मतदान के पहले चरण में भाजपा कांग्रेस की क्या है स्थिति ?…223 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कल… देखे चुनाव चालीसा
नवीन देवांगन । छत्तीसगढ़ में पहले के लिए कल शाम से प्रचार प्रसार बंद हो गया है और कल सुबह 7 बजे से मतदान शुरु हो जाऐगा जिन 20 सीटों पर वोट डलेंगे उनमें 12 सीटें बस्तर संभाग की हैं। सभी सीटों पर इस समय कांग्रेस है, लेकिन आने वाले चुनाव में आंकड़े बदल सकते हैं। इस वक्त भाजपा 5 सीटों पर मजबूत दिखाई दे रही है, जबकि कांग्रेस अपने खाते की 12 में से सिर्फ 3 पर मजबूत दिख रही है। बाकी 4 सीटों पर कड़ी टक्कर साफ तौर पर देखी जा सकती है
बस्तर की एकमात्र सामान्य सीट याने जगदलपुर में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है । राजनीति में अपने बयानों के लिए मशहूर कवासी लखमा इस बार अपने ही क्षेत्र में विरोध झेल रहे है तो वही दूसरी ओर पीसीसी के पूर्व चीफ मोहन मरकाम को पूर्व मंत्री लता उसेंडी बराबर का टक्कर दे रही हैं।
बात करे सुकमा जिले की तो सुकमा जिले में एकमात्र सीट कोंटा विधानसभा आता है। यहां से कांग्रेस नेता और आबकारी मंत्री कवासी लखमा विधायक हैं। वे यहां से लगातार पांच बार चुनाव जीतते हुए आ रहे है और इस बार याने छठवीं बार फिर मैदान में हैं। लखमा की शहरी इलाके में स्थिति ठीक है, लेकिन ग्रामीण बहुल इस सीट पर कई गांवों में कवासी लखमा को लेकर भारी नाराजगी देखी गई है फर्जी एनकाउंटर और जेल में बंद ग्रामीणों की रिहाई की को लेकर ग्रामीण खासा नाराज दिखे है बात करे दरभागुड़ा, गोरली, रेड्डीपाल, गादीरास समेत कई इलाकों में लखमा को इस मुद्दे को लेकर आदिवासियों का अच्छा खासा विरोध झेलना पड़ा
इस विधानसभा में CPI के मनीष कुंजाम भी रेस में हैं, लेकिन इस बार इनका चुनाव चिन्ह बदल गया है। उन्हें एसी चुनाव चिन्ह मिला है।कहा तो यह भी जा रहा है कि मनीष कुंजाम इस बार कोंटा विधानसभा के सियासी समीकरण बिगाड़ सकते है चुनाव चिन्ह के कारण मनीष कुंजाम को थोड़ा फरक पड़ सकता है वहीं कवासी लखमा के प्रति नाराजगी से सोयम मुका को फायदा मिल सकता है।
बात करे बस्तर इलाके का दंतेवाड़ा विधानसभा सीट की तो यहां कांग्रेस से महेंद्र और देवती कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा चुनावी मैदान में हैं। इसके चलते परिवारवाद का विरोध हो रहा है। यहां से कांग्रेस नेता अमूलकर नाग भी टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय खड़े हो गए हैं। जो कांग्रेस की परेशानी बढ़ा सकता है दंतेवाड़ा में बेरोजगारी आज भी बड़ा मुद्दा है, दंतेवाड़ा की जनता ने हर बार अपना नेता बदला। 2003 में महेंद्र कर्मा विधायक थे। 2008 में भाजपा के भीमा मंडावी विधायक बने, 2013 में फिर कांग्रेस का कब्जा हुआ, लेकिन 2018 में फिर सीट भाजपा के खाते में चली गई। 2019 में नक्सलियों ने भीमा की हत्या कर दी, जिसके बाद हुए उपचुनाव में फिर देवती को जीत मिली और सीट कांग्रेस के पास चली गई।
अब बात कोंडागांव की जो इस जिले में दो विधानसभा सीटें हैं, एक कोंडागांव और दूसरा केशकाल… कोंडागांव में वर्तमान में मंत्री और पूर्व पीसीसी चीफ मोहन मरकाम और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी आमने-सामने हैं। यहां जनता दोनों से नाराज दिखी। आम जन आरोप लगाते दिखे कि दोनों ने ही विधायक और मंत्री रहते इलाके में कोई काम नहीं किया गांव में सड़क, पानी की व्यवस्था और आंगनबाड़ी खोलने जैसे मुलभूत जरुरी काम भी नहीं हो पाऐ है
