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छत्तीसगढ़ में लाल आतंक पर सबसे बड़ा प्रहार, जाने जवानों को कैसे मिली कामयाबी…देखे Encounter की Inside Story

दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले के सीमा पर सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन को अंजाम दिया है । करीब 1000 से ज्यादा जवानों ने महज 2 घंटे की मुठभेड़ में ही 31 नक्सलियों को मार गिराया। मारे गए सभी माओवादियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। पुलिस के जवान 3-4 पहाड़ और नदी-नाले पार कर नक्सलियों के ठिकाने पर पहुंचे थे।
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पूर्वी बस्तर डिवीजन कमेटी की लीडर नीति समेत एक मेंबर के भी ढेर होने की खबर है। नीति पर 8 से 10 लाख रुपए का इनाम घोषित था। हालांकि, जवान अब भी मौके पर ही मौजूद हैं। सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। मारे गए माओवादियों की संख्या बढ़ सकती है। इसे अब तक सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन बताया जा रहा है। इससे पहले जवानो ने कांकेर में 29 माओवादी मार गिराए गए थे।

आखिर जवानों को इतनी बढ़ी सफलता कैसे हाथ लगी ?
आखिर जवानों को इतनी बढ़ी सफलता कैसे हाथ लगी…तो जो इसके पीछे की कहानी निकल कर आ रही है उसके अनुसार जवानों को अबूझमाड़ में ओरछा थाना क्षेत्र के थुलथुली इलाके में पूर्वी बस्तर डिवीजन, कंपनी नंबर 6 के 50 से ज्यादा नक्सलियों की मौजूदगी की सटीक सूचना मिली थी। इसके बाद करीब 4 घंटों तक ऑपरेशन लांच करने के लिए अफसरों ने प्लानिंग की।

बुधवार की देर रात तक इस बात पर ही माथापच्ची चलती रही कि जिस थुलथुली में नक्सली जमा हैं। इसके बाद प्लान बनाया गया और यह ऑपरेशन इंटर डिस्ट्रिक कोआर्डिनेशन के तहत चलाने का फैसला लिया गया। इस ऑपरेशन में जवानों को दो तरफ से थुलथुली की ओर भेजा जाएगा और करीब पांच जिलों के बेस्ट जवानों को इसमें शामिल किया जाएगा। इसके बाद 3 अक्टूबर को दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले से करीब 1 हजार से ज्यादा DRG और STF के जवानों को ऑपरेशन पर भेजा गया था।

गुरुवार की सुबह होते दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले को ऑपरेशन लीड करने की जिम्मेदारी दी गई। जवान गुरुवार को ही जंगलों में घुस गए थे। इसके बाद जवान भारी बारिश के बीच करीब 3 से 4 पहाड़, नदी-नाले पार किए और थुलथुली-नेंदुर गांव के जंगल में पहुंच गए थे।

नक्सलियों के टॉप लीडर्स एक जगह से दूसरी जगह मूवमेंट कर रहे थे, लेकिन भारी बारिश की वजह से वे भी पहाड़ पर एक ठिकाने पर रुक गए थे। बारिश थमने का इंतजार कर रहे थे। वहीं जवानों को इसी का फायदा मिला। जिसके बाद नारायणपुर और दंतेवाड़ा पुलिस फोर्स ने डेढ़ से 2 किलोमीटर के दायरे को चारों तरफ से घेर लिया।

भारी बारिश की वजह से नक्सलियों को जवानों के आने की भनक भी नहीं लग पाई। वहीं 4 अक्टूबर को दोपहर एक बजे जवान नक्सलियों के बेहद करीब पहुंच गए थे, जिसके बाद जवानों ने ही फायरिंग की। सूत्रों ने बताया कि नक्सली जवानों के रडार पर थे।

शुरुआती 10 से 15 मिनट के अंदर ही जवानों ने 7 नक्सलियों को ढेर कर दिया था। वहीं नक्सली एक तरफ से दूसरी तरफ भागने लगे तो दूसरी तरफ मौजूद पुलिस पार्टी ने उन्हें घेरकर मारा।

31 नक्सलियों के शव बरामद
पहले 7, फिर 7 और तीसरी बार में 9 माओवादियों का एक के बाद-एक एनकाउंटर किया गया, जिसके बाद देर शाम तक पुलिस ने कुल 31 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए थे। रातभर जवान घटनास्थल पर ही मौजूद थे। सुबह होते ही एक बार फिर से सर्च ऑपरेशन चलाया गया।

