Chhattisgarh News- 72 साल के जीवन साथी, एक ही चिता पर विदा, पति की मौत का सदमा सह नहीं पाई पत्नी

कोरबा जिले के प्रगतिनगर दीपका में पति की मौत के 24 घंटे के अंदर ही पत्नी की भी जान चली गई। इसके बाद दोनों की शव यात्रा साथ निकली और अंतिम संस्कार एक ही चिता पर हुआ। ये मंजर देखकर लोगों की आंखें नम हो गईं। दंपति की शादी को 72 साल हो चुके थे।
95 साल के वशिष्ठ नारायण सिन्हा मूलत: बिहार निवासी के रहने वाले थे। पिछले कई सालों से वो दीपका में रहते थे। लंबे समय से बीमार चल रहे वशिष्ठ नारायण का इलाज चल रहा था। 6 दिसंबर बुधवार दोपहर करीब 3 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। शव को गेवरा स्थित विभागीय अस्पताल की मर्च्युरी में रखा गया था।
जीवन साथी की मौत का सदमा सह नहीं पाई पत्नी
वशिष्ठ नारायण के निधन के बाद बिहार से आने वाले परिजन का इंतजार किया जा रहा था। सभी परिजन गुरुवार को दीपका पहुंचे। अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी, इसी बीच वशिष्ठ नारायण की पत्नी 84 वर्षीय रमावती देवी की भी रोते-रोते मौत हो गई। 72 सालों के साथ में वो जीवन साथी से बिछड़ने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकीं।
एक चिता पर हुआ दोनों का अंतिम संस्कार
शादी के मंडप पर जन्म-जन्म का साथ निभाने की कसम खाने वाली इस जोड़ी को दीपका कोयलांचल क्षेत्र में धूमधाम से आखिरी विदाई दी गई। मौत के बाद दोनों की शवयात्रा भी साथ-साथ निकाली गई।गुरुवार को दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ एक ही चिता पर किया गया।
1951 में हुई थी शादी, कभी झगड़ा नहीं हुआ
SECL दीपका परियोजना में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत बेटे संतोष कुमार सिन्हा ने बताया कि उनके माता-पिता का विवाह साल 1951 में हुआ था। मां-पिताजी का समाज और परिवार में बहुत सम्मान और आदर था। लोग उनसे सलाह मशविरे के लिए घर आते थे। 72 सालों में दोनों के बीच कभी लड़ाई झगड़ा या मनमुटाव नहीं देखा।
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