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Raipur Loksabha 2024 – भाजपा के अजेय योद्धा को चित्त कर पाऐगी कांग्रेस ?…देखे ‘चुनाव चालीसा’

Raipur Loksabha 2024 – नवीन देवांगन । छत्तीसगढ़ की वह सीट जिसपे माना जा रहा है कि बीजेपी एकतरफा जीत हासिल करेगी, वह सीट जहां बीजेपी का किला कांग्रेस भेद नहीं पाई है, 9 विधानसभा सीट वाली इस लोकसभा में 8 पर भाजपा के विधायक काबिज है तो एक पर कांग्रेस…बीजेपी इस अभेद लोकसभा सीट को किसी कीमत पर हाथ से जाने देना नहीं चाहती लिहाजा यहां से राजनीति के अजेय माने जाने वाले योद्धा को मैदान में उतारा है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस हर बार इस सीट से नए चेहरे को मौका देते आई है पर कांग्रेस का हाथ खाली के खाली ही रहा…क्या इस बार कांग्रेस भाजपा के इस अभेद किले को भेद पाऐगी क्या कांग्रेस इस बार राजनीति के अजेय योद्धा को पटखनी देने में सफल हो पाऐगी… इस बार हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ की राजधानी के रायपुर लोकभा सीट के बारें में
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रायपुर लोकसभा सीट की नब्ज टटोलने से पहले इसके इतिहास के बारें में मोटा मोटी जान लेना जरुरी है रायपुर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है. ऐसा माना जाता है कि रायपुर नगर की स्थापना 14वीं शत्ती ईस्वी में की गई थी. ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से रायपुर दक्षिणी कोशल का हिस्सा था और इसे मौर्य साम्राज्य के तहत माना जाता था. खारुन नदी के तट में बसा रायपुर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा शहर है. इसके साथ-साथ राज्य का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र भी है. राजधानी रायपुर देश दुनिया के हवाई और रेल सेवाओं से जुड़ा हुआ है रायपुर को व्यापार के लिए देश के सबसे अच्छे शहरों मे से एक माना जाता है. छत्तीसगढ़ के विभाजन के पूर्व रायपुर मध्य प्रदेश राज्य का अंग था. रायपुर खनिज संपदा से भरपूर है. यह देश में स्टील एवं लोहे के बड़े बाजारों मे से एक है. अगर पर्यटन स्थलों की बात करें तो यहां बूढ़ा तालाब, माता कौशल्या मंदिर, भगवान राम का करीब 5०० साल पुराना मंदिर दूधधारी मंदिर है.

छत्तीसगढ़ की रायपुर लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है. खारुन नदी के तट पर बसा रायपुर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा शहर है. रायपुर लोकसभा सीट 1952 में पहली बार अस्तित्व में आई थी. यहां से मौजूदा सासंद भारतीय जनता पार्टी के सुनील कुमार सोनी हैं. वहीं, इस बार भी बीजेपी ने बृजमोहन अग्रवाल को यहां से प्रत्याशी बनाया है. उधर, कांग्रेस ने इस सीट पर विकास उपाध्याय को टिकट दिया है. करीब तीन दशक से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.
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बता दें कि 1952 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. इसके बाद बाकी के कुछ साल को छोड़कर फिर यह बीजेपी की गढ़ माने जाने लगी. 1996 से लेकर 2019 तक इस सीट पर लगातार बीजेपी का कब्जा रहा. रमेश बैस लगाार जीतते रहे. बैस 1996 से 2014 तक लगातार सांसद रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में सुनील कुमार सोनी ने जीत दर्ज की. सुनील कुमार सोनी ने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को हराया था. रायपुर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल आठ सीटें आती हैं. इन सीटों में बलौदा बाजार, भाटापारा, धरसीवा, रायपुर शहर ग्रामीण, रायपुर शहर पश्चिम, रायपुर शहर उत्तर, रायपुर शहर दक्षिण, आरंग और अभनपुर शामिल हैं.

छत्तीसगढ़ का रायपुर लोकसभा सीट कई मायने में खास रहा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी बनने के बाद रायपुर लोकसभा सीट और भी खास बन गई। राज्य की पहली महिला सांसद मिनीमाता रायपुर सीट से ही जीती थी। उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। वह महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की प्रबल समर्थक थीं। वह गरीबी और अशिक्षा के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध थीं।
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लोकसभा चुनाव के चुनावी रण में रायपुर सीट का इतिहास बेहद रोचक है। ये वही सीट है जिस पर कुछ साल तक एक ही नेता का सिक्का चलता था, वह हैं भाजपा के कद्दावर नेता रमेश बैस। बैस अभी महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, उन्होंने रायपुर लोकसभा सीट पर सात बार सांसद बनकर इतिहास रच दिया। इस सीट पर भाजपा ने इस बार शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है। बृजमोहन अग्रवाल राजनीति में अजेय योद्धा और संकटमोचक माने जाते हैं। रायपुर-दक्षिण विधानसभा सीट से वह लगातार आठ बार के विधायक हैं। उनके सामने चुनाव में जीतने से ज्यादा लीड लेकर जीत करने की चुनौती है। साथ ही रमेश बैस जैसे ही अब सांसदी में भी रिकार्ड बनाने की चुनौती होगी। रायपुर की जनता के बीच कुछ इसी तरह की चर्चा गर्म है। बृजमोहन इस सीट को जीतने और बड़ी लीड पाने की मशक्कत भी कर रहे हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर युवा नेता व पूर्व विधायक विकास उपाध्याय पर दांव खेला है।

