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सीपी राधाकृष्णन बने देश के नए उपराष्ट्रपति, सुदर्शन रेड्डी को हराया, 768 में से मिले इतने वोट

NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जीत हासिल की. उन्होंने कुल 452 वोट प्राप्त कर अपने प्रतिद्वंद्वी और INDIA गठबंधन के बी सुदर्शन रेड्डी को परास्त किया. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले हैं. NDA लगभग दो-तिमाही से बहुमत हासिल की है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से दावा किया गया कि 14 सांसदों ने क्रॉसवोटिंग की.

उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने भी अच्छी चुनौती दी. लेकिन, उनकी संख्या एनडीए के मुकाबले कम रही. इस चुनाव में जीत के लिए 392 वोटों की जरूरत थी, जिसे NDA उम्मीदवार ने आसानी से हासिल कर लिया.

आज (मंगलवार) को हुए चुनाव में 767 सांसदों ने वोट डाले. इसमें से 15 वोट अमान्य रहे. इस चुनाव में कुल 782 सांसदों को मतदान देने का अधिकार था.

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए आज मतदान, क्या कहता है नंबर गेम?
विपक्षी दलों से मिले 14 वोट एनडीए के लिए बड़ी कामयाबी है. क्योंकि 15 वोट अमान्य हो गए और 14 वोट विपक्षी दलों से एनडीए को मिलने से विपक्ष को घाटा हो गया.

एनडीए के पास अपने सांसदों के आंकड़े के साथ-साथ कुछ क्रॉस वोटिंग का लाभ भी मिला. एनडीए की कुल संख्या 427 थी, इसमें वायएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों के जोड़ से 438 हो गए. इसके अलावा, 14 अतिरिक्त वोट क्रॉस वोटिंग के जरिए सीपी राधाकृष्णन के खाते में गए.

कुल वोटरों की इतनी थी संख्या
उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के सभी सदस्य -जिसमें नामित सदस्य भी शामिल हैं, वोट देने के योग्य थे. कुल 788 वोटर थे, जिनमें 245 राज्यसभा और 543 लोकसभा के सदस्य शामिल थे. मतदान सुबह से शाम 5 बजे तक चला, जिसमें 767 निर्वाचकों ने अपना वोट डाला. केवल एक बैलेट बॉक्स का उपयोग किया गया. मतगणना शाम 6 बजे शुरू हुई. सुदर्शन रेड्डी को 300 प्रथम वरीयता वोट मिले, जबकि सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले.

भारत के नए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृण्णन को चुन लिया गया है। उन्हें 452 वोट मिले हैं। इसी के साथ सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। 67 वर्षीय राधाकृष्णन, जो वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे हैं। अब वह उपराष्ट्रपति का पद संभालेंगे। 

17 साल की उम्र में RSS से जुड़े

सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ। 17 साल की उम्र से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए हैं। बीजेपी के साथ उनका लंबा सफर रहा है। उनका राजनीतिक सफर 1998 में शुरू हुआ, जब वे कोयंबटूर से लोकसभा के लिए चुने गए। 

दो बार लगातार रहे सांसद

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वे 1998 और 1999 के आम चुनावों में लगातार दो बार सांसद बने। 1998 की जीत खास थी, क्योंकि यह कोयंबटूर बम विस्फोटों के बाद हुई थी और भाजपा को तमिलनाडु में पहली बार तीन सीटें मिलीं। 2004-2007 तक वे तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।

बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य भी रहे

2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वे कोयंबटूर से बीजेपी के उम्मीदवार थे, जहां 2014 में उन्होंने 3.89 लाख से अधिक वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। 2016-2020 तक वे केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत कोयर बोर्ड के चेयरमैन रहे। बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य के रूप में भी सक्रिय रहे। 

झारखंड और महाराष्ट्र के रहे राज्यपाल

साल 2023 में केंद्र सरकारी की ओर से उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया, जहां उन्होंने आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण पर जोर दिया। फरवरी 2024 में वे महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल बने, जहां उन्होंने राज्य सरकार के साथ सहयोगपूर्ण रवैया अपनाया। विपक्षी दलों के साथ भी उनके संबंध अच्छे माने जाते हैं।

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