केशकाल विधानसभा में आज के समय में विकास सबसे बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस के संतराम नेताम हर बार जीतते आ रहे हैं। इस बार उनके मुकाबले में भाजपा से रिटायर्ड IAS नीलकंठ टेकाम मैदान में हैं। लोग दोनों ही प्रत्याशियों को अच्छा मान रहे हैं। हालांकि केशकाल घाटी और सड़कें नहीं बनने से लोगों को तकलीफ उठाना पड़ रही है। दोनों ही सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में मुकाबला 50-50 का दिख रहा है।
बस्तर में सड़क, बिजली और पानी सबसे बड़ा मुद्दा है। बस्तर के कई गांवों में फ्लोराइड युक्त पानी की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। लोगो का कहना है कि सरकार बदलती है, लेकिन साफ पानी नहीं मिलता। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार लखेश्वर बघेल की व्यक्तिगत लहर है, लेकिन काम नहीं होने की नाराजगी भाजपा के मनीराम कश्यप का पक्ष भी कही न कही मजबूत कर रही है।
चित्रकोट विधानसभा में कांग्रेस से PCC चीफ व सांसद दीपक बैज और भाजपा से विनायक गोयल आमने-सामने हैं। विनायक गोयल से एक समाज नाराज है। यहां उनका गाली कांड लोगो के बीच छाया हुआ है। कांग्रेस MLA राजमन बेंजाम को टिकट नहीं मिलने से उनके समर्थक दीपक बैज को नुकसान पहुंचाने की फिराक में हैं। फिलहाल चित्रकोट विधानसभा से दीपक बैज थोड़े मजबूत दिख रहे हैं।
अब बात जगदलपुर की। इस सीट पर दो पूर्व महापौर मैदान में हैं। यहां शहरी मतदाताओं की अधिक संख्या है। लोगो का कहना है कि चुनाव से पहले लुभावने वादे किए जाते हैं। चुनाव के बाद सड़क, बिजली, पानी नाली सब की स्थिति जस की तस बनी हुई है। बाजार में पार्किंग की सुविधा, शेड नहीं है जगदलपुर विधानसभा में प्रत्याशियों में मुकाबला बराबरी का माना जा रहा है
बीजापुर की बात करे तो यहां पानी की समस्या और भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है। आम जनो को भाजपा और कांग्रेस दोनों से नाराजगी है कि सरकार रहते हुए पानी की समस्या का निराकरण नहीं किया गया। न तो विकास के ही काम हुए , यहां कांग्रेस से निष्कासित प्रत्याशी अजय सिंह के समर्थक भी नाराज हैं बीजापुर में अंदरूनी तौर पर भितरघात की स्थिति बन रही है। भाजपा की स्थिति थोड़ी ठीक ठाक दिख रही है
अब बात नारायणपुर की तो यहां अबूझमाड़ में धर्मांतरण का मामला जोर पकड़े हुए है। चर्च में तोड़फोड़ के बाद से एक वर्ग कांग्रेस से भी खफा है। लोगों ने कहा- कांग्रेस ने उनका समर्थन नहीं किया। वहीं ईसाई समाज की भी कांग्रेस से नाराजगी है। ऐसे में पासा पलट सकता है। माइनिंग के लोडिंग ट्रकों के चलते जर्जर हो चुकी सड़कें भी लोगों के विरोध का कारण बन रही हैं। ओरछा ब्लॉक के कई गांवों ने तो चुनाव बहिष्कार की बात कही है। माइनिंग का काम बंद कराने को लेकर आंदोलन तक पर बैठे हुए हैं। इस इलाके में मतदान प्रतिशत कम होगा तो नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ेगा। भाजपा के लिए माहौल फिलहाल ठीक है।
