छत्तीसगढ़बस्तर संभाग

Chhattisgarh – अनुठी परंपरा : देवी देवताओं को कर्मों के अनुसार दी जाती है सजा,डाल दिया जाता है कारावास में…देखे पूरी खबर

केशकाल से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भंगाराम माई के मंदिर में हर साल भादों मास में जातरा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान माता के समक्ष 9 परगना के देवी-देवताओं की अदालत भी लगती है, जिसमें देवी-देवताओं के साल भर में गांव में किए गए अच्छे और बुरे कार्यों का हिसाब होता है। ग्रामीण अपने गांव के देवी-देवताओं पर आरोप भी लगाते हैं। जिसके बाद देव समिति दोषी देवी-देवताओं को उनके कार्यों के अनुसार सजा देती है। अच्छा काम करने वाले देवी-देवताओं को उच्च कोटि की उपाधि भी दी जाती है।
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हर साल लगने वाले जात्रा में 9 परगना (1 परगना में 84 गांव) के देवी-देवता और ग्रामीण शामिल होते हैं, जिसकी वजह से हर बार यहां हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे होते है। अंचल के समस्त देवी देवताओं के साथ ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचते है 2 दिनों तक चलने वाले इस जातरा में ग्रामीण रात्रि इसी स्थान पर रुकते है सेवा अर्जी करते है। जिसके बाद दूसरे दिन आयोजन समिति के द्वारा भेट करते हुए उन्हें उनके क्षेत्र रवाना किया जाता है। सजा प्राप्त देवी देवता को नियत समय के लिए कारागार में डाल दिया जाता है।

इस बार सभी अंचल के समस्त देवी देवताओं को बड़ी संख्या में देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। जहां समस्त देवी देवताओं को उनके कार्यों के अनुरूप भंगाराम देवी ने अदालत में सजा दिया, वही सजा के रूप में ग्रामीण मंदिर के पास में ही ग्राम के कई प्रकार के सामग्री छोड़ जाते है बताया जाता है। इन में यदि चांदी सी सोने या कीमती वस्तुवो को भी कोई व्यक्ति पूरे वर्ष कोई हाथ नही लगाता ना ही कोई ले जाता है।

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