छत्तीसगढ़ के पहाड़ो में स्थित घुंचापाली की मां चंडी मंदिर में हर मुराद होती है पूरी
छत्तीसगढ़ में नवरात्रि के इस पावन पर्व में माता के देवी मंदिरों में उनके विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना बड़े ही धूमधाम के साथ की जा रही है । माता के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है महासमुंद जिले के बागबाहरा में स्थित घुंचापाली की मां चंडी का मंदिर । जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित माता का यह मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र है । जहां नवरात्र के दिनों में प्रदेश के हर जिले ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों से भी हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर माता के दरबार में माथा टेकने पहुंचते थे ।
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महासमुंद जिले के बागबाहरा के ग्राम घुंचापाली में स्थित माता चंडी का यह मंदिर जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित है । माता का यह मंदिर प्रकृति के मनोरम दृश्यों के बीच मौजूद होने के कारण भक्तों के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र है । जहां से इसकी सुंदरता देखते ही बनती है । बागबाहरा के घुंचापाली के जंगल के बीच माता चण्डी, पहाड़ी श्रृंखला पर भव्य मंदिर में विराजमान है । इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी पत्थर की 23 फीट ऊंची मॉ चण्डी देवी की अद्भूत मूर्ति है , जो नैसर्गिक रूप से मानव आकृतिक लिये हुए है । दक्षिणमुखी यह स्वयंभू मूर्ति दुर्लभ एवं तंत्र साधना के लिये प्रसिद्ध है । नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है लोग अपनी मन्नत को लेकर दूर-दूर से माता के दरबार में मांथा टेकने पहुंचते है । मंदिर के पुजारी व मां चण्डी ट्रस्ट के सलाहकार बताते है कि माता का यह मंदिर करीब 200 साल पुरानी है जहां माता की मूर्ति स्वयं-भू है , जो पहले आकार में छोटी थी लेकिन धीरे-धीरे बढ़ते हुए आज करीब 23 फीट ऊंचा हो गयी है । पहले यह मंदिर वनांचल होने के कारण लोगों के पहुंच से दूर था, जहां ऋषि-मुनि और लोग अपनी तंत्र साधना करने आते थे । 1994 में यहां मंदिर का निर्माण हुआ तब से लेकर अब तक यहां दोनों ही नवरात्रि का पर्व यहां महोत्सव के रूप में मनाया जाता है । मां चण्डी के दरबार मे दूर-दूर से माथा टेकने अपनी मनोकामना लेकर भक्त पहुंच रहे है।
मां चंड़ी की महिमा अपरंपार है । माता के दरबार में भक्त न केवल अपनी मनोकामना लेकर आते है । बल्कि अपनी मनोकामना ज्योति कलश भी जलाते है । मां के दरबार में सच्चे मन से की गई प्रार्थना माता चंडी जरूर पूरी करती है । श्रद्धालुओ का कहना है कि मां के दरबार ने आने से सभी कष्ट दूर हो जाते है ।
मां चंडी की महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है । मां के दरबार में जलने वाले मनोकामना ज्योति कलश की संख्या इस वर्ष बढकर 7500 सौ हो गयी है । माता के भक्तों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है । मंदिर समिति की माने तो माता के दरबार में माता टेकने दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे है और श्रद्धालुओ के लिए भोजन , विश्राम , रात्रि विश्राम आदि की समुचित व्यवस्था की गयी है । भण्डारा मे प्रतिदिन 35 हजार के लगभग श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर रहे है ।
जितनी अद्भूत यहां की माता की प्रतिमा है । उतना ही अद्भूत रोजाना यहां आने वाले भालूओं के एक परिवार की कहानी है, जो रोजाना माता के दरबार में किसी भी समय पहुंचते हैं । इनकी संख्या पांच होती है । जैसे ही मंदिर की घंटी बजती है भालू मंदिर का रुख कर लेते है । इन भालूओं को देखकर श्रद्धालु पहले डर कर दूर भाग जाते थे, पर अब लोग इन भालूओं से डरने के बजाये, श्रद्धालु अपने हाथों से प्रसाद, नारियल खिलाते है । भालू किसी को नुकसान न पहुंचाये इसके लिए मंदिर ट्रस्ट व वन विभाग अपने – अपने स्तर पर सुरक्षा के इंतजाम कर रखे है ।