सीएम ने जवानों का पीठ थपथपाया
पूरे मुठभेड़ और सफलता पर सीएम साय ने जवानों को सराहा है। उन्होंने कहा कि ”जवानों को मिली यह बड़ी कामयाबी सराहनीय है, उनके हौसले और अदम्य साहस को नमन करता हूं, नक्सलवाद के खात्मे के लिए शुरू हुई हमारी लड़ाई अब अपने अंजाम तक पहुंचकर ही दम लेगी, इसके लिए हमारी डबल इंजन सरकार दृढ़ संकल्पित है, प्रदेश से नक्सलवाद का खात्मा ही हमारा लक्ष्य है।”

फोर्स ने मौके से AK-47, इंसास, LMG, 312 समेत अन्य हथियार और विस्फोटक सामान बरामद किए। इस मुठभेड़ में DRG जवान रामचंद्र यादव घायल हो गए, जिन्हें रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

बड़े कैडर के नक्सली ढेर
शुरुआती जाँच में पता चला हैं कि बैठक में नक्सलियों के बड़े नेता मौजूद थे। इनमे दंडकारण्य जोनल कमेटी के कमलेश, नीति, पीएलजी कंपनी नंबर 6 के कमांडर नंदू के अलावा माड़ डिवीजन के एरिया कमेटी प्लाटून नंबर 16 खूंखार नक्सली मौजूद थे। इसके अलावा बाकि नक्सली उनके अंगरक्षक हो सकते हैं। ऐसे में सम्भावना जताई जा रही हैं कि नक्सलियों के कई कमांडर पुलिस के गोलियों का शिकार हुए है। हालाँकि इसकी आधिकारिक पुष्टि कल ही शिनाख्त के बाद हो सकेगी लेकिन यह तय है कि बैठक बड़ी थी और इसमें शामिल होने पडोसी राज्य तेलंगाना से भी नेता पहुंचे थे। लेकिन पुलिस को इस बैठक की भनक गई और उन्होंने पूरे कंपनी को ही मार गिराया।

मारे गए नक्सली कंपनी नंबर 6 और प्लाटून के
गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि पुलिस की यह कामयाबी कई मायने में बेहद खास है। इस मुठभेड़ में मारे गए नक्सली कंपनी नंबर 6 और प्लाटून के थे। पूरे ऑपरेशन को पूर्व सूचना के आधार पर सटीक तरीके से अंजाम दिया गया ताकि सुरक्षाबलों को कम से कम नुकसान पहुंचे। विजय शर्मा ने इस बात का भी खुलासा किया कि पुलिस और सुरक्षाबल एनकाउंटर के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है। यह पूरा ऑपरेशन डीआरजी नारायणपुर, डीआरजी बीजापुर और एसटीएफ की ज्वाइंट कार्रवाई थी।

साल का दूसरा सबसे बड़ा आपरेशन
दरअसल, बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस फोर्स अटैकिंग मोड पर काम कर रही है। इससे पहले इसी साल 16 अप्रैल को कांकेर में जवानों ने 29 माओवादियों को मार गिराया था। तब यह नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन था। वहीं 4 अक्टूबर को हुए एनकाउंटर में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। यह नक्सल हिस्ट्री का सबसे बड़ा और सफल अभियान था।

नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई के लिए बस्तर में अलग-अलग फोर्स के करीब 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। इनमें कांकेर में एसएसबी, बीएसएफ, आईटीबीपी, नारायणपुर में आईटीबीपी, बीएसएफ, एसटीएफ, कोंडागांव में आईटीबीपी, सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं। वहीं दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में एसटीएफ, कोबरा और सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं। इसके अलावा सभी जिलों में डीआरजी, जिला बल, बस्तर फाइटर्स, बस्तरिया बटालियन भी सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जब CG दौरे पर थे तो उन्होंने दावा किया था कि 2026 तक बस्तर से माओवादियों का खात्मा कर दिया जाएगा। बस्तर नक्सलवाद की समस्या से आजाद हो जाएगा। शाह के इस दावे के बाद बस्तर में जवान नक्सलियों के ठिकाने में घुसकर उन्हें मार रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 9 महीने में जवानों ने 188 माओवादियों को मार गिराया गया

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