वहीं कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़ रहे विकास उपाध्याय पहली बार रायपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वह कांग्रेस के पांच न्याय और 25 गारंटी को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। वर्ष 2018 में विकास पहली बार रायपुर पश्चिम से विधायक बने। तीन बार के बीजेपी विधायक रहे राजेश मूणत को हराया था। विधानसभा चुनाव 2023 में राजेश मूणत ने उन्हें हराकर इस सीट पर कब्जा कर लिया।
राजनीतिक अनुभव के मुकाबले बृजमोहन का अनुभव विकास की तुलना में कहीं अधिक है मगर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि रण चाहे जो भी हो, कभी भी अपने सामने लड़ रहे व्यक्ति को कमजोर नहीं माना जाना चाहिए। शायद इसी फार्मूले को मानते हुए भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल और उनकी टीम ने रायपुर सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है। न सिर्फ रायपुर में, बल्कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ में भाजपा विकास की लहर से चुनाव लड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकासपरक छवि, अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर का निर्माण, हर घर शौचालय, नल से जल जैसी विकास की उपलब्धियों को बटोरे हुए भाजपा के नेता लोगों के घरों तक पहुंच रहे हैं।

रायपुर के लोगों का मत है कि रायपुर में बृजमोहन अग्रवाल को परास्त करना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। यह बीजपी का गढ़ रहा है। हर बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नये चेहरे उतारती है पर उसके हाथ खाली रह जाते हैं। रायपुर से बीजेपी प्रत्याशी बृजमोहन की लोगों में पकड़ है। उन्होंने हर बिरादरी को साध रखा है। यहां उन्हें कोई नहीं हरा सकता। हर जगह गली-मोहल्लों,चौक-चौराहों, गुमटी, ठेलों पर कांग्रेस छोड़ बृजमोहन के ही नाम की चर्चा है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय चुनावी मैदान में खाली नजर आते हैं। राजधानी में कांग्रेस के बैनर-पोस्टर नहीं दिख रहे हैं। कांग्रेसी प्रचार-प्रसार से गायब दिख रहे हैं। सभी चौक-चौराहों पर बीजेपी का ही प्रचार-प्रसार नजर आ रहा है। वहीं कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता दबी जुबान में कहते दिखे कि कांग्रेस प्रत्याशियों के पास पैसे नहीं हैं चुनाव लड़ने के लिए। इसलिये वो तन से तो लड़ रहे हैं पर मन से हार मान चुके हैं। क्योंकि कांग्रेस के एकाउंट फ्रीज हो चुके हैं।
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इतिहासकार बताते हैं कि 1967 के लोकसभा चुनाव में रायपुर की सीट से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे आचार्य जेबी कृपलानी भी चुनाव हार चुके हैं। 1947 में जब भारत को आजादी मिली उस समय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य कृपलानी ही थे, उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू से अपने मतभेद के चलते कांग्रेस छोड़ दी थी, रायपुर से 1967 का लोकसभा चुनाव भी उन्होंने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी केएल गुप्ता से लड़ा और हार गए।

रायपुर सीट पर 1952 से अब तक 17 लोकसभा चुनाव हुए। इसमें आठ बार कांग्रेस और आठ बार भाजपा जीती। एक बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी पुरुषोत्तम लाल कौशिक ने जीत हासिल की। राज्य निर्माण से पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है मगर राज्य निर्माण के बाद यहां भाजपा मजबूत हुई। भाजपा के कद्दावर नेता रमेश बैस इस सीट पर पहली बार 1989 में सांसद बने। इसके बाद रमेश बैस 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में सांसदकेयूर भूषण, भूपेश बघेल और श्यामाचरण शुक्ल को हराए थे बैस

रमेश बैस पहली बार वर्ष 1989 में रायपुर लोकसभा से सांसद चुने गए। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार गांधीवादी नेता केयूर भूषण को चुनाव हराया था। हालांकि 1991 में हुए लोकसभा चुनाव मे बैस कांग्रेस के वरिष्ष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल से चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2004 में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल और वर्ष 2009 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हरा दिया था।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे विद्याचरण शुक्ल को रायपुर लोकसभा सीट से ही पहचान मिली। आपातकाल में विद्याचरण शुक्ल भी लोगों के गुस्से से बच नहीं पाए और 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के प्रत्याशी के तौर पर खड़े पुरुषोत्तम लाल कौशिक से 85 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से पराजित हुए थे। विद्याचरण शुक्ला इस सीट से कुल चार बार लोकसभा का चुनाव लड़े. दो बार जीते और दो बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2013 में झीरम घाटी की घटना में विद्याचरण शुक्ल की हत्या हो गई थी।

