रेणुका सिंह के हाथ काटने वाले बयान पर दीपक बैज का पलटवार, बोले- लोकतंत्र में ऐसा बयान स्थान नहीं रखता
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने केंद्रीय मंत्री और भरतपुर-सोनहत से भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह के हाथ काटने और सोनिया गांधी को इटली भेजने के बयान को आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि, भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है और मुद्दों को भटका कर वे चुनाव लड़ना चाहते हैं।
एक हाथ काटकर दूसरे हाथ में देना जानती हूं
रेणुका सिंह ने कहा था कि जब मैं भाजपा मंडल अध्यक्ष थी तो मेरे ऊपर 12 केस लगे थे, 200 धाराएं लगी थी। कोई पुलिस वाला आपका रास्ता रोकना चाहे, तो जो सीमा पार करना चाहते हैं करिए। मैं वो नेता हूं कि जो मेरे कार्यकर्ता की एक उंगली काटेगा तो मैं उसका एक हाथ काटकर दूसरे हाथ में देना जानती हूं। कार्यकर्ता सम्मेलन में रेणुका सिंह ने कहा था कि, उन्हें (कार्यकर्ताओं को) किसी से डरने घबराने की जरूरत नहीं है, जो सीमा पार करना चाहते है करिए। आप 56 इंच वाले मोदी जी के दल के कार्यकर्ता हैं। इस इरादे के साथ आपको चुनावी रण में उतरना है।
उन्होंने कहा था कि, अधिकारियों को प्रेशर देकर इन्होंने बहुत पैसे कमाए। जिन अधिकारियों ने पैसा नहीं दिया, उनका रातों-रात ट्रांसफर करा दिया। अब इस क्षेत्र में में भूपेश की नजर होगी, जिसका विधायक डरा हुआ है। वे हमारे कार्यकर्ताओं को परेशान करेंगे।
सोनिया गांधी पर दिया था विवादित बयान
रेणुका सिंह ने एक दिन पहले ही सोनिया गांधी पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि, वे पहले सोनिया गांधी को धक्के मारकर इटली भेजें, फिर मुझसे सवाल करें। कांग्रेसियों के बाहरी बताए जाने के बयान से रेणुका सिंह भड़की थीं। उन्होंने भरतपुर को अपना मायका बताया था।
रेणुका सिंह सीनियर नेता, ऐसे बयान की उम्मीद नहीं
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि, रेणुका सिंह एक सीनियर नेता है। उनसे इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं है। लोकतंत्र में ऐसा बयान स्थान नहीं रखता है। ऐसा बयान दे रही हैं कि किसी को बाहर भगाओ, किसी का हाथ काट दो। हम तो ऐसा नहीं बोल रहे हैं कि किसी को भगाओ।
बैज ने कहा कि, मतलब चुनाव जीतने के लिए आप मुद्दों से अलग हटकर बात करेंगे तो इसके लिए लोकतंत्र में स्थान नहीं है। आप किस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाना चाहते हैं, आप जाइये। जनता के पास जाइये, कौन रोक रहा है, लेकिन इस तरह की भाषा से हम सहमत नहीं हैं। लोकतंत्र में इसका कड़ा विरोध करते हैं।