‘मौत’ बांट रही ‘खूनी सिक्स लाइन’ : चमचमाती सड़कों पर नहीं थम रहे हादसे, ‘खून की प्यासी’ सड़क ने फिर निगल ली दो जिंदगी
केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | राजधानी के आउटर में स्थित धरसींवा इलाकें की चमचमाती सड़कें इन दिनों खुलेआम मौत बांट रही है। इलाके की सड़कें खून से रोज लाल हो रही है। सांकरा-सिलतरा क्षेत्र में हादसे बढ़ गई है। सोमवार की रात फिर खून की भूखी सड़क ने दो जिंदगी निगल ली। सांकरा से सिमगा सिक्स लाइन पर बीती रात ट्रक चालक ने सड़क किनारे बैठे तीर्थ यात्रियों को रौंद दिया। जिससे दो बच्चों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। वहीं 13 अन्य लोग घायल हो गए हैं।
घटना सांकरा से सिमगा सिक्स लाइन पर सिलतरा ओवरब्रिज के ऊपर हुई है। धमतरी का साहू परिवार अमरकंटक की यात्रा कर कार से वापस धमतरी की ओर आ रहे थे। गाड़ी में कुछ खराबी आने से परिवार सिक्स लाइन किनारे गाड़ी खड़ी कर सुधार रहा था। तभी सीमेंट लेकर आ रहा ट्रक ने सड़क किनारे बैठे तीर्थ यात्रियों को रौंद दिया। पुलिस ने ट्रक जब्त कर चालक को गिरफ्तार कर लिया है। इधर, ग्रामीणों ने सिक्स लाइन में हो रही मौतों के लिए एनएच को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि, रायपुर-बिलासपुर खूनी सिक्स लाइन पर मौत रफ्तार बनकर दौड़ रही है।
अमूमन हर रोज यहां सड़क दुर्घटना हो रही है। इधर, सिलयारी से विधानसभा रायपुर सड़क मार्ग भी अब खून की प्यासी हो गई हैं। मौत परोस रही खूनी सड़कों से राहगीरों को दर्द हो रहा है लेकिन हमदर्द सो रहे हैं। बीते कुछ महीनों में तेज रफ्तार वाहनों ने न जाने कितने लोगों को मौत की नींद सुला दी। हादसों की इस सौगात ने कई लोगों को तो जिंदगी भर के लिए अपंग बना दिया। इसके बावजूद संबंधित महकमे बेपरवाह बने हुए हैं। धरसींवा इलाके की प्रमुख सड़कें राहगीरों को खुलेआम डेथ वारंट बांट रही हैं। यहां के नागरिक हर वक्त जान हथेली पर लेकर सफर करते हैं। हर महीनें तमाम जानें जाती हैं, लेकिन कुंभकर्णी नींद भांज रहे जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। नेशनल हाईवे पर सुधार के नाम पर अब तक विनाश ही हुआ है।
एनएच का ठप्पा लिए बैठी रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर धरसींवा-सिलतरा-सांकरा के आसपास ही अधिकांश दुर्घटनाएं हो रही है। यह सिर्फ नाम की एनएच हैं, सुविधाएं रत्ती भर भी नहीं हैं। इन पर सुरक्षित सफर की कल्पना करना ही बेमानी है। हर कदम पर मौत मुंह बाए खड़ी है। कब किसको अपनी आगोश में ले लेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है। बावजूद परिवहन विभाग इसको ब्लैक स्पॉट ही नहीं मानते। यहां तो पूरी सड़क ही ब्लैक है, फिर भी विभाग को केवल गिनती के ही ब्लैक स्पॉट नजर आते हैं। क्षेत्र के मार्गों में तमाम अंधे मोड़ ऐसे हैं, जहां विभाग एक अदद बोर्ड लगवाना भी जरूरी नहीं समझता है। ऐसे में दुर्घटनाएं होना लाजिमी है। अकाल मौत बांट रही धरसींवा क्षेत्र की सड़कों पर बस, ट्रक, हाइवा, कार और बाइक की टक्कर या पलटने की घटनाओं में लोग या तो दुर्घटनास्थल पर ही दम तोड़ दे रहे हैं या फिर अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में ही उनकी मौत हो जा रही है। मानों यहां फर्राटे भर रहे वाहनों को दिन रात मौत बांटने की किसी ने खुली छूट दे रखी हो। प्रशासनिक अमले के पहरे में क्षेत्र की सड़कों पर मौत घूम रही है।
