पंचमी तिथि पर माता का विशेष श्रृंगार : कलशा चढ़ाकर देवी का पंचरंग श्रृंगार किया गया, श्रद्वालुओं ने माता को चढ़ाए श्रृंगार सामाग्री, आज से पचरा सेवागीत भी शुरू
केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | अंचल में शक्ति आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र की धूम है। भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना-उपासना में लीन है। देर रात तक भक्त दर्शन-पूजन करने पहुंच रहे हैं। क्षेत्र के सभी छोटे-बड़े देवी मंदिर आस्था की ज्योति से जगमगा रहें हैं। मंदिरों व घरों में शंख, घड़ियाल की धुन के बीच सुबह-शाम आरती हो रही है। भक्तों द्वारा देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योति प्रज्जवलित की गई है। साथ ही घरों में भी जँवारा बोया गया है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। भक्त नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत भी रखें हैं और पारण के साथ इसका समापन करेंगे। आज पंचमी तिथि के दिन माता का विशेष श्रृंगार किया गया। देवी मंदिरों में विशेष श्रृंगार के साथ पूजा-अर्चना हुआ। इस दिन स्कंदमाता की पूजा हुई। परंपरा अनुसार पंचमी तिथि पर कलश के ऊपर कलश चढ़ाया गया। यह नवरात्रि पर्व का मध्य दिन होता है। देवी मंदिरों में कलशा चढ़ाकर देवी का पंचरंग श्रृंगार किया गया। उल्लेखनीय है कि, पंचमी के दिन प्रधान कलशा के ऊपर कांसे का लोटा रखकर ज्योति को ऊपर उठाया जाता है। इसे देवी का श्रृंगार माना जाता है। जँवारा निकलकर ज्योति की बत्ती तक न पहुंचे, इसलिए कलश के ऊपर कलश चढ़ाया जाता है। इस अवसर पर श्रद्वालुओं ने माता को माला, साड़ी, लाल चुनरी, ध्वजा, आभूषण आदि श्रृंगार सामाग्री भी चढ़ाए। वहीं आज से श्रृंगार पचरा सेवागीत का गायन भी शुरू हो गया। जहां भक्त देवी-देवता का रूप लेकर झूपते नजर आए। परंपरा अनुसार पंचमी के दिन गांव वाले ठाकुर देव का विशेष पूजन कर ध्वजा चढ़ाते है। उसके बाद लोहे से बनाया गया बाना लाकर घरों में पूजा अर्चना करते हैं। रविवार होने के कारण भी देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। वहीं इस बार माता के दरबार को आकर्षक झालरों से सजाया गया है। भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर समितियां इस बार विशेष तैयारी भी कर रखे हैं। इस बार भक्त सीधे गर्भ गृह तक जाकर माता की पूजा अर्चना कर रहें हैं। सुबह से शाम तक देवी मंदिर जसगीत सेवा गीतों से गुंजायमान हो रहें हैं। सिद्धपीठ महामाया मंदिर, मांवली मंदिर, शीतला मंदिर, बंजारी माता मंदिर खपरी-मढ़ी, बगदई माता सरोरा रोड, भैरवगढ़ माता मंदिर, रणबौर माता मंदिर कुंदरू, माँ महाकाली मंदिर कोल्हान नाला सारागांव, बोहरही धाम पथरी, खल्लारी माता मंदिर अड़सेना, महामाया मंदिर खौना, बजरंगबली मंदिर मुरा सहित सभी देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योति जलाई गई है।