रायपुर की लोकसभा सीट में वैसे तो सभी जाति के लोग निवासरत हैं पर बड़ी आबादी साहू समाज की है। साहू, कुर्मी, यादव, सतनामी समाज, सिख, मुस्लिम समेत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के मतदाता भी इस सीट पर प्रभावी हैं। रायपुर लोकसभा क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाके आते हैं। यहां रोजगार, पलायन, कृषि, शहरी विकास, सड़क, शुद्ध पेयजल, बिजली और मकान जैसे मुद्दे अहम हैं।

तमाम मुद्दो से इतर मोदी की गांरटी और बृजमोहन अग्रवाल की छबि फिलहाल कांग्रेस की न्याय पत्र और विधानसभा में पराजित विकास उपाध्याय के आगे भारी दिखती है, गर कुछ चमत्कार जैसा कुछ हो तभी नहीं तो यह सीट भी इस बार भाजपा के खाते में आने की पूरी की पूरी संभावना जताई जा रही है, खैर राजनीति में कुछ कहां नहीं जा सकता… यहां उंट कब किस करवट बैठ जाऐं, मतदाताओं के मन में क्या चल रहा था इसका पता मतगणना याने काउंटिग के दिन ही चलता है रायपुर लोकसभा में वोटरों के इसी फैसले के लिए भी हमें इंतजार करना होगा चार जून याने मतगणना के दिन का….
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Highlights

📌1957 कांग्रेस के बीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी केशर कुमारी देवी चुनीं गईं
📌1962 रायपुर लोकसभा सीट पर रानी केशर कुमारी देवी लोकसभा सदस्य चुनीं गईं
📌1967 कांग्रेस पार्टी के लखन लाल गुप्ता लोकसभा सदस्य चुने गए
📌1971 कांग्रेस पार्टी से विद्याचरण शुक्ल लोकसभा सदस्य चुने गए
📌1977 जनता पार्टी से पुरुषोत्तम कौशिक लोकसभा सदस्य चुने गए
📌1980 केयूर भूषण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) से लोकसभा सदस्य चुने गए
📌1984 केयूर भूषण कांग्रेस से दोबारा लोकसभा सदस्य चुने गए
📌1989 भाजपा से पहली बार रमेश बैस लोकसभा सदस्य बने
📌1991 कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल दूसरी बार लोकसभा सदस्य बने
📌1996 भाजपा से दूसरी बार रमेश बैस लोकसभा सदस्य बने
📌1998 भाजपा से तीसरी बार रमेश बैस लोकसभा सदस्य बने
📌1999 भाजपा से चौथी बार रमेश बैस लोकसभा सदस्य बने
📌2004 भाजपा से पांचवी बार रमेश बैस लोकसभा सदस्य बने
📌2009 भाजपा से छठवीं बार रमेश बैस लोकसभा सदस्य बने
📌2014 भाजपा से सातवीं बार रमेश बैस लोकसभा सदस्य बने
📌2019 भाजपा से पहली बार सुनील कुमार सोनी लोकसभा सदस्य बने
📌रायपुर लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र, एक में कांग्रेस विधायक
📌बलौदाबाजार विधानसभा टंकराम वर्मा (भाजपा)
📌भाटापारा विधानसभा इंद्रकुमार साव (कांग्रेस)
📌धरसींवा विधानसभा अनुज शर्मा(भाजपा)
📌रायपुर शहर पश्चिम विधानसभा राजेश मूणत (भाजपा)
📌रायपुर शहर उत्तर विधानसभा पुरंदर मिश्रा (भाजपा)
📌रायपुर शहर दक्षिण विधानसभा बृजमोहन अग्रवाल (भाजपा)
📌रायपुर ग्रामीण विधानसभा मोतीलाल साहू (भाजपा)
📌अभनपुर विधानसभा इंद्रकुमार साहू (भाजपा)
📌आरंग विधानसभा गुरु खुशवंत सिंह साहेब (भाजपा)
📌इस लोकसभा सीट में कुल 9 विधानसभा क्षेत्र है।
📌रायपुर लोकसभा में 2383 मतदान केंद्र हैं।
📌शहरी मतदान केंद्र की संख्या 1231 ग्रामीण मतदान केंद्र की संख्या 1156
📌पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं की संख्या 50 हजार 483
📌50 साल से अधिक मतदाताओं की संख्या 11420
📌दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 17281, सर्विस वोटर्स की संख्या 640
📌कांग्रेस ने इस सीट पर विकास उपाध्याय को टिकट दिया है
📌इस बार भी बीजेपी ने बृजमोहन अग्रवाल को यहां से प्रत्याशी बनाया है

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