हादसों पर नजर फेर लें, तो मालूम होगा कि सबसे ज्यादा युवा अकाल मौत के मुंह में समा रहे हैं और परिवार के सपने पहियों के नीचे कुचल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि, इसी मार्ग से औद्योगिक क्षेत्र सिलतरा, उरला, सांकरा आदि के कंपनियों में काम करने वाले फैक्ट्री कर्मियों का चौबीसों घंटे गुजरना होता है। इसी मार्ग पर पर्यटन स्थल व पिकनिक स्पॉट बोहरही धाम भी है। लेकिन कहीं भी जिम्मेदारों की टीम मुस्तैद नहीं रहती। अब यह मार्ग पहले से भी ज्यादा खूनी और खतरनाक हो चुका है। फिर भी जिम्मेदारों का दिल पसीज नहीं रहा है। तेज रफ्तार बेकाबू कारें पैदल चलने वालों के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। रोड किनारे भारी वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है। बेतरतीब खड़े वाहनों के लापरवाह चालक सड़क किनारे ही वाहनों के रिपेयरिंग करते नजर आते हैं। जहां इन्हें रोकने-टोकने वाला भी कोई नहीं होता।
जागरूकता के नाम पर रस्मअदायगी
यातायात माह व सड़क सुरक्षा पखवाड़ा के नाम पर यातायात व परिवहन विभाग महज खानापूर्ति कर रहे हैं। वाहन चालकों ने शराब पी है या नहीं, इसकी जांच के लिए पुलिस के पास उपकरण मौजूद हैं। यह दीगर बात है कि एक माह के अलावा वर्ष के शेष 11 महीने यह किसी कोने में पड़े धूल फांकते रहते हैं। जिम्मेदारी सिर्फ चालान काटने और शुल्क वसूलने तक ही सिमट गई है। जबकि सड़क पर उसकी तैयारियां सिफर ही हैं। वर्ष भर में कितने सड़क हादसे हुए और इसमें कितनों को अपनी जान गंवानी पड़ी इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमला हादसों को रोकने के लिए कितने अलर्ट हैं।
चमचमाती सड़कें लेकिन चेतावनी बोर्ड नहीं
चमचमाती सड़कें तो जरूर बना दी है, लेकिन इनके बीच पड़ने वाले छोटे-छोटे गांव में न तो कहीं सांकेतिक बोर्ड व सूचित करने वाले बोर्ड चिन्ह लगवाए हैं न ही स्पीड को कंट्रोल करने कहीं ब्रेकर का ही निर्माण करवाए हैं। यहां की सभी प्रमुख सड़कों पर रिफ्लेक्टर या सूचकों का कोई इंतजाम नहीं है। जहां सूचक लगे भी हैं, उनको इश्तिहारों ने ढक लिया है। मार्ग पर घनी आबादी वाली बस्ती व गांव है जहां हमेशा भीड़भाड़ रहती है। राहगीरों को आगाह करने के लिए इससे संबंधित बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। तमाम खतरनाक मोड़ सहित दुर्घटना बहुल क्षेत्रों में विभाग द्वारा कोई कासन नहीं लगाया गया है। साइन बोर्ड नहीं होने से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। लिहाजा, राहगीर असमय मौत के गाल में समा रहे हैं।
हादसा स्पॉट बन गया नेशनल हाईवे
रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाईवे हादसा स्पॉट बन गया है। लापरवाही के चलते प्रतिदिन यहां सड़क हादसे हो रहे हैं। जगह-जगह आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। सड़कों पर ही बेतरतीब वाहन खड़े रहते हैं। सड़कों पर ही वाहनों का रिपेयरिंग होता है। सड़क किनारे ठेले-गुमटी सजी रहती है। वहीं ओवरलोड वाहनों का जांच तक नहीं हो रहा है। भीषण व दिल दहला देने वाले सड़क हादसों से सड़कें रक्तरजित हो रही है। नौजवानों से लेकर बुजुर्ग तक काल का ग्रास बन रहे हैं। मौत का मंजर देख राहगीरों की रूह कांप रही है। मौत का तांडव लगातार जारी है। लाशों के ढेर, बिखरे खून लोगों को भयभीत कर रहा है। पर परवाह किसको है।