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छत्तीसगढ़ के इस गांव के लोगो ने धर्मांतरण के खिलाफ खोला मोर्चा, पास्टर और धर्म परिवर्तित कर चुके लोगों का गांव में प्रवेश निषेध

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर विकासखंड के गांवों में मतांतरण के खिलाफ ग्रामीण एकजुट हो रहे है। जिसके चलते गांव के प्रवेश द्वार पर पास्टर व ईसाई धर्म के लोगों का प्रवेश वर्जित करने का बोर्ड लगाया जा रहा है। भानुप्रतापपुर विकासखंड का ग्राम बांसला के आश्रित ग्राम जुनवानी दूसरा गांव है और इससे पहले जुलाई माह में ही कुडाल गांव में पास्टर व पादरियों के प्रवेश पर प्रतिबंध का बोर्ड लगाया गया है।

ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार, जुनवानी गांव में आठ परिवार के लोग दूसरे धर्म को मानने लग गए हैं। जिसमें तीन परिवार को वापस मिलाया गया है पांच परिवार अभी भीदूसरे धर्म का अनुसरण कर रहे हैं। जिसके चलते गांव और आदिवासी समाज के रीति रीवाजों पर फर्क पड़ रहा है। साथ ही गांव का माहौल भी खराब हो रहा था।

ग्रामीण राजेद्र कोर्राम ने बताया कि ईसाई धर्म का हम विरोध नहीं कर रहे हैं। मगर जिस तरह से गांव के भोले-भाले लोगों का मतांतरण कराया जा रहा है, उसका विरोध कर रहे हैं। बोर्ड में ग्रामीणों ने लिखा है कि पेशा अधिनियम 1996 लागु है जिसके नियम चार घ के तहत सांस्कृतिक पहचान व रूढ़ीवादी संस्कृति के संरक्षण का अधिकार प्राप्त है।

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आदिवासियों को प्रलोभन देकर उनका मतांतरण कराना हमारे संस्कृति को नुकसान पहुंचाने के साथ आदिम संस्कृति को खतरा है। ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर ग्राम जुनवानी में ईसाई धर्म के पास्टर पादरी एवं बाहर गांव से आने वाले मतातंरित व्यक्तियों का धर्मिक व धर्मांतरण आयोजन के उद्देश्य से प्रवेश पर रोक लगाते हैं। इसके लिए गांव के प्रवेश द्वार पर बड़ा सा बोर्ड लगाया गया है।

कुडला गांव से हुई शुरूआत
बता दें कि भानुप्रतापपुर ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम कुडाल में ग्रामीणों ने इसकी शुरुआत की थी। ग्रामीणों ने गांव के चारों ओर एक एक बोर्ड लगाया गया है जिसमें पास्टर और पादरी को गांव में घुसाने को पूर्णतः प्रतिबधित किया गया है। कांकेर जिला में पहला गांव कुडाल है जहां लगभग 9 मतांतरित परिवार है।

10 दिन पहले मतांतरित परिवार के एक महिला की मृत्यु होने के बाद कफन दफन को लेकर गांव में बवाल हुआ था जिसके बाद ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर पास्टर पादरी को गांव में आने से सख्त मना किया गया है। संविधान की पांचवी अनुसूचि में क्षेत्र में ग्राम सभा की मान्यता होता है जो अपने संस्कृति और परंपराओं के सुरक्षा करने के लिए निर्णय लेने में सक्षम है।

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news36Desk

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