Chhattisgarh : MBBS में फर्जीवाड़ा…BJP नेता की भतीजी समेत तीन का एडमिशन रद्द, फेक EWS सर्टिफिकेट का लिया था सहारा

Chhattisgarh : न्यायधानी बिलासपुर मेडिकल कॉलेज में MBBS दाखिले के दौरान फेक EWS सर्टिफिकेट के सहारे एडमिशन लेने वाले तीन छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया गया है , तीन छात्रा सुहानी सिंह, श्रेयांशी गुप्ता और भव्या मिश्रा ने फेक EWS सर्टिफिकेट का सहारा लिया था, नीट परीक्षा पास करने के बाद इन छात्राओं ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटे के तहत प्रवेश के लिए प्रमाणपत्र जमा किए थे जो जांच में फर्जी पाए गए।
तहसीलदार गरिमा ठाकुर ने पुष्टि की कि प्रस्तुत प्रमाणपत्रों पर लगे हस्ताक्षर और सील नकली थे। जांच में यह भी सामने आया कि बिलासपुर तहसील कार्यालय में इन छात्राओं के नाम से कोई आवेदन या प्रकरण दर्ज ही नहीं था। नीट परीक्षा पास करने के बाद तीनों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे के तहत प्रवेश के लिए प्रमाणपत्र जमा किए थे। लेकिन तहसील कार्यालय की जांच में यह दस्तावेज पूरी तरह फर्जी पाए गए।
MBBS समेत मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए हर साल राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) होती है। छात्रों को मिले रैंक और अंकों के आधार पर काउंसलिंग की जाती है और सीटें अलॉट होती हैं।EWS कोटे के तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को 10% आरक्षण मिलता है। इसी आरक्षण का लाभ उठाने के लिए छात्राओं ने फर्जी सर्टिफिकेट का सहारा लिया।
ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट की पात्रता (EWS Certificate Eligiblity)
सालाना पारिवारिक आय 8 लाख से कम होना चाहिए।
सिर्फ एक वर्ष के लिए मान्य होता है।
नगर सीमा में 1,000 वर्गफुट से कम मकान होना चाहिए।
पांच एकड़ से कम कृषि भूमि होनी चाहिए।
स्कूल-कालेज एडमिशन व सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता है।
फर्जी दस्तावेज जमा करने का मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है और तीनों छात्राओं का MBBS प्रवेश निरस्त कर दिया गया है
DME ने दस्तावेजों को वेरिफिकेशन के लिए तहसील भेजा था
मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया के दौरान संचालक चिकित्सा शिक्षा (DME) ने दस्तावेजों को वेरिफिकेशन के लिए तहसील भेजा था। तहसीलदार गरिमा ठाकुर ने जांच के बाद कहा कि तीनों प्रमाणपत्र नियमों के तहत जारी ही नहीं हुए। दस्तखत और सील फर्जी हैं। रिपोर्ट कलेक्टर संजय अग्रवाल को सौंपी गई।
प्रमाणपत्र पेश नहीं कर सकीं छात्राएं
डीएमई ने छात्राओं को 8 सितंबर तक सही दस्तावेज और स्पष्टीकरण देने का मौका दिया, लेकिन समय सीमा तक वे प्रमाणपत्र पेश नहीं कर सकीं। इसके बाद नियमों के तहत उनका प्रवेश रद्द कर दिया गया। अब तीनों इस साल किसी भी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं ले पाएंगी।
दरअसल, तीनों छात्राओं ने बिलासपुर तहसील से जारी बताकर नीट (UG) परीक्षा और मेडिकल कॉलेज एडमिशन में फर्जी EWS सर्टिफिकेट लगाया। इस सर्टिफिकेट की मदद से वे मेडिकल काउंसलिंग में शामिल हुईं और आरक्षित कोटे के तहत सीट हथिया ली।
बिलासपुर तहसीलदार गरिमा सिंह ने साफ किया है कि इन छात्राओं के नाम से कभी कोई आवेदन तहसील कार्यालय में दर्ज नहीं हुआ। न ही तहसील से इन छात्राओं के नाम से कभी कोई सर्टिफिकेट जारी किया गया है। वहीं बिलासपुर एसडीएम मनीष साहू ने भी पुष्टि की कि आयुक्त चिकित्सा शिक्षा की ओर से वेरिफिकेशन के लिए जो सूची भेजी गई थी, उसमें दर्ज तीनों नामों का ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट तहसील की ओर से जारी नहीं किया गया है। तीनों ने फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर मेडिकल सीट हासिल की है।
नियमानुसार नहीं बनवाए प्रमाणपत्र- कलेक्टर
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि, छात्राओं ने नियमानुसार ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र नहीं बनवाया था, इसलिए वेरिफिकेशन में ही मामला उजागर हो गया। जांच में पता चला कि जारी किए गए प्रमाणपत्रों पर अलग-अलग सील लगी हैं। तहसीलदार के हस्ताक्षर भी मेल नहीं खाते। जबकि प्रमाणपत्र जारी होने की अवधि में केवल एक ही तहसीलदार पदस्थ थीं। तहसीलदार और एसडीएम ने इसे फर्जी बताते हुए रिपोर्ट कलेक्टर और चिकित्सा शिक्षा आयुक्त को भेज दी थी।
बीजेपी नेता की भतीजी समेत तीन लेपेटे में आए
दरअसल, जिन तीन छात्राओं का नाम इस फर्जीवाड़े में सामने आया है, वे बिलासपुर शहर की ही रहने वाली हैं। इनमें सुहानी सिंह, पिता सुधीर कुमार सिंह, जो सीपत रोड लिंगियाडीह की रहने वाली है। सरकंडा निवासी श्रेयांशी गुप्ता बीजेपी नेता और उत्तर मंडल अध्यक्ष की सतीश गुप्ता की भतीजी है। वहीं, भाव्या मिश्रा, पिता सूरज कुमार मिश्रा, जो सरकंडा की रहनी वाली है।
क्लर्क प्रभार से हटाया गया
परिजनों का दावा है कि उन्होंने नियमानुसार ऑनलाइन आवेदन और दस्तावेज जमा किए थे, लेकिन कागज तहसील कार्यालय से गायब हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि सील या हस्ताक्षर में बदलाव दफ्तर के अंदर हुआ होगा। इस बीच, मामले में क्लर्क प्रहलाद सिंह नेताम को नोटिस जारी कर प्रभार से हटाया जा चुका है।