कांकेर विधान सभा में कांग्रेस ने कांकेर और अंतागढ़ सीट पर अपने प्रत्याशियों को बदला है। अंतागढ़ में कांग्रेस MLA अनूप नाग ने टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत कर दी और वे निर्दलीय मैदान में उतर चुके है। ऐसे में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि भानुप्रतापपुर में कांग्रेस की स्थिति अच्छी है। खदान के चलते बंजर होती जमीन और जिला बनाने की मांग भानुप्रतापपुर और अंतागढ़ में उठती रही है, इस बार भी इसे लेकर माहौल बना हुआ है।
बस्तर में नगरनार प्लांट रोजगार की उम्मीदें लेकर आया था। चुनाव में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा इसका निजीकरण करना चाहती है। अमित शाह ने बस्तर आकर मंच से कहा कि निजीकरण नहीं होगा। लोगों के बीच नगरनार प्लांट के निजीकरण को लेकर चर्चा है। सीएम बघेल भी आरोप लगाते रहे है कि भाजपा नगरनार का निजीकरण कर के रहेगी वे कहते दिखे है कि भाजपा के इस मंसूबे को वो पूरा करने नही देंगे….बस्तर की बात हो और धर्मांतरण का मुद्दा न आऐ ऐसा नहीं हो सकता पूरे बस्तर में धर्मांतरण को लेकर माहौल गर्म है। नारायणपुर में इसे लेकर एसपी पर हमला भी हो चुका है। गांव-गांव में चर्च खोले जाने से गांवों में ही संघर्ष चल रहा है। लोग ईसाई धर्म अपनाने वालों के शव भी दफनाने नहीं दे रहे ऐसी कई खबरे बीच बीच में हमारे और आपके बीच पहुंचती ही रही है, इसे लेकर भाजपा आक्रामक है। कांग्रेस का आरोप है कि सबसे ज्यादा चर्च भाजपा शासनकाल में ही खोले गए। नक्सलवाद आज भी बस्तर का बड़ा मुद्दा बना हुआ है। लगातार फोर्स की तैनाती बढ़ रही है, इसका गांव वाले विरोध भी करते आ रहे हैं। मगर नारायणपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा जैसे जिलों में आज भी नक्सल प्रभाव बहुत है। इसके अलावा रावघाट रेल परियोजना का धीमा काम भी वोटर्स की नाराजगी का कारण है। तो कल बस्तर के सभी 12 सींटो पर मतदान है, पिछले विधानसभा चुनाव में बस्तर में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की थी पर इस बार राह उतनी आसान नहीं दिख रही है
पहले चरण के मतदान के 48 घंटे पहले पांच नवंबर को शाम पांच बजे प्रचार थम गया। पहले चरण के 20 सीटों पर दो अलग-अलग समय पर मतदान होगा। नक्सल प्रभावित व संवेदनशील मतदान केंद्रों में सुबह सात बजे से दोपहर तीन बजे तक मतदान होगा। पहले चरण की 20 सीटों पर मतदान कल सुबह से शुरु हो जाऐगा जहां 40 लाख वोटर्स 223 उम्मीदवारों तय का भाग्य तय करेंगे कुल 223 उम्मीदवार चुनावी मैदान पर हैं, जिनमें 198 पुरूष तथा 25 महिला हैं। पहले चरण के लिए 40 लाख 78 हजार 681 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 19 लाख 93 हजार 937 पुरुष मतदाता, 20 लाख 84 हजार 675 महिला मतदाता तथा 69 तृतीय लिंग मतदाता शामिल हैं। पहले चरण के चुनाव के लिए कुल 5,304 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मोहला-मानपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा में सुबह सात से दोपहर तीन बजे तक मतदान
वही पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, बस्तर, जगदलपुर और चित्रकोट में यहां सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक मतदान किया जा सकेगा