देसहा गड़रिया पाल समाज में ‘डीजे’ बैन: त्रैमासिक बैठक में कई अहम फैसले, वैवाहिक पत्रिका विमोचित, महिला कार्यकारिणी भी गठित
केशव पाल @ रायपुर | छत्तीसगढ़ देसहा गड़रिया पाल समाज का त्रै-मासिक कार्यकारणी बैठक रविवार को रायपुर स्थित पाल सामाजिक भवन महादेवघाट रायपुरा में आयोजित किया गया। इस दौरान सामाजिक विषयों पर चर्चा-परिचर्चा हुई। बैठक में समाज हित में कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए। इस दौरान भावी रणनीतियों पर भी विचार किया गया। बैठक में सभी 23 पार के पार प्रमुख, सभी केन्द्रीय पदाधिकारी, युवा प्रकोष्ठ के पदाधिकारी, समाज के सदस्य व बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान समाज ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए शादी-विवाह कार्यक्रम में डीजे बजाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही गोधूली बेला में ही विवाह संपन्न किया जाना भी तय किया गया। इस दौरान महिला प्रकोष्ठ का गठन भी किया गया। जिसमें सर्वसम्मति से विभिन्न पदों पर मनोनयन प्रक्रिया से चुनाव किया गया। बैठक के दौरान समाज के वैवाहिक पत्रिका का विमोचन भी किया गया। इसके साथ ही पार प्रमुख को वार्षिक प्रोत्साहन राशि 1000 रुपए देने की घोषणा भी की गई। बैठक के दौरान न्याय प्रक्रिया अंतर्गत 8 आवेदनों पर सुनवाई हुई। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि, किसी भी प्रकार का निमंत्रण, शोक पत्र या कोई भी जानकारी जो मोबाइल, मैसेज, कॉल से मिली हो उसे भी निमंत्रण समझ सर्वमान्य किया जाना है।
महिला कार्यकारिणी का हुआ गठन
बैठक में मनटोरा पाल व त्रिलोकी पाल संरक्षक, इंदु पाल अध्यक्ष, रूपा पाल उपाध्यक्ष, भारती पाल सचिव, करूणा पाल सहसचिव, माधुरी पाल कोषाध्यक्ष, महेश्वरी पाल महामंत्री, गीता पाल, सीता पाल, दुलारी पाल, चंद्रिका पाल, भेनमती पाल व सीमा पाल मंत्री, सीता पाल, कुमारी पाल, अनुसुइया पाल, बिरझा पाल, दुलारी पाल, सीमा पाल व मोंगरा पाल सलाहकार, कार्यकारिणी सदस्य में योगेश्वरी पाल, उमा पाल, लता पाल, सोनी पाल, गोदावरी पाल, ममता पाल व सोनम पाल की नियुक्ति हुई।
इससे पहले भी लिए गए थे कई ऐतिहासिक फैसले
छत्तीसगढ़ देसहा गड़रिया पाल समाज इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण फैसले समाज हित में ले चुकी है। जिसमें मृत्यु भोज में परोसे जाने वाली कलेवा पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। परंपरा निभाने अब मात्र बड़ा ही परोसी जा रही है। साथ ही समाज ने यह भी निर्णय पारित किया था कि, किसी की मृत्यु होने पर केवल घर वाले ही पीतांबरी ओढ़ाएगा। अन्य लोग केवल पुष्प अर्पित करेगा और स्वेच्छानुसार दान देकर श्रद्धांजलि देगा। उक्त निर्णय को सर्वसम्मति से समाज ने स्वीकार किया। जिसका पालन भी अनिवार्य रूप से किया जा रहा है।