छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

नलवा सीमेंट के माइनिंग प्रोजेक्ट का विरोध: किसानों में भारी आक्रोश, जनसुनवाई के दिन सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी

केशव पाल | तिल्दा ब्लॉक के खरोरा के समीप ग्राम पचरी, छड़िया, मंधईपुर, आलेसुर में नलवा सीमेंट द्वारा प्रस्तावित लाइमस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट का ग्रामीण एक बार फिर पुरजोर विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि, यहां विकास के नाम पर प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। नलवा सीमेंट द्वारा मंधईपुर में प्रस्तावित लाइमस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट के कारण स्थानीय पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि इस प्रोजेक्ट के कारण ग्रामीणों में चिंता की लहर व्याप्त है। लाइमस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट के संभावित प्रभावों को लेकर गांव के निवासियों में एक निरंतर भय और असुरक्षा की भावना बनी हुई है, क्योंकि उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि उनके प्रिय गांव का वातावरण गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में सोचते हुए, ग्रामीणों का मन अशांत है और वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। नलवा सीमेंट द्वारा मंधईपुर में प्रस्तावित लाइमस्टोन माइनिंग प्रोजेक्ट के कारण स्थानीय पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है।

इस परियोजना के चलते गांव का वातावरण प्रदूषित होने का खतरा बढ़ गया है, जिससे न केवल प्राकृतिक सौंदर्य में कमी आएगी, बल्कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। ऐसे विकास कार्यों के कारण स्थानीय निवासियों के लिए पेयजल की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। लगातार भूजल स्तर में गिरावट आ रही है और साथ ही पानी की गुणवत्ता भी बिगड़ रही है। इसके चलते ग्रामीणों को साफ और सुरक्षित पेयजल प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई से न केवल जैव विविधता को नुकसान होगा, बल्कि यह क्षेत्र की पारिस्थितिकी को भी गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। इस परियोजना के आसपास प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित एकल सड़क है, जो खराब स्थिति में जाने की प्रबल संभावना है। खदान की गाड़ियां लगातार इस सड़क पर सरपट दौड़ेगी। इसके कारण सड़क खराब होने से आवागमन में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसका प्रभाव ग्रामीणों के दैनिक जीवन में सीधा पड़ेगा। ग्रामीणों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। यह आवश्यक है कि स्थानीय समुदाय की आवाज को सुना जाए और उनके हितों की रक्षा की जाए।

पचरी का तालाब, मुक्तिधाम, गौठान, चारागाह जमीन सब होगी नलवा की
नलवा द्वारा पचरी पंचायत में प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंपी गई है उसके अनुसार पचरी पंचायत अंतर्गत आने वाले तालाब जो सैकड़ों किसानों की निस्तारी का साधन है वह भी नलवा के कब्जे में आ जाएगा। वहीं मुक्तिधाम जहां सैकड़ों मठ आज भी मौजूद है वहां नलवा स्थापित होने के बाद गड्ढे दिखाई देंगे जिससे ग्रामीणों की आस्था जुड़ी हुई है। वहीं पशुओं के चारागाह के लिए जमीन भी आरक्षित है वह भी नलवा के कब्जे में आ जाएगी।

विरोध के कारण स्थगित हो चुकी है जनसुनवाई
नलवा सीमेंट की जनसुनवाई पूर्व में 29 नवंबर 2024 को आयोजित की जाने वाली थी। वहीं पचरी सरपंच अभिषेक वर्मा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया था जिसके बाद जनसुनवाई को स्थगित कर दिया गया था। वहीं इस संदर्भ में पचरी सरपंच व तिल्दा जनपद के सरपंच संघ अध्यक्ष अभिषेक वर्मा ने कहा कि गांव में दस वर्ष पहले लोग रात भर जागकर दूसरे गांव जाकर पानी लाते थे। वहीं इन दस सालों में हमने पानी की व्यवस्था को मजबूत किया है और पानी की समस्या खत्म होने के कगार पर है। अगर नलवा स्थापित होता है तो गांव का वाटरलेवल फिर गिर जाएगा और जैसे आज खरोरा जैसे बड़े नगर में समस्या है वह समस्या गांव में उत्पन होगी उसके साथ ही मुक्तिधाम और तालाब भी नष्ट हो जाएंगे। चंद पैसों के लिए मैं गांव का सौदा नहीं कर सकता और आरबीआई ने अभी तक ऐसा कोई नोट नहीं छापा जो अभिषेक वर्मा को खरीद सके। अपनी पूर्ण क्षमता के साथ नलवा का विरोध किया जायेगा और पत्थर खदान लगने नहीं देंगे।

नलवा अपना पक्ष रखने में पीछे हट रहा
वहीं इस संदर्भ में नलवा के खरोरा हेड राजेंद्र चौरसिया को फोन किया गया उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वहीं नलवा की पीआर हेड पूनम कक्कड़ ने कहा जो भी जानकारी है वह राजेंद्र चौरसिया ही देंगे।

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