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Chhattisgarh : सेना में तैनात रहे पति को सिविल डेड घोषित कराने लड़ी 27 साल, पैतृक संपत्ति के लिए सालो काटे चक्कर

Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के जशपुर इलाके की इस महिला के सम्मान और न्याय की लड़ाई 27 वर्षों से लड़ रही थी आखिरकार संघर्ष के बाद सीआरपीएफ हवलदार नजारियुस टोप्पो की 64 वर्षीय पत्नी अग्नेसिया टोप्पो ने अपने पति को कानूनी तौर पर मृत (सिविल डेड) घोषित कराकर एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की।

सीआरपीएफ हवलदार 1998 में हो गए थे लापता
महिला का संघर्ष तब से शुरू होता है, जब 1998 में जम्मू-कश्मीर में तैनाती के दौरान नजारियुस अवकाश पर घर आते समय लापता हो गए। CRPF ने सात वर्ष बाद नजारियुस को मृत मानकर अग्नेसिया को पेंशन देनी शुरू की, लेकिन पैतृक संपत्ति पर अधिकार पाने के लिए उन्हें कानूनी रास्ता अपनाना पड़ा।

अग्नेसिया ने काफी खोजबीन के बाद जब पति को नहीं पाया तो उन्होंने वर्ष 2000 में सिटी कोतवाली थाने में गुम इंसान का मामला दर्ज कराया। इसकी जानकारी सीआरपीएफ को दी गई तो वर्ष 2008 में पेंशन सहित अन्य आर्थिक लाभ मिलने लगे। इसके बाद उन्होंने संपत्ति का अधिकार प्राप्त करने के लिए न्यायालय के चक्कर काटना शुरू कर दिया।

पत्नी ने वर्षों तक काटे चक्कर, नहीं मानी हार
वर्ष 2011-12 से महिला लगातार भटकती रही थीं। किसी की सलाह के बाद आखिरकार उन्होंने फरवरी 2023 में कलेक्टर के पास संपत्ति पर अधिकार का आवेदन दिया, जिसे कलेक्टर ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते खारिज कर दिया। इसके बाद, अग्नेसिया ने संपत्ति के नामांतरण के लिए कई बार चक्कर काटे। मामले को वह ट्रायल कोर्ट ले गईं, मगर वहां निराशा हाथ लगी। इस कोर्ट ने पत्नी को संपत्ति का वारिस तो माना, लेकिन नजारियुस को मृत घोषित करने का निर्णय नहीं लिया। अंततः उन्होंने 2023 में जिला न्यायालय में पति को सिविल डेड घोषित करने का वाद पेश किया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्येन्द्र साहू ने नजारियुस को सिविल डेड घोषित करते अग्नेसिया को राहत दे दी है।

जिला न्यायालय, जशपुर के वकील सत्य प्रकाश तिवारी ने बताया कि जिला न्यायालय में प्रस्तुत सिविल डेड का यह दुर्लभ मामला था। इस पर प्रधान जिला न्यायाधीश सत्येंद्र साहू द्वारा दिया गया निर्णय अग्नेसिया टोप्पो सहित इस तरह की समस्या से जूझ रहे अन्य लोगों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। ऐसे मामलों में हमेशा सीधे न्यायालय की शरण में जाना चाहिए।

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