब तक चांदी में 181 प्रतिशत की बढ़त देखी, उन्होंने अचानक मुनाफा निकालना शुरू कर दिया. शांति वार्ता की खबरों से बाजार में सुरक्षित निवेश की मांग घट गई. इसका असर उन मध्यम वर्गीय परिवारों पर भी पड़ता है, जो त्योहार या पारिवारिक आयोजनों पर चांदी खरीदते हैं. कम होती मांग और बिकवाली का दबाव मिलकर कीमतों को नीचे ले आया.

पहले ही किसने दी थी चेतावनी

रिलायंस सिक्योरिटीज के विश्लेषक जिगर त्रिवेदी का कहना है कि 2.4 लाख रुपये प्रति किलो का स्तर छोटी अवधि के लिए मजबूत सपोर्ट की तरह काम कर सकता है. हालांकि, BTIG जैसी अमेरिकी फर्म ने आगाह किया है कि कीमतों में इतनी तेज बढ़त लंबे समय तक टिकाऊ नहीं लगती. विशेषज्ञ मानते हैं कि बाजार सकारात्मक संकेत दे रहा है, लेकिन बड़े झटके भी संभव हैं. यह चेतावनी खासकर उन लोगों के लिए अहम है, जो बिना योजना के बड़ी खरीद या निवेश करते हैं.

आई इतिहास की याद

इतिहास भी डर की एक लकीर खींचता है. 1979-80 में चांदी आसमान छूने के बाद 90 प्रतिशत तक टूट गई थी. 2011 में भी यह 75 प्रतिशत से ज्यादा गिरी थी. मनीष बंठिया का मानना है कि शानदार रैली अक्सर शांत नहीं होती. पिछले 12 महीनों में चांदी करीब तीन गुना बढ़ी, इसलिए तेज़ गिरावट की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आम खरीदार और निवेशक दोनों को कीमतों के पीछे के संकेत समझकर ही कदम बढ़ाने चाहिए.

आम लोगों को राहत

शादी के गिफ्ट, पूजा-पाठ की चांदी या सिक्के खरीदने वाले आम लोग इस गिरावट को मौके की तरह देख रहे हैं. लेकिन बाजार जानकारों की सलाह है कि खरीदारी में संतुलन और धैर्य रखें. छोटी बचत करने वाले लोग भी अब निवेश से पहले विशेषज्ञ राय लेना जरूरी समझ रहे हैं. कीमतों में यह हलचल केवल गिरावट नहीं, बल्कि सतर्कता का अलार्म भी है. चांदी अभी भी आकर्षक है, पर योजना के बिना कदम उठाना भारी पड़ सकता है.

ख़बर को शेयर करें

Regional Desk

Regional Desk में अनुभवी पत्रकारों और विषय विशेषज्ञों की पूरी एक टीम है जो देश दुनिया की हर खबर पर पैनी नजर बनाए रखते है जो आपके लिए लेकर आते है नवीनतम समाचार और शोधपरक लेख

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button