रतनपुर : यज्ञ हवन के लिए जहां घी भर कर रखा जाता उस घी कुड़िया तालाब का अस्तित्व खतरें में
रतनपुर । गुरुदेव सोनी । एक समय में छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी रतनपुर को तलाबों की नगरी कहा जाता था.. धर्म नगरी रतनपुर में सैकड़ो मंदिर है ठीक उसी प्रकार यहां बेशुमार तालाब भी है और ये तालाब कभी सोलह सिंगार से युक्त नई-नई दुल्हन की तरह दिखाई पड़ती थी, किंतु अब साफ सफाई के अभाव में इन तालाबों की इस कदर दुर्दशा हुई है और अधिकांश तालाब तो अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई है, रतनपुर के इतिहास में प्राचीन समय में राजा महाराजा यहां पर अनेक तालाब खुदवाए उनमें से एक दो स्थानों पर घी कुड़िया नाम से छोटे छोटे तालाबनुमा कुंड भी है, जिनमें रतनपुर के भीम चौक से चंद कदमों की दूरी पर स्थित घी कुड़िया तालाब है दरअसल यह एक तालाब नहीं बल्कि तालाब के स्वरूप में एक विशाल कुंड है जिसका निचला सतह फर्सीकरण या गुड, चुने गोंद को मिलाकर जिप्सम से ढलाई हुआ करता था, बताया जाता है कि जिसमें राजा महाराजाओं के द्वारा इस कुंड में पानी की जगह यज्ञ हवन आदि के लिए घी भर कर रखा जाता था जिसकी खुशबू से पूरा क्षेत्र महकते रहता था किंतु आज की स्थिति में इस घी कुड़िया कुंड पर नजर डालें तो वहां बदबूदार गंदा पानी और कचरा भरा हुआ है। जिससे दुर्गंध आ रही है और इसके तीनों तरफ बने मकानों से निकासी का गंदा पानी, कचरा वह मलबा फेंका जा रहा है जिससे धीरे-धीरे यह धार्मिक ऐतिहासिक महत्व का तालाब का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है।
इस संबंध में यहां नवपदस्थ नगरपालिका अधिकारी कन्हैया निर्मलकर इस बात को संज्ञान में लेते हुए भरोषा दिलाया कि वहां पर से अतिक्रमण हटवाकर जल्द ही उक्त घी कुड़िया कुंड का सौंदर्यीकरण कराया जाएगा।
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