‘अखुरथ संकष्टी चतुर्थी’ आज : महिलाएं रखेंगी व्रत, मंगलमूर्ति की होगी विशेष पूजा-अर्चना, चंद्रोदय का भी रहता है महत्व
केशव पाल, NEWS 36 @ रायपुर | पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर ‘अखुरथ संकष्टी चतुर्थी’ मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। आज 11 दिसंबर रविवार को ‘अखुरथ संकष्टी चतुर्थी’ है। संकष्टी चतुर्थी व्रत भगवान गणेश जी को समर्पित व्रत होता है। महिलाएं इस दिन यह व्रत अपने संतान की लंबी आयु व जीवन के संकटों से छुटकारा पाने के लिए करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। ज्योतिषियों के अनुसार, अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का बहुत महत्व होता है। व्रत रखने वाले लोग चंद्र दर्शन और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करते हैं। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को सर्वप्रथम पूजनीय देवता का स्थान दिया गया है। किसी भी मांगलिक कार्य से पहले इनकी पूजा अवश्य की जाती है। वैसे तो गणेश जी का पूजन के लिए बुधवार का दिन समर्पित है, लेकिन हर माह आने वाले चतुर्थी तिथि के दिन भी गणेश जी का पूजन किया जाता है, जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस बार पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुथी तिथि 11 दिसंबर यानी आज पड़ रही है जिसे ज्योतिष शास्त्र में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी नाम दिया गया है।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार अखुरथ संकष्टी चतुर्थी तिथि 11 दिसंबर को 4 शाम बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 12 दिसंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। इस दिन चंद्रमा का पूजन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। चंद्रोदय चतुर्थी तिथि के दिन 11 दिसंबर को रात 8 बजकर 1 मिनट पर होगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की मान्यता
मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी पूजन करने से मुनष्य के जीवन में आ रहे सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं। और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तजन दिनभर व्रत करने के बाद रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलते हैं।