संतानों को संकट से बचाने माताएं आज रखेंगी ‘सकट व्रत’ : चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद करेंगी व्रत का पारण, भगवान गणेश को चढ़ाएंगे ‘तिल के लड्डू’
केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | माघ महीनें के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आज सकट चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन संतानों के दीर्घायु और आरोग्य की कामना के लिए महिलाएं दिन भर व्रत करती हैं। फिर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। वहीं शाम को चंद्रमा निकलने के पहले गणेश जी की पूजन कर कथा सुनी जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस दिन भगवान गणपति और सकट माता की श्रद्धा पूर्वक पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही सूर्य और चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य देते हैं। इसे संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी, माही चौथ और तिल कुटा चौथ भी कहा जाता है। ज्योतिषि पंडित रमेश तिवारी ने बताया कि, इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत के दिन गौरी पुत्र गणेश, सकट माता और चंद्र देव की पूजा की जाती है। इस दिन संध्याकाल में भगवान गणेश की विधिवत उपासना की जाती है। वहीं भगवान को तिल के लड्डू, दूर्वा और पीले पुष्प भी अर्पित की जाती है।
भगवान गणेश की पूजा
शास्त्रों के अनुसार, सकट चतुर्थी का व्रत विशेष फलदायी होता है। इस दिन प्रातःकाल स्नान कर गणेश जी की पूजा की जाती है। संध्याकाल में भगवान गणेश की विधिवत उपासना करने का विधान है। साथ ही भगवान गणेश के मंत्रों का जाप भी की जाती है।
सकट चौथ का महत्व
ज्योतिषियों के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन माता अपनी संतानों के लिए आरोग्यता, यश, बल, बुद्धि आदि की कामना से व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के करने से सभी तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान गणेश ने अपने माता-पिता भगवान शंकर और माता पार्वती की परिक्रमा की थी।