सिंहदेव डिप्टी CM भी रहे, तब हमने खदान के विरोध की बात कही नहीं सुनी – पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल

सरगुजा के विश्वप्रसिद्ध रामगढ़ पहाड़ी को बचाने पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री साय को पत्र भी लिखा है आज मीडिया से चर्चा करते हुए टीएस सिंहदेव ने कहा कि रामदेव पहाड़ी का प्राकृतिक, धार्मिक, पुरातात्विक, सामाजिक महत्व है , लाखों श्रद्धालु राम, सीता, लक्ष्मण के दर्शन करने पहाड़ी पर जाते हैं , मानव हस्तक्षेप से पहाड़ी में समस्याएं सामने आई है ,पहाड़ी में पूरी तरह चट्टानें ढह रही है ,माइनिंग का काम बहुत ही तेजी से चल रहा है ,पहाड़ियों को एक बार नुकसान पहुंचेगा तो ठीक नहीं हो सकेगा
रामगढ़ पहाड़ को नुकसान नहीं होने देंगे – राजेश अग्रवाल
रामगढ़ पहाड़ को संरक्षित करने टीएस सिंह देव के पत्र को लेकर पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि पहले क्यों आवाज नहीं उठाई गई, पीईकेबी खदान शुरु हुआ तो सिंहदेव MLA थे और केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी,सिंहदेव फिर डिप्टी CM भी रहे, तब हमने खदान के विरोध की बात नहीं सुनी अब जनता ने हमें मौका दिया है, रामगढ़ पहाड़ को नुकसान नहीं होने देंगे, रामगढ़ हमारी आस्था का केंद्र इसे संरक्षित करना हमारी जवाबदारी है
कांग्रेस सरकार के समय रुकवाया था काम
टीएस सिंहदेव ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय में कोयला खनन को खोलने से रोकने गया था ,DFO ने हाल ही में दो अलग अलग आदेश जारी किया ,दोनों आदेश में दिए हुए कॉर्डिनेट्स अलग है ,NGT, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के रिकमेंडेशन पर इसे नो गो एरिया बताया गया है ,वन क्षेत्र की दो संस्थाओं ने रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया था ,पहाड़ के संवर्धन, संरक्षण के लिए एक समिति का गठन किया गया था
खतरे में विश्वप्रसिद्ध रामगढ़ पहाड़ी
बता दें कि सरगुजा जिले में स्थित रामगढ़ पहाड़, इस पहाड़ में प्राचीन भगवान श्री राम और लक्ष्मण का मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर में सरगुजा संभाग सहित दूसरे राज्यों से भी लोग आकर लाखों की संख्या में हर साल पूजा अर्चना करते हैं इतना ही नहीं यहां पर सीता बेंगरा नमक प्राचीन गुफा है जिसे पुरातत्व विभाग ने संरक्षित किया हुआ है लेकिन पहाड़ से कुछ दूरी पर कॉल माइंस में किए जाने वाले ब्लास्टिंग की वजह से आप पूरा पहाड़ हिलने लगा है. ब्लास्टिंग की वजह से होने वाले झटके के कारण प्राचीन राम मंदिर भी कांप रहा है. इसकी वजह से स्थानीय लोगों का अब कहना है कि कोल माइंस का एक्सटेंशन नहीं होना चाहिए.